October 21, 2024

#bihar: आगामी 12 नबंबर, कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी के दिन को खाटू श्याम जी की जन्मोत्सव…. जानिए

 

 

 

 

 

 

 

 

 

आगामी 12 नबंबर, कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी के दिन को खाटू श्याम जी की जन्मोत्सव….

 

 

 

 

 

 

 

ख़बरें टी वी : पिछले 14 वर्षो से ख़बर में सर्वश्रेष्ठ.. ख़बरें टी वी ” आप सब की आवाज ” …आप या आपके आसपास की खबरों के लिए हमारे इस नंबर पर खबर को व्हाट्सएप पर शेयर करें… ई. शिव कुमार, “ई. राज” -9334598481.

.. हमारी मुहिम .. नशा मुक्त हर घर .. बच्चे और नवयुवक ड्रग्स छोड़ें .. जीवन बचाएं, जीवन अनमोल है .. नशा करने वाले संगति से बचे ..

… हमारे प्लेटफार्म पर गूगल द्वारा प्रसारित विज्ञापन का हमारे चैनल के द्वारा कोई निजी परामर्श नहीं है, वह स्वतः प्रसारित होता है …

 

 

 

 

ख़बरें टी वी: बिहारशरीफ के नेशनल हाइवे 20 , पिलर नंबर 29 स्थित जॉन डियर शो रूम में आगामी 12 नबंबर, कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी के दिन को खाटू श्याम जी की जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. जिसे लेकर आज श्याम परिवार की ओर से बैठक आयोजित किया गया, जहां लोगो ने इनकी महिमा का व्याख्या किया.

खाटू श्याम जी की कहानी के बारे में बताया जाता है कि, भगवान कृष्ण ने दिया था इन्हें कलियुग में पूजे जाने का वरदान।
पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था।

 

 

खाटू श्याम जी को भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाने जाते है। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित श्याम बाबा के भव्य मंदिर में दर्शन के लिए हर दिन लाखों भक्त पहुंचते हैं। मान्यता है कि श्याम बाबा सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, और इनकी ऐसी क्षमता है कि फर्श से अर्श तक पहुंचा सकते हैं।
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था।
वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए भटक रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया था, जिसे घटोत्कच कहा जाता था। घटोत्कच से बर्बरीक पुत्र हुआ। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने जब उनसे पूछा वो युद्ध में किसकी तरफ़ से रहेंगे, तो उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे।

 

 

भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे, और उन्हें डर था कि कहीं पांडवों के लिए युद्ध उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे सिर मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको सिर स्वेच्छा से दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की।

श्रीकृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्रीकृष्ण की वजह से मिली है। क्योंकि हार को जीत में बदलने वाले खाटू श्याम महाराज ने अपने स्वेच्छा से अपना जान श्री कृष्ण के लिए न्योछावर कर दिया था। और इसी बजह से जीत पांडवों की हुई थी। और यही वजह थी कि भगवान श्रीकृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न हुए थे, और कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया था। जिसके वजह से आज लाखों लाख की संख्या में इनके श्रद्धालु उनके दर पर दर्शन करने के लिए जाते हैं। जहां उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है। आज इस अवसर पर जॉन डियर के सचालक नीतीश कुमार, अजीत कुमार, सुशील अग्रवाल के साथ कई लोग मौजूद थे।

 

Other Important News