खबरें टी वी –बिहार का वह कौन सा शहर है जहां सीताराम विवाह महोत्सव का होता है 50 साल पूर्व से आयोजन
बक्सर के राम जानकी मंदिर में 50 वा सीताराम विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया, सीताराम विवाह उत्सव देखने के लिए लाखों श्रद्धालुओ और संत महात्माओं की भीड़ जुटी। इस दौरान महोत्सव में भक्ति रस की सरिता खूब बही, सीताराम विवाह महोत्सव के दौरान भगवान श्री राम की बारात धूमधाम से निकली, हाथी घोड़े और बैंड बाजे के साथ प्रभु श्रीराम के साथ उनके सभी भाई भी उनके साथ थे। प्रभु की बारात का दृश्य देख भक्तों ने अपने आप को धन्य किया तो वही पुरे रात भगवान के विवाह तक भक्तिरस की सरिता में श्रद्धालु गोते लगाते रहे|
इधर इस राम सिया विवाह में वैसे सारे रीति-रिवाजों को निभाए जाते हैं जैसे आज के दिन हमारे घरों में शादियों में होते हैं, पालकी के सहारे जो कि स्थानीय लोग अपने कांधे पर लेकर पूरे राम परिवार को शादी के मंडप तक लाते हैं, फिर गाल सेकने का रिवाज होता है पैर धोने का रिवाज और उसके बाद फेरा लगाते हुए लावा या चावल लोगों के आंचल में डालते घूमते रहते हैं, उसके बाद सिंदूरदान सहित वह सारे वैवाहिक रस्म निभाए जाते हैं, जिसे देखने के लिए लाखों की भीड़ जमा होती है|
बक्सर में सिय -पिय मिलन महोत्सव को लेकर लोगों के बीच उत्साह का माहौल देखा गया। भारी संख्या में महिला और पुरुष श्रद्धालु विवाह महोत्सव में हिस्सा लिए। इस दौरान देश भर से महोत्सव में हिस्सा लेने बक्सर पहुंचे संतो का प्रवचन लोगो के लिए अमृत का काम करता रहा। 50 साल पहले श्री खाकी बाबा महराज जी ने सिय -पिय मिलन महोत्सव की सुरुआत किये थे।विवाह में श्रद्धालुओ की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा का प्रसाशन ने पुख्ता इंतज़ाम किये थे। राम जानकी आश्रम के महंथ और कार्यक्रम के आयोजक श्री राजाराम ने बताया की 50 वा वर्ष से चली आ रही है। इस परम्परा के लिए आस्था का केंद्र बने बक्सर का काफी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व है।
नौ दिन का कार्यक्रम प्रभु की कृपा से मोरारी बापू के राम कथा का रस स्रोत लिए।बताते चले कि यह आयोजन 50 साल पहले श्री खाकी बाबा महराज ने सिय -पिय मिलन महोत्सव की सुरुआत किये थे। उसी परम्परा को बक्सर वासी निभाते आ रहे है।खाकी बाबा के समाधि के बाद मामा जी महाराज के बाद अब राजराम महराज जी निभाते आ रहे है।