ख़बरे टीवी – नोबेल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉक डाउन की अवधि में कृषि कार्यों को इससे मुक्त रखा गया है. किसी तरह का व्यवधान नहीं हो
नोबेल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉक डाउन की अवधि में कृषि कार्यों को इससे मुक्त रखा गया है. किसी तरह का व्यवधान नहीं हो – जिला पदाधिकारी
नोबेल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉक डाउन की अवधि में कृषि कार्यों को इससे मुक्त रखा गया है।
कृषि कार्यों को सुगम बनाए रखने हेतु जिला पदाधिकारी ने आज जिला कृषि पदाधिकारी, सहायक निदेशक उद्यान, जिला पशुपालन पदाधिकारी आदि के साथ बैठक की।
सभी पदाधिकारियों को स्पष्ट रूप से बताया गया कि लॉक डाउन की अवधि में कृषि एवं इससे संबंधित कार्यों पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को किसी भी तरह की कठिनाई नहीं हो। इसके लिए कृषि कार्यों में प्रयुक्त होने वाले वाहनों को आवश्यकतानुसार संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी/ अनुमंडल पदाधिकारी के स्तर से पास निर्गत किया जाएगा। जिला पदाधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी को आवश्यकतानुसार वाहनों के लिए सक्षम स्तर से पास निर्गत कराने का निर्देश दिया।
लॉक डाउन की अवधि में मांस, मछली, मुर्गा आदि की बिक्री पर भी किसी भी तरह की रोक नहीं है। जिला पदाधिकारी ने जिला पशुपालन पदाधिकारी को मांस, मछली, मुर्गा के विक्रेताओं से संपर्क कर दुकानों को खुला रखने का निर्देश दिया। जहां भी आवश्यकता हो तो परिवहन के लिए सक्षम स्तर से वाहन का पास निर्गत कराने का निर्देश दिया गया।
गर्मी के मौसम को देखते हुए भू-जल स्तर पर सतत निगरानी रखने का निर्देश पीएचईडी के अभियंताओं को जिला पदाधिकारी ने दिया।
इस संबंध में उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों के साथ बैठक की।
सभी नगर निकायों को बताया गया कि लॉक डाउन की अवधि में नल जल योजना के कार्य पर रोक नहीं है, इसलिए नल जल की योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जाए। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में सोशल डिस्टेंसिंग एवं सैनिटाइजेशन को लेकर सरकार एवं विभाग के स्तर से बरती जाने वाली सावधानियों का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया। इन कार्यों में लगे श्रमिकों एवं कर्मियों को मास्क एवं सैनिटाइजर आदि आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराकर ही कार्य कराने का निर्देश दिया गया।
पीएचईडी के अभियंताओं को भूजल के स्तर की सतत निगरानी सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया। जहां भूजल का स्तर अधिक नीचे पाया जा रहा है, वहां आसपास के चापाकलों की स्थिति का सर्वे करा कर आवश्यकतानुसार मरम्मती सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया।