ख़बरे टीवी – प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 दिवस पर देशव्यापी कार्यक्रम के अंतर्गत बिहारशरीफ के माले जिला कार्यालय में, छः सूत्री मांगों को लेकर इनौस का धरना.
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 दिवस पर देशव्यापी कार्यक्रम के अंतर्गत बिहारशरीफ के माले जिला कार्यालय में, छः सूत्री मांगों को लेकर इनौस का धरना.
( ख़बरे टीवी – 9523505786 ) – बिहारशरीफ, 10 मई (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 दिवस) पर देशव्यापी कार्यक्रम के अंतर्गत बिहारशरीफ के माले जिला कार्यालय में इनौस ने धरना दिया .
विशाखापट्टनम गैस लीक और महाराष्ट्र में ट्रेन ट्रैक पर मौत की घटना पर 2 मिनट का मौन शोक रखकर धरना की शुरुआत की गई . धरना के माध्यम से छह सूत्री मांग किया गया.
1.औरंगाबाद एवं विशाखापट्टनम सहित लॉकडाउन के दौरान मारे गए सभी मजदूरों के परिवार को एक करोड़ मुआवजा दो .
2. पीएम केयर फंड का इस्तेमाल कर सभी मजदूरों को सुरक्षित घर वापसी की गारंटी करो.
3. सभी मजदूरों व बेरोजगार हुए नौजवानों के अकाउंट में 10000 रुपैया मुआवजा राशि ट्रांसफर करो.
4. तमाम क्वॉरेंटाइन केंद्रों पर रहने खाने और स्वास्थ्य सुविधा का बेहतर प्रबंध करो .
5. सभी ब्लॉक स्तर के हॉस्पिटलों में इलाज की व्यवस्था किया जाए.
6. सभी स्कूली बच्चों को उनके घर तक किताबें छात्रवृत्ति और मध्यान भोजन पहुंचाया जाए.
धरना में माले के जिला कमेटी सदस्य पाल बिहारीलाल ,एक्टू के राज्य उपाध्यक्ष मकसूदन शर्मा, रामप्रीत केवट ,जगदीश दास शामिल हुए.
इस मौके पर धरना को संबोधित करते हुए इनौस के जिला सचिव रामदेव चौधरी ने कहा कि विशाखापट्टनम मैं गैस लीक से हुई मौतें और औरंगाबाद में रेल पटरी पर इतने लोगों का मारा जाना दोनों घटनाओं की वजह लॉकडाउन है सरकार नाकाम है और मजदूरों के प्रति संवेदनहीन है इन घटनाओं से पहले लॉकडाउन के कारण 300 से ज्यादा मौतें हो चुकी है सरकार के अपराधिक अनदेखी के कारण करोड़ों मजदूर भारी मुसीबत का सामना कर रहे हैं, कई राज्यों में मजदूर बंधक बनाए जा रहे हैं। लाखों मजदूर पैदल अपने घरों के लिए जाने को मजबूर हैं। सरकार लॉक डाउन की आड़ में श्रम कानूनों को बदलने में लगी है, उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने तो श्रम कानूनों को 3 साल के लिए निरस्त कर दिया है, लॉक डाउन में सभी स्कूल बंद हैं, कुछ प्राइवेट स्कूलों में थोड़ी बहुत ऑनलाइन क्लास चलाने की चर्चाएं हैं, देश के 80% बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते है, जिन्हें अभी तक किताबें नहीं दी गई है, और छात्रवृत्ति भी रोक दिया गया है, जिसके कारण छात्रों की घर पर पढ़ाई संभव नहीं हो पा रही है.