ख़बरे टीवी – भाजपा विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने समान काम समान वेतन मुद्दे पर शिक्षकों को धोखा दिया, शिक्षकों के लेवल-7 तथा लेवल-8 वेतनमान को हड़पने का साजिश करने का आरोप – आलोक आजाद.
भाजपा विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने समान काम समान वेतन मुद्दे पर शिक्षकों को धोखा दिया, शिक्षकों के लेवल-7 तथा लेवल-8 वेतनमान को हड़पने का साजिश करने का आरोप – आलोक आजाद.
( ख़बरे टीवी – 9334598481, 9523505786 ) – साथी परिषद के अध्यक्ष तथा सामाजिक कार्यकर्ता आलोक आजाद ने भाजपा तथा जदयू सरकार की मिली भगत के परिणाम के कारण शिक्षकों के लेवल-7 तथा लेवल-8 वेतनमान को हड़पने का साजिश करने का आरोप भाजपा विधान पार्षद नवल किशोर यादव तथा भाजपा की शैक्षणिक ईकाई राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ पर लगाया है।
आलोक ने कहा की लेवल 7 तथा लेवल 8 समेत बिहार की माध्यमिक शिक्षा को पंचायती राज से अलग करने की नियोजित शिक्षकों की लड़ाई को सबसे पहले बीच में हीं हड़ताल को तोड़ कर नियोजित शिक्षकों की एकता को सर्वप्रथम तोड़ने का प्रयास आर एस एस की शैक्षणिक ईकाई राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के द्वारा किया गया । इसके बावजूद भी जब सभी नियोजित शिक्षक तथा सभी शिक्षक संघ हड़ताल पर डटे रहें और हड़ताल तोड़ने की सरकार की चाल असफल हो गई तब कोरोना संकट के कारण सरकार से समझौतों के बाद स्थगित हड़ताल को बीच में हीं बर्बाद करने के उद्देश्य से भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव के द्वार कुछ दिनों पूर्व सरकार को नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के हित में दस महत्वपूर्ण मांग रखा गया जिसमें शिक्षकों के समान काम समान वेतन की मांग, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के सबसे मांग लेवल-7 तथा लेवल-8 एवं पंचायतीराज से अलग करने की बिहार के सभी चार लाख नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के महत्वपूर्ण मांग को नजरंदाज कर मांग पत्र में शामिल नहीं करना और सरकार को वाक ओवर दे देना शिक्षकों को बेवकूफ बनाने की सोंची समझी चाल प्रतित हो रही है।
आलोक ने कहा की भाजपा विधान पार्षद तथा इसके राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ शुरू से हीं हड़ताल को बर्बाद करने पर अमादा दें जिसके कारण बिहार के चार लाख शिक्षकों के लेवल-7 और लेवल-8 की मांग तथा पंचायती राज से अलग करने की मांग के समर्थन में नहीं बोलना,सदन में शिक्षकों के विरोध में मुख्यमंत्री के बयान का मेज थपथपा कर स्वागत करना , नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों की सबसे महत्वपूर्ण मांग को नजरंदाज करना और पत्र में नहीं शामिल करना । यह सब सरकार के साथ मिलिभगत करने की कार्रवाई का हम सभी शिक्षक तथा पुस्तकालयाध्यक्ष विरोधी करते हैं।