November 24, 2024

ख़बरे टीवी – राजस्थान के सीकर में लॉकडाउन के दौरान बिहार के फसे 4 छात्रों को स्नातक अधिकार मंच के संचालक- दिलीप कुमार की मदद से आज हम वतन वापस पहुंच गए.

राजस्थान के सीकर में लॉकडाउन के दौरान बिहार के फसे 4 छात्रों को स्नातक अधिकार मंच के संचालक- दिलीप कुमार की मदद से आज हम वतन वापस पहुंच गए.

बच्चों का उनके परिवार की आपबीती सुनने के लिए ब्लू लाइन क्लिक करें और देखें वीडियो आखिर क्या है मामला

http://khabretv.blogspot.com/2020/05/khabre-tv-news-during-lockdown-in-sikar.html

( ख़बरे टीवी – 9523505786 ) – आज स्नातक अधिकार मंच के संयोजक सह जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिलीप कुमार के द्वारा राजस्थान के सीकर जिले में लॉक डाउन में फंसे 4 छात्रों को राजस्थान सरकार की मदद से नालंदा लाकर उन्हें सम्मान दिया गया, बताते चलें की दिनांक 10 मई को समाचार पत्र के माध्यम से यह मालूम हुआ था, की नालंदा के 2 छात्र जिनके पिताजी फौजी हैं, साथ ही जहानाबाद जिला के 1 छात्र एवं गया जिला के1 छात्र इन दोनों के पिता भी फौजी हैं, जिन बच्चों का नाम क्रमशः रचित राज, आर्यन राज ,आदित्य राज एवं आयुष राज है यह चारों बच्चे राजस्थान के सीकर शहर में न्यू सीकर एकेडमी में रहकर पढ़ाई कर रहे थे|

लॉक डाउन की स्थिति उत्पन्न होने के बाद वहां के प्राचार्य के द्वारा इन बच्चों के गार्जियन को सूचित किया गया कि यहां से सारे बच्चे अपने अपने घरों को जा चुके हैं, सिर्फ यही चार बच्चे जो बिहार के हैं, यह बराबर रोते रहते हैं एवं अपने घर जाने के लिए परेशान रहते हैं, तब उनके गार्जियन ने नालंदा जिला प्रशासन से संपर्क स्थापित कर इन बच्चों को लाने के लिए पास निर्गत करने के लिए आरजू मिन्नत की दस 15 दिनों के भागदौड़ के बाद भी जब इनका पास निर्गत नहीं हो पाया, तो मजबूरी में यह लोग अखबार की शरण में गए नालंदा जिले के बिहार शरीफ के ही रहने वालेलो के पदाधिकारी अरशद जी, जो क्रिकेट क्लब चलाते हैं, उनके द्वारा मुझे सूचना मिली तो मैं उनके परिवार के सदस्य से संपर्क स्थापित कर उन्हें बिहारशरीफ बुलाकर जिला पदाधिकारी से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, जिला पदाधिकारी के द्वारा फोन तो नहीं उठाया गया, लेकिन उसके बाद सूचना मिली कि आप कलेक्टेरियेट आकर एडीएम साहब से संपर्क स्थापित करें, उन्हीं के द्वारा ऑफलाइन एवं ऑनलाइन पास दी जाती है,

तब मैं वहां उनके परिवार के साथ जाकर मैंने एडीएम साहब से संपर्क स्थापित किया, साथ ही उन्हें बताया कि इन लोगों ने अपने बच्चों को लाने के लिए ऑनलाइन पास का फार्म भरा है, साथ ही दिनांक 11 तारीख को ऑफलाइन फॉर्म के लिए भी आवेदन दिया गया, जहां से संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने के कारण मैंने सीकर के कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष- प्रताप सिंह जाट जी से संपर्क स्थापित कर उन्हें वस्तुस्थिति की जानकारी दी, उन्होंने सीकर के ही विधायक- राजेंद्र पारीक जी का संपर्क नंबर दीया राजेंद्र पारीक जी से बात होने के बाद, उन्होंने बच्चे लोगों का सारा डिटेल मंगवाया एवं आश्वासन दिया घबराइए नहीं यह बच्चे सिर्फ बिहार के ही नहीं बल्कि हमारे राजस्थान के लिए भी बच्चे हैं, एवं यह चारों भी मेरे पुत्र के समान हैं, उन्होंने मात्र 1 दिन में राजस्थान सरकार से संपर्क स्थापित कर एवं जिला प्रशासन नालंदा से संपर्क स्थापित कर, वहीं से पास का व्यवस्था करवाया, साथ ही सीकर के जिलाधिकारी- यज्ञ मित्र सिंह देव जी के द्वारा सरकारी गाड़ी इनोवा उपलब्ध करवाकर, रास्ते भर के खाने का व्यवस्था एवं नाश्ते का व्यवस्था के साथ मास्क एवं सैनिटाइजर के साथ तथा वहां पूरी जांच प्रक्रिया करने के बाद उन बच्चों को दिनांक 13 मई 2020 को वहां से रवाना कर दिए,

