विरासत 2025 के माध्यम से नालंदा विश्वविद्यालय में झलकी भारत की जीवंत लोक परंपरा: पुरुलिया छऊ की मनमोहक प्रस्तुति ने मोहा अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को…

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#ख़बरें Tv: राजगीर, नालंदा (23 नवंबर 2025): नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर उस समय उत्सवमय हो उठा जब पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से आए प्रख्यात लोक कलाकारों ने अपनी ऊर्जावान ‘पुरुलिया छाऊ’ नृत्य प्रस्तुति से विरासत 2025 सांस्कृतिक श्रृंखला का भव्य उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय के स्पिक मैके चैप्टर द्वारा सुषमा स्वराज सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में 20 से अधिक देशों के विद्यार्थियों ने भाग लेकर भारत की जीवंत लोक परंपराओं और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का सजीव अनुभव किया।
पुरुलिया के कलाकारों ने अपने ओजपूर्ण नृत्य, युद्धक मुद्राओं, मनमोहक नाट्याभिनय और दुर्गा सप्तशती के महिषासुर वध प्रसंगों के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान, भव्य मुखौटे और ढोल, धमसा, बांसुरी तथा शहनाई की गूंजती ध्वनियों ने वातावरण को लोक-संवेदना और आध्यात्मिकता से भर दिया।
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले से उत्पन्न यह नृत्य शास्त्र महाकाव्यात्मक विषयों पर आधारित है, जिसमें रामायण, महाभारत और अन्य पौराणिक कथाओं के प्रसंगों का सशक्त मंचन होता है। यह कला वहां के धार्मिक उत्सवों और अनुष्ठानों का अभिन्न अंग है। आकर्षक मुखौटे, विशिष्ट नृत्य-शैली और मनोहारी रंग-सज्जा ने इसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है।
कार्यक्रम के बारे में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कलाकारों और स्पिक मैके टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे इन परंपराओं से गहराई से जुड़ें, क्योंकि सांस्कृतिक समझ नालंदा विश्वविद्यालय की वैश्विक दृष्टि को भारतीय सभ्यता के मूल्यों से जोड़ती है।
स्पिक मैके संस्था निरंतर भारतीय शास्त्रीय और लोक कलाओं को युवाओं तक पहुँचाने का कार्य कर रही है, ताकि संस्कृति केवल अध्ययन का विषय न रहकर एक आत्मानुभूत अनुभव बन सके।
विरासत 2025 के अंतर्गत नालंदा विश्वविद्यालय में भारतीय शास्त्रीय परंपराओं की विविधता और गहराई को प्रस्तुत करने हेतु कई कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। पुरुलिया छाऊ प्रस्तुति के उपरांत आगामी 26 नवंबर को प्रसिद्ध संगीतज्ञ पंडित साजन मिश्रा की शास्त्रीय गायन संध्या और उसके बाद 28 नवंबर को गौतम काले का हिंदुस्तानी संगीत कार्यक्रम भी प्रस्तावित है। साथ ही, गौतम काले विश्वविद्यालय में चार दिवसीय हिंदुस्तानी संगीत कार्यशाला का संचालन भी करेंगे, जिसमें भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी संगीत की परंपरा और स्वर साधना की बारीकियों से परिचित होंगे।
नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह संपूर्ण श्रृंखला आज के युवाओं को भारत की शाश्वत सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास है, जहाँ परंपरा, अध्ययन और सृजन का अद्भुत संगम साकार होता है।
