October 19, 2024

#nalanda: नवनिर्मित मंदिर में हनुमान जी की हुई प्राण प्रतिष्ठा, श्रद्धालुओ की उमड़ी भीड़ …. जानिए

 

 

 

 

 

हनुमान जी की मूर्ति की हुई प्राण प्रतिष्ठा…

नवनिर्मित मंदिर में हनुमान जी की हुईं प्राण प्रतिष्ठा , उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि सुरेश सिंह ने पूजन कर सर्वमंगल की कामना

नवनिर्मित मंदिर में हनुमान जी की हुई प्राण प्रतिष्ठा, श्रद्धालुओ की उमड़ी भीड़ ….

 

 

 

 

 

 

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खबरें टी वी: हरनौत स्थानीय बाजार के हर-हर महादेव धर्मशाला स्थित नवनिर्मित मंदिर में संकट मोचन हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा रविवार को विधि विधान पूर्वक की गई। यज्ञ के आचार्य सुनील पांडेय एवं चंद्रकांत पांडेय ने बताया प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तीन दिवसीय यज्ञ का आयोजन किया गया है। जिसमें दूसरे दिन अग्निपूजा , वेदी पूजन ,नगर भ्रमण व अखंड कीर्तन शुरू हुआ।इसके बाद हनुमान लला जी की प्राण प्रतिष्ठा में
108 क्लश से महास्नान व शृंगार किया गया।हनुमानजी को भोग लगाकर आरती की गई।इस दौरान लोगों ने हनुमान जी के जयकारे से बाजार का वातावरण भक्तिमय हो गया। वहीं इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी सह स्थानीय नपं के उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि सुरेश सिंह शामिल हुए इस दौरान उन्होंने हनुमान जी की पूजा-अर्चना कर सर्वमंगल की कामना करते हुए आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा से समाज में फैली बुराइयों का नाश होता है। लोगों में आत्मविश्वास का संचार होता है।
मौके पर लवकुश मंडली के लल्लू कुमार , शिव कुमार , पंकज राज के साथ-साथ नवीन पांडेय , मनोज पांडेय , नवल-किशोर पांडेय मोनू पांडेय आदि आचार्य व पंडित मौजूद थे। वहीं आज सोमवार को स्वाहाकार , हवन एवं पुराचरण , प्रसाद वितरण एवं भंडारा के साथ महायज्ञ संपन्न होगा।

क्या है हनुमान जी के गदा का महत्व

यज्ञ आचार्य व पंडितों ने बताया कि मान्यता के अनुसार हनुमान का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। वहीं नए शोधानुसार प्रभु श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था। उन्होंने ने कहा श्रीराम के जन्म के पूर्व हनुमानजी का जन्म हुआ था । वे भगवान श्रीराम के परम भक्त माने जाते हैं।वे अजर अमर भी माने जाते हैं।हनुमान जी के पास ऐसी दैवीय शक्तियां हैं, जो अन्य किसी भी देव में नहीं हैं। उनका रूप विशालकाय है। हनुमान जी के पास अनेक अस्त्र-शस्त्र हैं, जिनमें पहले स्थान पर उनका गदा आता है।यह गदा दाए हाथ में रखते हैं, इसलिए हनुमान जी को वामहस्तगदायुक्तम् भी कहा जाता है।जो धन के राजा कुबेर ने हनुमान जी की शक्तियों से प्रसन्न होकर भेंट की थी। कुबेर जी ने हनुमान जी को गदा देते समय वरदान दिया था कि इस गदा को हाथ में लेकर वे कभी भी किसी भी युद्ध में परास्त नहीं होंगे।भूत-प्रेत भी हनुमान जी से भयभीत रहते हैं।

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