November 22, 2024

ख़बरे टीवी – आखिर कहां के बच्चे भीख मांगना छोड़ आज महादलित बच्चे सीख रहे है, हिंदी, अंग्रेजी के साथ – साथ तिब्बती भाषा की कर रहे है पढाई, चरवाहा विद्यालय के पुराने भवन में चलता है यह विशेष स्कूल, आइए जानते हैं पूरी खबर

 

आखिर कहां के बच्चे भीख मांगना छोड़ आज महादलित बच्चे सीख रहे है, हिंदी, अंग्रेजी के साथ – साथ तिब्बती भाषा की कर रहे है पढाई, चरवाहा विद्यालय के पुराने भवन में चलता है यह विशेष स्कूल,शाम 3 से 6बजे तक सीखते है विदेशी भाषा, आइए जानते हैं पूरी खबर….

गया के बोधगया प्रखंड के बकरौर पंचायत के महादलित टोले के पुराने चरवाहा स्कूल में गॉव के ही रामजी माँझी निःशुल्क स्कूल चलाते है, यह स्कूल शाम 3 बजे से शरू होता है। जहा हिंदी, अंग्रेजी भाषाओं के साथ साथ तिब्बती बोलना भी सीखते है। इस विद्यालय में ज्यादातर महादलित टोले के बच्चे है जो यहा पढ़ने आने से पहले गॉव के सुजातागढ़ बौद्ध धर्मिक स्थल पर विदेशी पर्यटकों से भीख मांगते थे। अब यह भीख मांगना छोड़ कर स्कूल में अतिथि देवो भवः के लिए तिब्बती भाषा सीख रहे है। जो हाथ कल तक भीख मांगने के लिए फैलाया करते थे, अब वह हाथ पढाई में लगी है और तिब्बती भाषा सीख कर यहा आने वाले पर्यटकों के मददगार साबित होंगे, चुकी उनकी ही भाषा मे उनकी जानकारी यह बच्चे देंगे। करीब 110 बच्चे यंहा पढाई में लगे है।

यहा के शिक्षक रामजी मांझी ने बताया कि गॉव के महादलित बच्चे ज्यादातर भीख मांगने का काम करते थे, लेकिन शाम में संचालित स्कूल के खुल जाने के कारण सभी बच्चे यहा पढ़ने आते है। बताया कि जब बिहार सीएम लालू प्रसाद यादव थे, उस वक्त चरवाहा स्कूल खोला गया था|  कुछ हीं दिनों के बाद स्कूल बंद हो गया धीरे – धीरे स्कूल का भवन छतिग्रस्त होता गया। वही रामजी माँझी बताते है, कि भवन का मरम्मती कर इसी स्कूल में सभी बच्चे पढाई करवाते है, वही रामजी मांझी ने बताया की सभी बच्चो को पढ़ाने से पहले हमने शर्त रखा की जो बच्चा यहा पढ़ना चाहता है, वह मंदिर में भीख मांगने नहीं जायेगा, अब जो बच्चे यहा पढ़ने आते है वह बच्चे मंदिर में भीख मांगने नहीं जाते है|

वही स्कूल में पढ़ने आने वाले बच्चो ने बताया की हमलोग पहले मंदिर में विदेशियों से पैसा मंगाते थे, उन्ही लोगो के भाषा में अब हमलोग भीख मांगने नहीं जाते है अब हमलोग यहा स्कूल में पढ़ने आते है|