ख़बरे टीवी – बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं यूनिसेफ के संयुक्त माध्यम से आपदा जोखिम न्यूनीकरण को लेकर नालंदा जिला के जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों तथा पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन संवेदीकरण कार्यक्रम.
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं यूनिसेफ के संयुक्त माध्यम से आपदा जोखिम न्यूनीकरण को लेकर नालंदा जिला के जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों तथा पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन संवेदीकरण कार्यक्रम.
( ख़बरे टीवी – 9334598481, 9523505786 ) – मानसून की अवधि में घटित होने वाली संभावित आपदाओं के जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन को लेकर आज बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं यूनिसेफ के संयुक्त माध्यम से नालंदा जिला के जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों तथा पंचायती राज संस्था के प्रतिनिधियों के साथ संवेदीकरण/अभिमुखीकरण कार्यक्रम का ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से गठित आपदा जोखिम न्यूनीकरण ई अकादमी के पटल से कार्यान्वित किया गया।
इस कार्यक्रम के माध्यम से मानसून की अवधि में घटित होने वाली संभावित आपदाओं के जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन को लेकर विशेष रूप से जानकारी दी गई। इस में घटित होने वाली विभिन्न आपदाओं यथा-डूबने की घटना, नाव दुर्घटना, सर्पदंश, वज्रपात, स्वास्थ्य संबंधी आपदाओं(कोविड-19 सहित), छोटे बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधन, डायरिया, स्वच्छ पेयजल प्रबंधन, वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल, व्यक्तिगत स्वच्छता, पशु स्वास्थ्य प्रबंधन आदि के बारे में संबंधित विषय के विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत रूप से जानकारी एवं प्रबंधन हेतु उपाय के बारे में बताया गया।
इस कार्यक्रम में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यास जी ने अपने संबोधन में कहा कि नालंदा जिला में फ्लैश फ्लड की संभावना रहती है। इसको लेकर विगत वर्षों के अनुभवों के आधार पर कार्य योजना का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। आपदा प्रबंधन हेतु राज्य सरकार के स्तर से संसाधन एवं प्रचार सामग्री निरंतर उपलब्ध कराया जाता है। इस संबंध में “क्या करें क्या ना करें” से संबंधित जानकारी का भी व्यापक रूप से प्रचार प्रसार सभी माध्यमों से किया जाता है। सभी जनप्रतिनिधियों को भी अपने अपने स्तर से लोगों को इस संबंध में जागरूक करते रहना चाहिए।
त्वरित सूचना का संकलन एवं उस पर तत्परता से कार्रवाई के माध्यम से तटबंधों को समय रहते सुरक्षित किया जा सकता है। इन परिस्थितियों में समुदाय के वल्नरेबल लोगों की मदद प्राथमिकता से की जानी चाहिए। गर्भवती महिलाओं की सूची पहले से ही तैयार कर आपदा की अवधि में सुरक्षित प्रसव हेतु व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। मोबाइल मेडिकल टीम का भी गठन पहले से कर इसे हमेशा तैयार स्थिति में रखना चाहिए। बाढ़ की परिस्थिति में बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। बच्चों एवं पशुओं को बाढ़ के पानी में नहीं जाने देना चाहिए। ऐसी परिस्थिति में डूबने की घटना की आशंका बनी होती है।
कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि टेस्टिंग का दायरा बढ़ने से राज्य में पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ी है। संक्रमण से बचाव ही सबसे सरल एवं उपयुक्त उपाय है। बचाव के लिए सभी लोगों को मास्क का उपयोग एवं सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन अवश्य रूप से करना होगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से भी लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों से निरंतर संपर्क कर उचित सलाह देने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया।
इससे पूर्व बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य पीएन राय ने भी अपने संबोधन में आपदा पूर्व तैयारी पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि आपदा से पूर्व अच्छी तैयारी करने से आपदा के जोखिम को कम करने में सहूलियत होती है। आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय के लोगों को भी जागरूक होना होगा। प्रशासनिक एवं सामुदायिक समन्वय से हम आपदा के जोखिम को कम कर सकते हैं। अतिवृष्टि, लू, वज्रपात आदि के संबंध में मौसम विभाग द्वारा पूर्व जानकारी एवं चेतावनी दी जाती है। इस जानकारी का स्थानीय समुदाय के बीच समय रहते प्रचार प्रसार होना चाहिए। इसके लिए गांव के कंप्यूटर के जानकार व्यक्ति की सहायता भी स्थानीय स्तर पर ली जा सकती है। उन के माध्यम से मौसम विभाग के वेबसाइट से निरंतर किसी संभावित आपदा की पूर्व जानकारी प्राप्त कर समुदाय के बीच इसका प्रसार किया जाना चाहिए। हमारा पहला प्रयास आपदा को रोकने पर होना चाहिए। उसके बाद उसके इफेक्ट को कम करने के लिए तैयारी पर बल देना चाहिए।
इस कार्यक्रम में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पदाधिकारी यूनिसेफ बंकू बिहारी सरकार द्वारा आपदा में समुदाय की भागीदारी तथा स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित तैयारियों के बारे में, यूनिसेफ के घनश्याम मिश्र द्वारा बाल सुरक्षा व पेयजल एवं स्वच्छता संबंधित समस्याओं एवं सावधानियों के बारे में, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के डॉक्टर पल्लव द्वारा बाढ़ के दौरान शिक्षा के संदर्भ में तैयारियों के बारे में, एसडीआरएफ के के के झा द्वारा सर्प दंश प्रबंधन एवं सुरक्षा के बारे में, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की डॉ मधुबाला द्वारा वज्रपात जोखिम शमन एवं प्रबंधन के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।
इस कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त सहित विभिन्न जिला स्तरीय पदाधिकारी, सभी अंचलाधिकारी एवं पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे।