ख़बरे टी वी – वह खुद ही जानते है बुलन्दी आसमानों की, परिंदों को नही तालीम दी जाती उड़ानों की, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, अपनी 15 वर्ष की उम्र से लग गए लोगो की सेवा में
वह खुद ही जानते है बुलन्दी आसमानों की, परिंदों को नही तालीम दी जाती उड़ानों की
गया के बोधगया जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, यही कारण है कि बौद्ध धर्म को मानने वाले अपने जीवन काल मे यहा एक बार दर्शन करना जरूर चाहता है।बोधगया के विवेक कुमार कल्याण इन महादलित और मलिन बस्तियों के लिए मसीहा बने है।बताया जाता है, कि जब वे पहली बार इन महादलित बस्तियों में गए थे, तो देखा कि इन महादलितों के बच्चों का क्या होगा|
जो स्कूल के नाम से कोसो दूर है, पढाई क्या होता है यह भी जानते थे।
जब वह आज से 15 साल पहले लोगो की सेवा करने की भावना को लेकर महादलित बस्तियों में गया तो घर वालो ने काफी मना किए, घरवालों ने कहां जॉब कर अपना भविष्य बनाओ लेकिन घरवालों से विरोध कर विवेक निरन्तर आगे बढ़ता रहा, जिसके लिए उसे घरवालों की डांट भी खानी पड़ी थी ।
उसने गॉव के ही बेकार पड़े खण्डर में महादलित बच्चो को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया,
कहा कि अगर यह शिक्षित हो जायेगे तो इन्हें जानकारी होगी। 40 बच्चो के साथ शुरू किए स्कूल से आज हजारो बच्चो को शिक्षा के साथ – साथ रोजगार और महिलाओं को सशक्तिकरण करने का काम कर रहा है विवेक।
जब पहली बार झोपड़ीनुमा भवन में 40 बच्चो को पढ़ाने का काम शुरू किया तो उसी वक्त यहां आये विदेशी पर्यटकों की नजर इस विवेक पर गयी और फिर यही से विवेक के सपनो को एक नई उड़ान मिली और विदेशी पर्यटकों ने फ़ायनिसियल स्पोर्ट [आर्थिक मदद ] किया और धीरे – धीरे कारवां चलता रहा और आज बोधगया में 2 मंजिला 2 स्कूल चला रहे है।
जहां बच्चो को शिक्षा के साथ – साथ पोशाक,पठनपाठन सामग्री दी जाती है, वंही महादलित बस्ती की महिलाओं के लिए सिलाई |