November 23, 2024

#nalanda: भोजपुरी के शेक्सपियर लोक कलाकार भिखारी ठाकुर जी का जयंती मनाया गया….जानिए

 

 

 

 

 

 

 भोजपुरी के शेक्सपियर लोक कलाकार भिखारी ठाकुर जी का 136 वी जयंती मनाया गया….

 

 

 

 

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ख़बरें टी वी : 9334598481 : बिहार शरीफ ।भोजपुरी के शेक्सपियर लोक कलाकार भिखारी ठाकुर जी का जयंती पखवारा कार्यक्रम के तहत 136 वी जयंती सद्भावना मंच (भारत) के तत्वावधान में बिहार शरीफ स्थित कमरुद्दीगंज के किड्ज केयर कॉन्सेप्ट स्कूल में किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद् प्रो. डॉ.अनिल कुमार गुप्ता ने और संचालन नालंदा जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री महेंद्र कुमार विकल ने किया ।
मौके पर सर्वप्रथम लोक कलाकार भिखारी ठाकुर जी के तैल चित्र पर चुनाव आयोग के ब्रांड एम्बेसडर डॉ. मानव ,समाजसेवी संजय भाई, सद्भावना मंच (भारत) के संस्थापक दीपक कुमार, ई.सीताराम प्रसाद ,के एल गुप्ता ,बाल कल्याण समिति की सदस्या अंजू कुमारी ,ई. आनंदवर्धन सहित गणमान्य लोगो ने माल्यार्पण किया ।मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ.मानव ने कहा कि भिखारी ठाकुर सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जीवन भर आबाज उठाते रहे ।वे महान कलाकार थे ।वही सद्भावना मंच (भारत) के संस्थापक दीपक कुमार ने कहा कि
भिखारी ठाकुर भोजपुरी के समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक, लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे। वे बहु आयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे भोजपुरी गीतों एवं नाटकों की रचना एवं अपने सामाजिक कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। वे एक महान लोक कलाकार थे जिन्हें ‘भोजपुरी का शेक्शपीयर’ कहा जाता है।वे एक ही साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे।
भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसम्बर 1887 को बिहार के सारन जिले के कुतुबपुर (दियारा) गाँव में एक नाई परिवार में हुआ था। उनके पिताजी का नाम दल सिंगार ठाकुर व माताजी का नाम शिवकली देवी था। वे जीविकोपार्जन के लिये गाँव छोड़कर खड़गपुर चले गये। वहाँ उन्होने काफी पैसा कमाया किन्तु वे अपने काम से संतुष्ट नही थे।
अपने गाँव आकर उन्होने एक नृत्य मण्डली बनायी और रामलीला खेलने लगे। इसके साथ ही वे गाना गाते एवं सामाजिक कार्यों से भी जुड़े । इसके साथ ही उन्होने नाटक, गीत एवं पुस्तकें लिखना भी आरम्भ कर दिया। उनकी पुस्तकों की भाषा बहुत सरल थी जिससे लोग बहुत आकृष्ट हुए। उनकी लिखी किताबें वाराणसी, हावड़ा एवं छपरा से प्रकाशित हुईं।10 जुलाई 1971 को चौरासी वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।वही अध्यक्षता कर रहे प्रो.अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि भिखारी ठाकुर सामाजिक सांस्कृतिक क्रांति के अग्रदूत थे ।वही जाने माने समाजसेवी संजय भाई ने कहा कि भिखारी ठाकुर की कृतियो में
बिदेशिया, भाई-बिरोध
बेटी-बियोग या बेटि-बेचवा
कलयुग प्रेम,गोबर घिचोर
गंगा स्नान (अस्नान)
बिधवा-बिलाप, पुत्रबध
ननद-भौजाई,बहरा-बहार,
कलियुग-प्रेम,राधेश्याम-बहार,बिरहा-बहार,
नक़लभांड अ नेटुआ ,
अन्य शिव विवाह, भजन कीर्तन: राम, रामलीला गान, भजन कीर्तन: कृष्ण, माता भक्ति, आरती, बुढशाला के बयाँ, चौवर्ण पदवी, नयी बहार, शंका समाधान, आदि अनेकों प्रसिद्ध रचनाएं है । मौके पर कवि व चिंतक ई. सीताराम प्रसाद ने कहा कि भिखारी ठाकुर महान अनगढ़ हीरा, लोक कला व सांस्कृतिक विभूति थे ।उन्होंने नशा मुक्ति पर आधारित गीत प्रस्तुत कर चार चांद लगा दिया ।।इस कार्यक्रम में समाजसेवी अजय सिंह,अनिल कुमार पासवान ,रामदेव चौधरी ,प्रेमशिला जी, संजय जी ,राजीव रंजन पांडेय ,मोनी कुमारी ,संजय रजक ,राकेश चंद्रवंशी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।

 

 

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