दोनों हाथों में जंजीर से जकड़ा, यह ना ही कोई क्रिमिनल और ना ही पागल है, फिर भी
यह कोई क्रिमिनल नहीं है और ना ही पागल इसकी गलती यह सिर्फ कि इसने समाज में कुछ गलत संगत के कारण अपना रहन सहन नशीला कर लिया समाज के कुछ बुरे लोग के चक्कर में आकर इसने अपना संसार मानो नशा में डुबो दिया पर सच ही कहा गया है कहावत है संगत से गुण होत है और संगत से गुण जात यानी संगति का काफी असर होता है लोगों की जिंदगी पर बुराई के साथ रहोगे तो बुरा ही सीखोगे परंतु अपना सगा कभी भी यह नहीं चाहेगा कि उसका कोई भी दिल का टुकड़ा गलत संगतो में रहे चाहे इसके लिए उसे अपने दिल के टुकड़े को भी जंजीर से क्यों न जकड़ना पड़े आखिर यह जंजीर जंजीर नहीं उस परिवार की ममता है जो कि हर हाल में चाहती है कि उसका बेटा नशे के लत को छोड़ दे और खुद के लिए एक अच्छा मुकाम ढूंढ ले जी हां यह कहानी सहरसा जिले के दिवारी गांव के रहने वाले सुभाष चंद्र यादव कि जो पिछले 1 सालों से अपने बेटे को जंजीर में लगाकर रखे हुए हैं|
पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र के बाहर एक पिता अपने बेटे को जंजीर से बेटे के दोनों हाथ में ताला लगाकर रखे हुए हैं तस्वीर में आप साफ़ देख सकते हैं किस तरह एक पिता अपने पुत्र को जंजीर में ताला लगा कर रखे हुए हैं बेटा नशे का आदी हो चुका है साल भर से नशे का आदि बना प्रिया कुमार पिछले 1 वर्षों से अपने माता-पिता को परेशान किए हुए माता पिता लगातार बेटे का इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं और इन्हें आज जानकारी मिली की पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल नशा मुक्ति केंद्र में बेटे का इलाज हो सकता है, इसलिए नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल आज जंजीर में जकड़ कर बेटे को लाए हैं|
सहरसा जिले के दिवारी गांव के रहने वाले सुभाष चंद्र यादव पिछले 1 सालों से अपने बेटे को जंजीर में लगाकर रखे हुए हैं और काफी परेशान हैं एक पिता के लिए बुढ़ापे में पुत्र सहारा होता है, लेकिन आज नशे का आदी बन चुका प्रिया कुमार को आज भी पिता ही सहारा दे रहे हैं , बेटे की देखभाल के कारण पिता कोई काम भी नहीं कर पाते हैं, बेटा नशे में – शराब, गांजा, स्मैक, का आदी हो चुका है, सहरसा से नशेड़ी पुत्र को लाने में भी पिता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है|अगर आप में से कोई इस तरह के नशे की लत के आदि है तो कृपया अभी भी संभल जाए और इसे छोड़ दे यह हमारी तरफ से विनती होगी