ख़बरे टीवी – स्नातक अधिकार मंच के प्रत्याशी दिलीप कुमार ने की स्नातक वोटरों से अपील- वह उनको एक एक वोट देकर जीत दिलाए ताकि जीतने के बाद भी करेंगे स्नातकों की हित की बात, स्नातकों को भी मिले हर माह 10,000 का गुजर बसर भत्ता
स्नातक अधिकार मंच के प्रत्याशी दिलीप कुमार ने की स्नातक वोटरों से अपील- वह उनको एक एक वोट देकर जीत दिलाए ताकि जीतने के बाद भी करेंगे स्नातकों की हित की बात, स्नातकों को भी मिले हर माह 10,000 का गुजर बसर भत्ता
बिहारशरीफ के सभागार में स्नातक अधिकार मंच पटना, नालंदा, नवादा की ओर से एक संवाददाता सम्मेलन, मंच के संयोजक दिलीप कुमार के द्वारा किया गया, संवादाता सम्मेलन में सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिलीप कुमार ने कहा कि आगामी अप्रैल 2020 में स्नातक विधान पार्षद के चुनाव में वह पटना स्नातक क्षेत्र से स्नातक अधिकार मंच की ओर से प्रत्याशी होंगे, अभी तक पूरे स्नातक वोटरों की संख्या एक लाख उन्नीस हजार है, उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि आज तक इस सीट से जितने भी प्रत्याशी विजय हुए हैं वह स्नातकों का वोट लेकर उन्हें भूल जाते हैं, जो भी प्रत्याशी विधान पार्षद बनकर सदन में बैठे हैं, आज तक उन्होंने कभी सदन में स्नातकों की बदहाली की ना तो कभी चर्चा की और ना ही स्नातक सीट में विजय होने के उपरांत उन्हें मिलने वाला फंड किसी भी विधान पार्षद ने स्नातकों के लिए खर्च किया |
पटना स्नातक क्षेत्र की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र 3 जिला क्रमशः पटना, नालंदा और नवादा को मिलाकर बनाया गया है इसमें सबसे अधिक पढ़े लिखो की संख्या पिछड़ा, दलित एवं अल्पसंख्यकों की आती है, फिर भी इस सीट से विजय होने वाले आज तक जो भी आए हैं, उन्होंने इस समाज की उपेक्षा ही की है, वैसे भी जनसंख्या के हिसाब से यह क्षेत्र में पिछड़े दलित एवं अल्पसंख्यकों की आबादी अच्छी है, उन्होंने पटना स्नातक के वर्तमान विधान पार्षद से भी प्रश्न किया है, कि स्नातकों के बीच जाकर अवश्य बताएं कि उन्होंने सदन से लेकर सड़क तक कौन कौन सा काम अपने स्नातक वोटरों के लिए किया उन्होंने कहा कि इस 4 महीने में, मैं जहां भी जिस क्षेत्र के गांव में भी घुमा हूं कहीं भी किसी पिछड़ा दलित या अल्पसंख्यक बस्तियों में एक रुपए का भी फंड खर्च नहीं किया गया |
विधान पार्षद तो बन जाते हैं स्नातक वोटरों से लेकर लेकिन उसके बाद भी उन्हें भूल जाते हैं, दिलीप कुमार ने अधिकार मंच की व्यापकता की चर्चा करते हुए कहा कि यह मंच सभी स्नातकों को समान अधिकार दिलाने के लिए बनाया गया है| इस मंच की शुरुआत ही ” मैं भी स्नातक वोट मेरा अधिकार” से की गई है साथ ही उन्होंने कहा कि बेरोजगार स्नातकों की लड़ाई अंतिम सांस तक इस मंच के माध्यम से लड़ते रहेंगे, इस मंच का विस्तार पूरे बिहार राज्य तक किया जाएगा, उसके बाद बिहार के सभी स्नातकों के समर्थन से इसे देशव्यापी आंदोलन का रूप दिया जाएगा , उन्होंने अपनी चर्चा करते हुए बताया कि सरकार से उनकी मांग है कि सिर्फ पटना स्नातक तक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार के सभी प्रखंडों में एक एक स्नातक भवन का निर्माण करवाया जाए ताकि वहां बैठकर स्नातक लोग अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचा सके, उन्होंने पढ़े लिखे हुए स्नातकों की तरफ से बोलते हुए कहा कि जो भी लोग ग्रेजुएट हो चुके हैं, वह लोग मजदूरी तो नहीं कर सकते, पढ़ लिख कर कोई रिक्शा चलाए कोई ठेला चलाएं तो कोई पान की दुकान खोलें यह चिंतनीय विषय के साथ-साथ सरकार को भी शर्मसार करने की बात है|
