ख़बरे टीवी – नालंदा लोकसभा का क्षेत्र 1977 का चुनाव पूरे देश की राजनीति का केंद्र बना, जनता पार्टी के लहर में भी अस्थावां विधान सभा क्षेत्र से जनता पार्टी के उम्मीदवार रामा सिन्हा को करीब 14000 वोटों से हराकर निर्दलीय उम्मीदवार इंद्रदेव चौधरी ने इतिहास रचा था.
1977 का चुनाव पूरे देश की राजनीति का केंद्र बना नालंदा लोकसभा का क्षेत्र, जनता पार्टी के लहर में भी अस्थावां विधान सभा क्षेत्र से जनता पार्टी के उम्मीदवार रामा सिन्हा को करीब 14000 वोटों से हराकर निर्दलीय उम्मीदवार इंद्रदेव चौधरी ने इतिहास रचा था.
( ख़बरे टीवी – 9334598481, 9523505786 ) – 1977 का चुनाव पूरे देश की राजनीति का केंद्र बना नालंदा लोकसभा का क्षेत्र। जनता पार्टी के लहर में भी अस्थावां विधान सभा क्षेत्र से जनता पार्टी के उम्मीदवार रामा सिन्हा को करीब 14000 वोटों से हराकर निर्दलीय उम्मीदवार इंद्रदेव चौधरी ने इतिहास रचा था । रमा सिन्हा को 26372 वोट इंद्रदेव चौधरी को 40935 वोट मिला था।
उनके साथ बचपन से साथ रहने वाले अवध किशोर चौधरी बताते है, की अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े
इंद्रदेव चौधरी 16 वर्ष के उम्र में गांधी जी के आह्वान पर, 1942 में ही बिहारशरीफ अनुमंडल कार्यालय में तिरंगा फहराया था। इसमें वो जेल गए थे। उस वक़्त गरीब तबके के लोगों को वोट देने नहीं दिया जाता था। इलाके के दबंग लोग ही वोट देते थे। टी एन शेशन ने आकर चुनाव प्रणाली को ही बदल दिया। उनके सहकर्मी
रहुई प्रखंड के सोसंदी गांव के 90 वर्षीय सुरेश प्रसाद सिंह वर्तमान में पटेल सेवा संघ के मुख्य ट्रस्टी चौधरी के चाणक्य बनकर उन्हें 1977 में अस्थावां से निर्दलीय चुनाव में जीत दिलाई।
कॉपरेटिव में क्लर्क की नौकरी करने वाले सुरेश प्रसाद सिंह और इंद्रदेव चौधरी एक ही कार्यालय में कार्यरत थे। चौधरी हिलसा अंचल में कार्यरत थे, उन्होंने इस्तीफा देकर जन सेवा शुरू किया था।
सुरेश सिंह बताते है कि 1977 का चुनाव चौधरी जी ने नहीं उनके कार्यकर्ताओं ने जीता था। वह कार्यकर्ताओं का सम्मान करते थे।उनके गलतियों के लिए वह अकेले में उन्हें डांटते थे। उनकी गलतियों को वह अपने ऊपर लेटे थे। इसी की परिणति रही कि देश के चर्चित कांड बेलछी कांड में उनका नाम आया। जबकि उस वक़्त वह सर मेरा में रहकर मीटिंग कर रहे थे। वह बीमार रहते हुए भी कार्य करते थे ।
उगता हुआ सूरज चुनाव चिन्ह मिला था। राजनीति में वह पैनी नजर रखते थे। वह हिसाब किताब के पक्का थे। उनका मुख्य खाजांची में था यहां तक कि उन्होंने अपने बेटे को भी हिदायत से रखा था कि जो भी खर्च करो उसका हिसाब लिखकर दे देना।चुनाव में मात्र 27000 रुपया खर्च हुआ था। उनका कहना था कुर्मी का पैसा सांप के जहर के समान होता है इसे संभालकर रखो।उन्होंने ये चुनाव बिना प्रचार प्रसार के जीता था। वह उस वक़्त अंडर ग्राउंड रहते थे।
वह बुलेट बैलेट का जमाना था। चुनाव जीतने के लिए बुलेट जरूरी था। 1977 के चुनाव में भी बैलेट के लिए विरोधी पक्ष से जमकर गोलियां चली थी। एक बूथ पर विरोधी पार्टी के दो लोग को मारे गए थे। जिसका आजतक दुख है। वह हमेशा लोगों की मदद करते थे। बिहार विधानसभा से श्यामू सिंह और देवनाथ प्रसाद चुनाव लड़ रहे थे। कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद भी वह श्यामू सिंह का साथ दे रहे थे, क्यूंकि श्यामू सिंह ने अस्थावां चुनाव जीतने में दो बूथ राजपूत का वोट दिलवाया था। उसका कर्ज उतारने के लिए वह ऐसा कर रहे थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था कि आप लोग देवनाथ बाबू का साथ दें मैं नहीं रोकूंगा। मैं श्यामू सिंह के साथ रहूंगा। चुनाव में श्यामू सिंह की हार हुई। उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा कि कौन जीता आप लोग या मैं और मुस्कुराते हुए कहा कि कभी कभी राजनीति में मंजिल पाने के लिए अपनों का भी साथ छोड़ना पड़ता है ।
आज का चुनाव दिशा विहीन है। नेता लोगो को समाज के विकास के लिए सोचना चाहिए। जातीय राजनीति से ऊपर उठकर विकास के बारे में सोचना चाहिए।
इंद्रदेव चौधरी की इच्छा:
चौधरी ने 1 बीघा जमीन पटेल सेवा संघ को स्मारक बनाने के लिए नन्द बाबा उर्फ नन्द किशोर प्रसाद सिंह के नाम पर नगर निगम के पास दिया था।उसमे सरदार बल्लभ भाई पटेल,नन्द बाबा,और इंद्रदेव चौधरी की मूर्ति लगाई जाए।।और पटेल सेवा संघ का विस्तार किया जाए।