October 19, 2024

ख़बरे टी वी – ‘साईं की रसोई’ के नाम से जरूरतमंदों को पांच रुपये में रात्रि भोजन, सुनने में जरा अटपटा लगता है परंतु यह नॉन स्टॉप साईं रसोई ने कल ही किए पूरे 100 दिन और आगे भी चलता रहेगा

इस महंगाई के दौर में क्या पांच रुपये में भोजन मिल सकता है ? निश्चित तौर पर आप का जवाब होगा नहीं।

लेकिन बेगूसराय में ‘साईं की रसोई’ के नाम से जरूरतमंदों को पांच रुपये में रात्रि भोजन मुहैया कराया जा रहा है। साईं भक्तों और सामाजिक सरोकार रखने वाले युवाओं की ओर से चलाई जा रही इस सफल और बेमिसाल मुहिम ने शनिवार की रात अपने एक सौ दिन पूरे किये। 26 अगस्त 2019 की रात जब हर क्षेत्र में कमाल कर रहे बेगूसराय के उत्साही युवा ठेला पर भोजन लेकर सदर अस्पताल के सामने पहुंचे और बोर्ड लगाकर मात्र पांच रुपया में वितरण शुरू किया तो लोगों के बीच उपहास हो रहा था। टीम के हर युवक के दिलो-दिमाग में मुहिम की सफलता को लेकर अनिश्चितताएं और आशंकाएं जरूर थी, लेकिन साईंनाथ पर अटूट विश्वास भी था।

स्थानीय दुकानदार भी जबरदस्त अंदरुनी विरोध करते हुए मजाक उड़ा रहे थे। लेकिन सारे उपहास को सहते हुए युवा जब लगनशीलता से जरूरतमंदों को पर्व-त्यौहार की रात भी भोजन उपलब्ध कराते रहे तो लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया।

गर्मी, बारिश या ठंढ़ के मौसम की परवाह किये बगैर ससमय जरूरतमन्दों की सेवा में टीम पूरे समर्पण भाव से जुड़ी रही। आज हालत यह है कि शहर ही नहीं शहर के बाहर से बाहर के भी संभ्रांत लोग लगातार इस रसोई में तन-मन-धन से सेवा भाव में समर्पित हो रहे हैं।

शनिवार की रात साईं की रसोई के एक सौ दिन पूरे होने की खुशी रसोई की टीम के सभी सदस्यों के चेहरे पर साफ झलक रही थी।

इस मौके को खास बनाने के लिए रसोई को बैलून से सजाया गया था, साथ ही जरूरतमन्दों के लिए भोजन का भी विशेष प्रबन्ध किया गया था। इस उपलक्ष्य में शनिवार की रात जरूरतमन्दों को भोजन में पूरी, काबुली चना एवं पनीर की सब्जी, खीर, बुनिया और मिठाई परोसा गया। सुस्वादिष्ट भोजन पाकर लोग भी बहुत खुश थे। इस मौके पर साईं भक्त व सामाजिक कार्यकर्ता विजय महाराज, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रंजन चौधरी, अधिवक्ता प्रमोद कुमार, पर्यावरण साथी राजेश कुमार, सोनू झा, बच्चों की पाठशाला के संस्थापक रौशन कुमार, अशोक कुमार आदि ने रसोई में शामिल हो रसोई की टीम की हौंसला अफजाई की।

मौके पर साईं की रसोई के संस्थापक सदस्य नितेश रंजन और अमित जायसवाल ने कहा कि आज अगर ये मुहिम बिना रुके एक सौ दिन पूरा कर पाया है तो इसमें सबसे बड़ा योगदान उन लोगों का है जो न सिर्फ आर्थिक तौर पर हमारा सहयोग करते रहे हैं। बल्कि समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करने के साथ ही हौसला अफजाई भी करते रहे हैं।

इस मुहिम की सफलता का श्रेय हमारी टीम से जुड़े हमारे साथियों को जाता है जो पूरे समर्पण भाव से अपने व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर व्यवस्थित तरीके से भोजन परोसने में पूरी तत्परता से जुटे रहते हैं।

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