नालन्दा विश्वविद्यालय में ईएएस सम्मेलन का सफल समापन, 3 एमओयू पर हस्ताक्षर…

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@ख़बरें Tv: राजगीर, नालन्दा, 19 सितम्बर 2025: तीन दिवसीय ईस्ट एशिया समिट (EAS) उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों का सम्मेलन तथा ऊर्जा दक्षता नीतियों एवं लाइफ (Lifestyle for Environment) पर ज्ञान-विनिमय कार्यशाला का आज समापन हुआ। इस अवसर पर नालन्दा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने समापन सत्र एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
ईएएस सम्मेलन के इस प्रथम संस्करण (17–19 सितम्बर) में आसियान देशों और भारत के 35 उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों ने भाग लिया। इनमें वियतनाम नेशनल यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, आर्थशास्त्र इंस्टीट्यूट (बाली), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (बेंगलुरु) और आईआईटी कानपुर सहित अन्य संस्थान शामिल थे।
सम्मेलन की मुख्य उपलब्धि नालन्दा विश्वविद्यालय द्वारा तीन प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर रही। ये संस्थान हैं, यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंसेज़ एंड ह्यूमैनिटीज (वियतनाम नेशनल यूनिवर्सिटी), इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज़ (MAKAIS)। विश्वविद्यालय परिसर के इंटरनेशनल कल्चरल सेंटर में हुए इस एमओयू समारोह से, एशिया में शैक्षणिक सहयोग, रिसर्च-पार्टनरशिप और नॉलेज-एक्सचेंज को नई दिशा मिलेगी।”
इस अवसर पर नालन्दा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कहा, “हमारी प्राथमिकता यह है कि अत्यधिक विशेषज्ञता के इस दौर में ऐसे संस्थागत ढाँचे तैयार किए जाएँ, जो मिलकर जटिल चुनौतियों का समाधान कर सकें और बड़े महत्व के मुद्दों को सुलझा सकें।” उन्होंने आगे विदेश मंत्रालय, रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज़ (RIS), द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI), आसियान साझेदारों तथा सभी सहभागी संस्थानों और मंचों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण सत्र, विषयगत संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जिनमें आपसी सहयोग के निरंतर प्रयासों और आसियान–भारत साझेदारी को और मजबूत करने पर सार्थक चर्चा हुई। सम्मलेन में शामिल प्रतिनिधियों ने नालन्दा के प्राचीन अवशेषों (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) का अवलोकन, और साथ ही भारतीय व्यंजनों का स्वाद, और केरल की पारंपरिक मार्शल आर्ट ‘कलरिपयट्टू’ के प्रदर्शन का लुत्फ़ भी उठाया। सम्मलेन के आखिरी दिन, नालन्दा विश्वविद्यालय की शोध-सहयोग पहल से जुड़ी विशेष संगोष्ठी में भी सभी ने अपने विचार साझा किये।
सम्मलेन का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि नालन्दा की धरोहर से प्रेरणा लेते हुए ज्ञान, सतत विकास और सांस्कृतिक सहयोग को और आगे बढ़ाया जाएगा।