आज दिनांक 14 मई 2020 को यह चारों बच्चे स्नातक अधिकार मंच के कार्यालय रामचंद्रपुर बिहार शरीफ में आए जिन्हें स्नातक अधिकार मंच के संयोजक सह जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दिलीप कुमार के द्वारा मिठाई, मास्क, सैनिटाइजर, साबुन एवं अंग वस्त्र प्रदान कर उन्हें उनके परिवार के साथ अपने अपने घरों के लिए प्रस्थान कराए , रचित राज की माता बबीता सिंह ने बताया कि मैं हार्ट की मरीज हूं, इसके साथ साथ एक फौजी की पत्नी भी हूं  मैं 10 दिनों तक पास के लिए चक्कर लगाती रही  लेकिन मुझे पास उपलब्ध नहीं हो सका  किसी ने बताया कि यहां के जिला अध्यक्ष कांग्रेस के दिलीप जी को आप जानकारी दीजिए वह कुछ न कुछ जिला प्रशासन से मिलकर आपके समस्या का निदान निकालेंगे  तो इन्होंने हम लोगों को काफी मदद की जिसे मैं जीवन भर भूल नहीं सकती हूं ,  मैं बहुत उम्मीद से जिलाधिकारी के कार्यालय में आई थी, कि मुझे पास मिल जाएगा, क्योंकि मैं देश की रक्षा करने वाली सरहद पर डटे जवान की एक पत्नी हूं, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि इस बात को समझने वाला कोई नहीं, मुझे भी ऐसा विश्वास नहीं था, कि इनसे संपर्क करने के बाद तीसरा दिन ही हमारा बच्चा मेरे सामने होगा,

बबीता जी ने दिलीप कुमार के साथ साथ राजस्थान सरकार की भी शुक्रिया अदा करते हुए कहा की राजस्थान की सरकार बहुत ही संवेदनशील है, जिन्होंने इन बच्चों का ख्याल रखते हुए सरकारी खर्चे से इन चारों बच्चों को बिहार पहुंचाने का काम किया यह काबिले तारीफ है, इनकी प्रशंसा जितनी भी की जाए वह कम है, मंच के संयोजक दिलीप कुमार ने सीकर के कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रताप सिंह जाट एवं वहां के विधायक राजेंद्र पारीक जी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, कि जिस तत्परता से आपने बिहार के बच्चों के लिए अपना समय देकर उन्हें बिहार भिजवाए हैं, मैं अपनी ओर से आपका हार्दिक धन्यवाद अदा करता हूं, साथ ही उन्होंने राजस्थान सरकार की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि,

सही मायने में राजस्थान में कानून का राज चल रहा है खास करके इस लोक डाउन के समय सबसे बड़ी त्रासदी हम बिहार वासियों के साथ ही हुआ है, क्योंकि सबसे अधिक चाहे वह छात्र हो या मजदूर वर्ग या काम करने वाले सबसे अधिक संख्या में दूसरे राज्यों में बिहार के ही लोग फंसे हुए हैं, कहीं न कहीं यहां रोजगार की समस्या या छात्रों के सामने पढ़ने की समस्या रहती है, इसीलिए यह लोग बाहर जाते हैं, अगर सरकार के द्वारा सही शिक्षा एवं सही रोजगार की व्यवस्था कर दी जाए तो हमारे बिहार के कोई भी मजदूर और छात्र बाहर नहीं जाएंगे, अंत में दिलीप कुमार ने बताया कि बिहार से बाहर जो भी लोग फंसे हुए हैं, उन्हें बिहार आने में अगर किसी तरह की परेशानी है, तो हमारे मंच के कार्यालय से संपर्क करें हम सरकार और उनके बीच समन्वय बैठाकर उन्हें अपने घर वापस लाने का कार्य अवश्य करेंगे,

ऐसा इसलिए कि हम हिंदुस्तानी सभ्यता के जीने वाले लोग हैं, हमारे लिए परिवार ही सर्वोपरि है, परिवार के पास रहकर ही हम संतुष्ट रहते हैं, इसलिए इस लॉक डाउन की त्रासदी जो पता नहीं कितने दिनों तक चलेगी जो भी लोग बिहार के बाहर फंसे हुए हैं वह काफी परेशान हैं हमारी सरकार से भी विनती है कि जो भी लोग आपसे संपर्क करें जो स्वयं अपने वाहन से जाकर अपने बच्चे को अपने परिवार को लाने में सक्षम हैं उन्हें नियमों के तहत विलंब नहीं करते हुए अति शीघ्र पास देने की व्यवस्था की जाए ताकि वह अपने घर को लौट सकें। अंत में दिलीप कुमार ने सरकार एवं बिहार के रहने वाले लोगों से यह आग्रह भी किया कि जो भी मजदूर और छात्र पढ़ने और मजदूरी करने के लिए बाहर गए हैं, उन्हें आप अप्रवासी ना कहें क्योंकि वह किसी न किसी रूप में हमारे ही राज्य के रहने वाले हैं उनके सभी परिवार यही रहते हैं, वह केवल मेहनत मजदूरी एवं पढ़ाई के सिलसिले में अन्य राज्यों में कमाने और पढ़ने के लिए गए हैं बाकी सारा परिवार उनका यहीं रहता है, वह स्वयं भी त्यौहार शादी विवाह के मौके पर बिहार में ही मौजूद रहते हैं, इसीलिए हमारी सरकार एवं यहां के लोगों से विनती है, कि उन बिहारी भाइयों को अप्रवासी कहकर अपमानित ना करें ।

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