ख़बरे टीवी – कार्यालय में टेबल के नीचे मोटी रकम गिनती कर पॉकेट में रखते, मारुति ब्लेनो वाले बिहार के रहीश लिपिक का वीडियो वायरल..
कार्यालय में टेबल के नीचे मोटी रकम गिनती कर पॉकेट में रखते, मारुति ब्लेनो वाले बिहार के रहीश लिपिक का वीडियो वायरल
कार्यालय अवधि में अगर खुद का रुपया है तो फिर टेबल के नीचे क्यों और कैमरा को देखते हुए चोरों के जैसा पैसे जल्दी – जल्दी से अपने पॉकेट में क्यों रखें, वैसे उनके चेहरे पर साफ – साफ देखा जा सकता है की यह उनकी कमाई के पैसे नहीं है, क्योंकि जो लहजा रुपए की गिनती और रखने का है वह निश्चित तौर पर गैरकानूनी दिखाई देते है|वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि साथ में बैठे कोट पहने हुए व्यक्ति और लिपिक दोनों की निगाह रुपए गिनने पर है और जब कैमरा देखते हैं तो दोनों के दोनों के चेहरे के रंग उड़ जाते हैं, कई बार लोग यह बात बोलते हैं कि हमने अपना काम टेबल के नीचे से करवाया है यह वही विधि है, जो टेबल के नीचे चल रहा है और दूसरी बात चेहरा ऐसा आईना है जो खुद की गवाही खुद ही दे देता है|
काफी मुद्दा उनके ऊपर शक बिंदु पर जाकर रूकती है, एक साधारण लिपिक जो कार्यालय से घर जाने और घर से कार्यालय या फिर कहीं भी जाना हो तो चार पहिए की गाड़ी का मेंटेन करना, ब्रांडेड कपड़े सहित रहन-सहन का तरीका भी नंबर वन, क्या यह सभी लिपिक के लिए संभव है|
खैर बहुत जल्द ही उन पर विभाग के तरफ से जांच बैठने वाली है
बिहार के कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड कार्यालय में कार्यरत मारुति ब्लेनो वाले लिपिक प्रवीण कुमार का रुपये गिनती कर पॉकेट में रखते वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें योजना प्रशासनिक मद में राशि लेने की आशंका जताई जा रही है……
वायरल वीडियो में लिपिक प्रवीण कुमार टेबल के नीचे मोटी रकम गिनती कर पॉकेट में रखते देखे जा रहे हैं….
ऐसे में रुपए गिन रखते वीडियो को देख जनप्रतिनिधियों सहित आम लोग योजना प्रशासनिक मद में रकम लिए जाने की आशंका जता हीं नहीं रहे हैं बल्कि योजना प्रशासनिक मद में ली गयी राशि से जोड़ कर देख रहे हैं….
इससे संबंधित कार्य व फाइल संधारित कर बीडीओ से प्रशासनिक कराने का कार्य प्रवीण कुमार करते हैं,
अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन ऐसे लिपिक के विरुद्ध क्या और कितनी कार्रवाई करते हैं,
वायरल वीडियो में मोटी रकम गिनती कर पॉकेट में रखते दिख रहे, लिपिक प्रवीण कुमार खुद की मारुति ब्लेनो पर सफर करते हैं, ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं.कि इतनी मोटी रकम कब और किस बैंक से लिपिक प्रवीण कुमार द्वारा निकाली गई, इसकी जांच होनी चाहिए|
लिपिक कहते हैं प्रशासनिक मद में राशि नहीं ली गयी है, तो अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा कि अगर रुपये खुद का गिन कर रख रहे थे तो टेबल के नीचे क्यों ऊपर क्यों नहीं और अगर रुपया खुद का था. तो कार्यालय अवधि के दौरान कार्यालय में क्यों गिनती कर रहे थे, जब कि सरकारी आवास भी प्रखंड कार्यालय में हीं है|
जानकार विभागीय सूत्रों की मानें तो कार्यालय में कार्यालय अवधि के दौरान पूर्व में ज्यादा से ज्यादा 500 रुपये रखने के प्रावधान थे, या फिर रखे पैसे का लेखा-जोखा हो ,जो वर्तमान में नहीं है तो संबंधित लिपिक के द्वारा उतनी मोटी रकम को खुद की राशि कैसे बताया जा रहा है , जो बेहद संगीन हीं नहीं जांच का मामला बनता है कि आखिर कौन से बैंक से रकम उनके द्वारा निकाल कर लायी गयी है ?