नालंदा विश्वविद्यालय में 25 से 29 दिसंबर तक “नेट-जीरो स्ट्रैटेजी” का एक्ज़ीक्यूटिव सर्टिफिकेट कोर्स…

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#ख़बरें Tv: राजगीर, नालंदा (01 दिसंबर, 2025): नालंदा विश्वविद्यालय ने सतत विकास और जलवायु नेतृत्व के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। ‘एक्ज़ीक्यूटिव सर्टिफिकेट कोर्स इन नेट-जीरो स्ट्रैटेजी’, 25 से 29 दिसंबर 2025 तक विश्वविद्यालय के नेट-जीरो कैंपस, राजगीर में पाँच दिवसीय आवासीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया जाएगा।
यह कोर्स अनुभवी प्रोफेशनल्स, सरकारी अधिकारियों, कॉर्पोरेट कर्मियों और युवा नेतृत्वकर्ताओं को तैयार करने में मदद करेगा ताकि वे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संरक्षण और संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन जैसी चुनौतियों से निपटने में अपना योगदान दे सकें। यह कार्यक्रम नेट-जीरो इंडिया के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में अहम रोल निभाएगा।
नालंदा विश्वविद्यालय की परंपरा और आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए तैयार इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को ऊर्जा, जल, अपशिष्ट प्रबंधन, मोबिलिटी और व्यवहारिक बदलाव जैसे विषयों पर गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें डिजाइन थिंकिंग वर्कशॉप, केस स्टडी, एआई-समर्थित सस्टेनेबिलिटी टूल्स, कैंपस विज़िट और विशेषज्ञ संवाद शामिल होंगे, जो व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव प्रदान करेंगे।
इस एक्ज़ीक्यूटिव कोर्स को C-NEXT (सेंटर फॉर नेट जीरो एजुकेशन, एक्सचेंज एंड ट्रांसफॉर्मेशन) एवं एनवायर्नमेंटल डिज़ाइन सोलूशन्स (ईडीएस) के संयुक्त सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। यह कोर्स इन्हीं आधुनिक और व्यावहारिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है ताकि हम भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को और कुशल और सशक्त बना सकें।
इस नए कोर्स के बारे में कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कहा, “आज की वैश्विक संकल्पना में नेट-जीरो लक्ष्यों की प्राप्ति सर्वोपरि चुनौती बन चुकी है। ऐसे में नेतृत्व का विकास अत्यंत आवश्यक हो गया है, जो केवल तकनीकी ज्ञान तक सीमित न रहकर संस्थानों में व्यवहारिक और साथ-साथ सांस्कृतिक परिवर्तन भी ला सके।“
इस एक्ज़ीक्यूटिव नेट-जीरो कोर्स की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं;
• नेट-जीरो से सम्बंधित वैज्ञानिक समझ, नीतियाँ और वैश्विक प्रतिबद्धताएँ
• ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा और स्मार्ट ग्रिड एकीकरण
• जल संरक्षण, पुनर्चक्रण और सतत जल प्रबंधन की तकनीकें
• अपशिष्ट में कमी, पुन: उपयोग और संसाधन पुनर्प्राप्ति की रणनीतियाँ
• व्यवहारिक और सांस्कृतिक परिवर्तन के माध्यम से सतत समाधान
• नेट-जीरो रोडमैप तैयार करना, बेसलाइनिंग और मॉनिटरिंग
• वास्तविक जीवन में लागू करने योग्य कार्यकारी रणनीतियाँ
नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रमुख नेट-जीरो कैंपस होने के कारण प्रतिभागियों को देश के इस अग्रणी नेट-जीरो परिसर के वास्तविक संचालन से सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे उनका अनुभव और ज्ञान और भी समृद्ध होगा। विश्वविद्यालय सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और जीरो-कार्बन अर्थव्यवस्था की दिशा में देश के लिए सक्षम, संवेदनशील और दक्ष नेतृत्व तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विस्तृत जानकारी और पंजीकरण के लिए विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी ली जा सकती है।
