ख़बरे टीवी – साथी परिषद के अध्यक्ष आलोक आजाद ने माननीय प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री भारत सरकार को पत्र लिख निवेदन किया, उन्होंने प्रधानमंत्री से संपूर्ण देश में एक समान शिक्षक नीति तथा एक समान वेतन के लिए भी कानून बनाने की मांग की है.
साथी परिषद के अध्यक्ष आलोक आजाद ने माननीय प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री भारत सरकार को पत्र लिख निवेदन किया, उन्होंने प्रधानमंत्री से संपूर्ण देश में एक समान शिक्षक नीति तथा एक समान वेतन के लिए भी कानून बनाने की मांग की है.
( ख़बरे टीवी – 9523505786 ) – साथी परिषद के अध्यक्ष तथा सामाजिक कार्यकर्ता आलोक आजाद ने माननीय प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री भारत सरकार को पत्र लिख निवेदन किया कि जब एक देश, एक विधान, एक निशान, एक शिक्षण व्यवस्था है तो बिहार सहित संपूर्ण देश में एक तरह के शिक्षक के लिए एक समान वेतन का नियम बनाने की मांग की हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री से संपूर्ण देश में एक समान शिक्षक नीति तथा एक समान वेतन के लिए भी कानून बनाने की मांग की है।
उन्होंने कहा की संपूर्ण देश में बिहार एक ऐसा अजूबा राज्य है, जहां एक हीं तरह की शिक्षा देने वाले शिक्षकों की अलग अलग श्रेणियां हैं और उन्हें अलग अलग वेतन भी मिलता है। शिक्षकों को अलग अलग श्रेणियों में बाँटने वाले बिहार में दक्ष शिक्षक, टीईटी शिक्षक, पंचायत शिक्षक, प्रखंड शिक्षक, नियमित शिक्षक, एसटीईटी शिक्षक, 34500 कैटोगरी के शिक्षक, वित्तरहित शिक्षक सहित अन्य प्रकार के शिक्षक हैं। सभी के वेतन में भी जमीन और आसमान का अंतर है, जहां नियमित शिक्षकों का वेतन लाखों में है तो नियोजित शिक्षकों का वेतन महज कुछ हजार रूपये हैं, जबकी वित्तरहित शिक्षकों को नाम मात्र का वार्षिक अनुदान मिलता है, वो भी कई वर्षों पर।
उन्होंने कहा की सरकार शिक्षा के विकास की बात तोकरती है, सरकार परंतु मौजूदा हालात को देखने से ऐसा बिल्कुल हीं नहीं लग रहा है कि वर्तमान बिहार में शिक्षक व शिक्षा सम्मानित हैं। जब देश में नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के लिए रेगुलेटरी बन रहा है तो फिर एक तरह के शिक्षण कार्य के लिए समान देश,समान शिक्षा, समान विकर्षण,समान वेतन की भी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए ताकी शिक्षक भी सम्मान के साथ जिंदगी जी सके।
आलोक ने कहा की एक हीं विद्यालय में तरह तरह के शिक्षक बहाल हैं। एक हीं विधालय में समान काम करने वाले नियमित, नियोजित तथा अतिथि शिक्षकों के वेतन में असमानता है। देश में एक तरह के शिक्षक और शिक्षण व्यवस्था होने से शिक्षकों के मन से आत्मग्लानि का डर तथा कमजोर आर्थिक परिस्थितियों से छुटकारा मिलेगा, जिसका सीधा फायदा देश के भविष्य अध्ययनरत विद्यार्थियों को मिलेगा।
उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया की भारत सरकार को संपूर्ण देश के शिक्षकों के मान सम्मान को ध्यान में रखते हुए के समान वेतन के संबंध में एक स्पष्ट नीति संपूर्ण देश के लिए बनानी चाहिए ताकी शिक्षकों के अंतर्मन से एक तरह की शिक्षा प्रदान करने के बावजूद नियमित, नियोजित, अतिथि तथा वित्तरहित शिक्षकों में विभाजन करने वाली सरकार की गलत नीति का खात्मा हो सके तथा शिक्षकों को सम्मानजनक जिंदगी तथा समाज में सम्मानजनक स्थान मिल सके।