ख़बरे टीवी – सेवा टूट हो जाने की भय दिखाकर हड़ताली शिक्षकों को न डराए सरकार, नियोजित सरकार की समस्या नहीं समाधान है, परंतु शीघ्र हो उनके समस्याओं का निदान
सेवा टूट हो जाने की भय दिखाकर हड़ताली शिक्षकों को न डराए सरकार, नियोजित सरकार की समस्या नहीं समाधान है, परंतु शीघ्र हो उनके समस्याओं का निदान।
रंजीत कुमार, ख़बरे टीवी (बिहार शरीफ) – बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति नालंदा इकाई के अध्यक्ष मंडल सदस्य सह नवनियुक्त माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष संजीत कुमार शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार व पदाधिकारी वर्ग सूबे बिहार के प्रारंभिक से लेकर उच्चर माध्यमिक तक के चार लाख हड़ताली नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के हड़ताल को कमजोर करने के लिए विभिन्न तरह के हथकंडे अपितु f.i.r. निलंबन ,बर्खास्तगी आदि की गई दमनात्मक कार्रवाई वापसी लंबित वेतन भुगतान आदि लोभ लालच देने समेत 90 दिन की लगातार हड़ताल अवधि पूरी होने के उपरांत सेवा ब्रेक हो जाने की भी धमकियां दी जा रही बावजूद नियोजित शिक्षक एवं पुस्तकालय अध्यक्ष अपनी मांगों को लेकर दृढ़प्रतिज्ञ है और विगत 17 फरवरी से हड़ताल पर अड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चाहे जिस तरह की भी लोकलुभावन हथकंडे या दमनात्मक कार्रवाई करने की गीदड़ भभकी देते रहे परंतु हड़ताली नियोजित शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष अपनी मांगों की पूर्ति तक झुकने वाले नहीं हैं
उन्होंने कहा कि हड़ताल तुड़वाने के लिए राज्य सरकार व सरकारी तंत्र प्रदेश नेतृत्व से लेकर जिला नेतृत्व को विभिन्न षड्यंत्र के तहत हड़ताली शिक्षकों के बीच बदनाम व दिशाहीन करने पर तुली है इसी कड़ी में समन्वय समिति नालंदा इकाई के जिला संयोजक को भी षड्यंत्र के शिकार बनाने की असफल प्रयास की गई जिसे जिला संयोजक ने बखुबी सुझबुझ के साथ ससमय उनके मंशा पर पानी फेरने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस जैसे महामारी में स्वास्थ ,सुरक्षा शिक्षा ,साहूकारी( बैंक) कर्मी समेत अन्य मानव सेवी संगठनों द्वारा भूखे प्यासे लोगों को भोजन व अन्य जरूरी समान उपलब्ध कराकर हर तरह से लॉक डाउन और फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं और इसी में इन सब की जानकारी व सूचनाएं के लिए समाचार से जुड़े लोग अपितु मीडिया कर्मी भी अपनी जान जोखिम पर रखकर जन सेवा कर रहे हैं इसलिए राज्य सरकार के द्वारा ऐसे मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों को बीस लाख रुपए का बीमा पालिसी की जानी चाहिए ताकि इनके आत्म विश्वास बढे और निर्भीक होकर अच्छे ढंग से लॉक डाउन और कोरोनावायरस जैसे महामारी से निपटने के लिए आ रही समस्याएं आदि का एहसास करा सकें और राज्य के कोने कोने में रह रहे जन जन की समस्याओं को सरकार तक पहुंचा सके।
उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षक सरकार की समस्या या मुसीबत नहीं बल्कि सरकार उनके समस्याओं का निराकरण शीघ्र करें चुकी 70 दिन की हड़ताल अवधि में लॉक डाउन व भुखमरी के वजह से हमारे 63 हड़ताली शिक्षक भाई-बहनों की जानें गईं हैं और लॉक डाउन व नीतीश सरकार की शिक्षक विरोधी नीति में सबसे ज्यादा घाटा नियोजित शिक्षकों का ही हुआ है एक तो राशन कार्ड या अन्य सरकारी मदद भी नहीं दूसरे 3 माह से लंबित वेतन नहीं मिलने के कारण दर्जनों शिक्षक दम तोड चुके और शेष भुखमरी के कगार पर है।सरकार समस्या निराकरण के लिए संवेदनशील नहीं अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई है जो दूर्भाग्यपूर्ण है।