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए दसवीं की परीक्षा में फर्स्ट डिवीजन लाने पर ₹10000 देकर आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहन देती है, उन्हीं में से लोग आगे चलकर स्नातक और ऊंची पढ़ाई पढ़कर भी बेरोजगार रह जाते हैं, सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे पाती है, वैसे स्नातक जिन की नौकरी की समय सीमा समाप्त हो गई है उन्हें बेरोजगारी भत्ता के रूप में मासिक राशि 10000 रुपैया का भुगतान अवश्य करना चाहिए, ताकि वह अपना जीवन बसर कर सके, स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को भी आगे पढ़ने एवं जब तक नौकरी नहीं मिलती है तब तक उन्हें आगे की पढ़ाई एवं नौकरी की तैयारी के लिए भी कुछ ना कुछ मासिक भत्ता दिया जाना चाहिए| उन्होंने कहा कि सरकार जब मनरेगा मजदूर को 100 दिन कि काम की गारंटी का जिमा लेकर उसे 100 दिन की मजदूरी का भुगतान किया जाता है, तो उन्होंने सरकार से मांग किया कि जिस तरह से किसी विभाग का आयोग बनाया हुआ है उसी प्रकार स्नातकों के की हित की रक्षा के लिए स्नातक आयोग का गठन किया जाए|
दिलीप कुमार ने बिहार में हो रहे शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार एवं दोरंगी नीति की भी चर्चा करते हुए कहा कि यह कैसी विडंबना है कि जो शिक्षक समाज को अच्छी शिक्षा देते हैं, जिनका समाज के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है, उन्हीं को सरकार नियोजित करके यानी नियोजन के तहत बहाली करके उनकी हकमारी करने में लगी है, इन शिक्षकों के द्वारा ही पढ़ाए गए बच्चे आगे चलकर कोई आईएस कोई वीडियो कोई सीओ कोई सरकारी उच्च पद पर कायम होते हैं, वह नियोजित नहीं होते हैं उनकी नौकरी परमानेंट हो कहलाती है बल्कि वह सरकार की सारी सुविधाएं पाते हैं, लेकिन उन्हें ज्ञान दर्शन देकर उनका भविष्य संभालने वाले शिक्षक नियोजित शिक्षक कहलाते हैं |
अधिकार मंच और सभी नियोजित कर्मियों की आवाज उठाने के लिए कटिबद्ध हैं, अधिकार मंच पूरे राज्य स्तर पर उन सभी नियोजित की लड़ाई लड़ेगी जिसको सरकार ने उनका हक देने से वंचित कर रखा है| संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दिलीप कुमार ने कहा कि वैसे भी इस बार स्नातक क्षेत्र में के मतदाताओं ने अपना मन बना लिया है कि जिन्होंने भी पूर्व में उनका वोट लेकर जिन्हें ठगने का काम किया है जिन्होंने उनको वोट नहीं करेंगे| वैसे भी इस बार नए एवं नौजवान वोटरों की संख्या अधिक है और नौजवान स्नातक अधिकार मंच से जुड़े चुके हैं, नौजवानों का सहयोग इस बार दिलीप कुमार के साथ है, अंत में दिलीप कुमार ने स्नातक मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि यह चुनाव कर्म युद्ध है इस चुनाव में वह जाति धर्म संप्रदाय एवं दलगत भावना से ऊपर उठकर सोच समझकर सच्चाई का साथ देकर अपना एक-एक मत दिलीप कुमार को दें एवं अपनी स्नातक की लड़ाई को आगे बढ़ाएं| उन्होंने फिर से स्नातकों को जगाने के लिए कहा कि
यह ध्यान जरूर रहे कि स्नातक छूटे नहीं वोट देने से चुके नहीं | इस मौके पर उदय शंकर कुशवाहा, अरविंद कुमार यादव- जिला परिषद रहुई, सत्येंद्र पासवान- पूर्व मुखिया नकटपूरा, प्रोफेसर नयाब अली, मुन्ना कुमार पांडे , जितेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे|