November 22, 2024

ख़बरे टी वी – निर्भया कांड के दोषियों को इस महीने के आखरी तक फांसी दी जा सकती है, 10 फांसी का फंदा 1 सप्ताह के अंदर बक्सर सेंट्रल जेल को मिला है ऑर्डर

बक्सर जेल को मिले 10 फांसी के फंदे बनाने के ऑर्डर निर्भया कांड के दोषियों की राष्ट्रपति के यहां माफीनामा पहुंचने की वजह से लग रहे हैं अनुमान शायद उन्हीं दोषियों को मिलेगी फांसी, क्योंकि जैसा मानवता को शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम उन्होंने दिया है उसकी माफी तो कहीं भी नहीं होनी चाहिए |

निर्भया के कातिलो को फासी देने के फरमान के बाद बक्सर सेंट्रल जेल में फासी की रस्सी तैयार करने कि कवायद सुरु हो गया है। बताया जा रहा है कि चारों गुनाहगारों को बक्सर जेल में बने फंदे पर लटकाया जाएगा।

सबसे वेहतर धागा के लिए जे- 34 घागा का इस्तेमाल किया जाता है। तीनो रसी को एक मशीन में घुमाकर एक 16 फिट की मोटी रस्सी तैयार किया जाता था।जिसे फासी वाले कैदियों को फासी दी जाती है।बताया जाता है कि 1844 ई. में अंग्रेज शासकों द्वारा केंद्रीय कारा बक्सर में मौत का फंदा तैयार करने की फैक्ट्री लगाई गई थी। इससे पहले यह रस्सी फिलिपिंस के मनीला जेल में बनती थी। इसलिए इसे मनीला रस्सी भी कहा जाता है। देश में जब-जब मौत का फरमान जारी होता है,तो केंद्रीय कारा, बक्सर के कैदी ही मौत का फंदा तैयार करते हैं। जानकर बताते है कि बक्सर सेंट्रल जेल की रसी से अब तक 28 लोगो फासी दी जा चुकी है।

मीडिया के 1 वर्ग द्वारा यह कयास लगाया जा रहा है कि 16 दिसंबर 2012 में दिल्ली के एक चलती बस में एक युवती के साथ बलात्कार के मामले में चार दोषियों को इस महीने के आखरी तक फांसी दी जा सकती है,

वही हैदराबाद में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार एवं जलाकर मार देने वाला सभी दोषियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार देने के बाद पूरे देश में निर्भया कांड के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग जोरों पर है|

हालांकि बक्सर जेल प्रबंधन के कोई भी अधिकारी को यह पता नहीं है कि यह आखिर फांसी के फंदे का आर्डर कहां और किसके लिए मिला है या यूं कहें कि वह इस बारे में बताना नहीं चाहते

 जब जेल अधिकारियों से पूछा गया कि आखिर पिछले बार इस बक्सर जेल से कब और कहां और किसके लिए फांसी का फंदा गया था तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताएं कि वर्तमान में अफजल गुरु की फांसी के लिए फांसी का फंदा इसी जेल से गया और सन 2016 – 2017 में दो फांसी का फंदा पटियाला जेल को भेजा गया था, अभी जानकारी के अनुसार 10 फांसी का फंदा 1 सप्ताह के अंदर बक्सर जेल को देना है कुछ सवाल इस फांसी के फंदे को बनाने की विधि को लेकर थी, जिसमें उन्होंने बताया कि पहले हां कपास से सूत बनाने की विधि हुआ करती थी जिसमें इसे मुलायम बनाने के लिए मौसराइस करने की जरूरत पड़ती थी |

और कुल 6 लच्छी को रात में गंगा नदी के नमी और ओस से मुलायम किया जाता था।जिसे तिन रस्सी तैयार किया जाता था । इसके लिए बिहार में दो ऐसे जेल थे जो गंगा नदी के कछार पर बसे हुए थे एक बक्सर तो दूसरा भागलपुर परंतु अब जो है सरकार के सप्लायर के द्वारा जे – 34 नामक कच्चा सूत खरीद ली जाती है और जानकार बताते है की 154 धागे को मशीन पिरोकर घिसाई के बाद बनाया जाता है। फिर उसे मोटर से संचालित मशीन में इससे पहले 154 धागों का सूत को 6 लट में तब्दील किया जाता है और फिर इसी तरह 7200 धागों से मिलकर एक रस्सी तैयार होती है|

जिसकी लंबाई 16 फिट होती है साथ ही इसमें जहां पर फंदे तैयार होते हैं वहां सर्किल के पास एक पीतल का बूस दिया जाता है जो कि फांसी देते समय उस इंसान के गर्दन के ठीक नरेटी (गर्दन के पास से गुजरती सांस की नली ) के पास जाकर फिक्स हो जाता है

जो कि ना तो खुलता है और ना ही ससरता है और व्यक्ति तब तक लटका रहता है जब तक उसकी सांस रुक कर जान न चली जाय।