ख़बरे टी वी – नालंदा विश्वविद्यालय कार्बन न्यूट्रल और जीरो – वेस्ट कैंपस के मॉडल के तौर पर एक अनुकरणीय उदाहरण बनेगा, आज आएंगे केंद्रीय विदेश एवं शिक्षा राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह….
नालंदा विश्वविद्यालय कार्बन न्यूट्रल और जीरो – वेस्ट कैंपस के मॉडल के तौर पर एक अनुकरणीय उदाहरण बनेगा।
Khabre Tv – 9334598481 – ब्यूरो रिपोर्ट – बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में 28 अक्टूबर को केंद्रीय विदेश एवं शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर राजकुमार रंजन सिंह की अगुवाई के लिए पूरी तरह तैयार है नालंदा ।
डॉक्टर सिंह केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के दिलों के बेहद करीब इस अनूठी परियोजना की प्रगति को देखने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय के दो दिवसीय दौरे पर आएंगे।
अपने विध्वंस के 8 शताब्दियों के बाद नालंदा विश्वविद्यालय अब विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन तथा समर्थन के साथ कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह के अथक प्रयास के कारण देश के सबसे बड़े नेट कैंपस के तौर पर विकसित हो रहा है
बिहार के मुख्यमंत्री श्री कुमार ने नालंदा विश्वविद्यालय के लिए राजगीर के पहाड़ियों की सुरम्य तलहटी में 455 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाया है इसके पीछे श्री कुमार की सोच न केवल ज्ञान समाज बनाने की गौरवशाली परंपरा को पुनजीवित करना है बल्कि जल जीवन हरियाली के अपने मंत्र के माध्यम से प्रकृति के साथ सद्भाव कायम करने की भी है।
नालंदा के नए दृष्टिकोण के साथ, प्राचीन भारतीय स्वदेशी उर्जा मॉडल द्वारा निर्देशित, एक स्थाई परिसर के निर्माण की राह दिखाई है, प्रोफ़ेसर सिंह के लगातार प्रयास और कड़ी मेहनत के कारण विश्वविद्यालय में महज 3 साल में 80% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जो अपने आप में एक मिसाल है पिछले 3 साल में विश्वविद्यालय में ना सिर्फ कठिन बुनियादी ढांचे को विकसित किया गया , बल्कि 6 स्कूलों और 12 शैक्षणिक कार्यक्रमों को शुरू किया गया और सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ाया गया है।
ऊर्जा संकट को दूर करने और भविष्य की पीढ़ी के लिए हमारे पर्यावरण का संरक्षण करने के उद्देश्य से लगभग 200 नेट जीरो एनर्जी बिल्डिंग पूरा होने की कगार पर है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि कोविड-19 के विनाशकारी प्रभाव के बावजूद विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और निर्माण कार्यों को रुकने नहीं दिया ,
यही वजह रही कि विश्वविद्यालय में सभी पाठ्यक्रमों को समय से पूरा किया जा सका और अब ये 30 से अधिक राष्ट्रीयताओ वाले विविध परिसरों में से एक बन गया है, इस विश्वविद्यालय के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत होने के कारण केंद्रीय मंत्री डॉ सिंह की यात्रा काफी अहम मानी जा रही है , डॉक्टर सिंह खुद एक शिक्षाविद है और प्रकृति के साथ सद्भाव तथा अभिनव दृष्टिकोण के बड़े समर्थक भी हैं ।
उनकी यह यात्रा ना सिर्फ विविध राष्ट्रीयताओ वाले छात्रों में नई ऊर्जा का संचार करेंगी, बल्कि टीम नालंदा को प्रगति का मूल्यांकन करने और भविष्य के लिए कार्यवाही की रूपरेखा तैयार करने का अवसर भी प्रदान करेंगी ।
डॉ सिंह की यह यात्रा ज्ञान के प्राचीन केंद्र के प्रति भारत सरकार और विदेश मंत्रालय की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है,
नालंदा विश्वविद्यालय कार्बन न्यूट्रल और जीरो – वेस्ट कैंपस के मॉडल के तौर पर एक अनुकरणीय उदाहरण बनेगा , नालंदा विश्वविद्यालय आसियान – इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज के माध्यम से आसियान देशों के शैक्षणिक संस्थानों में से जुड़ने के लिए एक नोडल एजेंसी होने के नाते, भारत की एक्ट ईस्ट नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । विश्वविद्यालय के नए अवतार में आने के बाद डॉक्टर राजकुमार रंजन सिंह की यह पहली मंत्रीस्तरीय यात्रा है।