ख़बरे टीवी – कौशलेन्द्र कुमार ने किसानों के विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप प्रदान करने और समएसपी को किसानों का एक कानूनी अधिकार बनाने के लिए बजट सत्र के दौरान लोकसभा में मामले को उठाते हुए कहा….
कौशलेन्द्र कुमार ने किसानों के विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप प्रदान करने और समएसपी को किसानों का एक कानूनी अधिकार बनाने के लिए बजट सत्र के दौरान लोकसभा में मामले को उठाते हुए कहा….
( ख़बरे टीवी – 9334598481, 9523505786 ) – नालंदा के मा0 लोकसभा सदस्य, श्री कौशलेन्द्र कुमार ने किसानों के विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप प्रदान करने और समएसपी को किसानों का एक कानूनी अधिकार बनाने के लिए बजट सत्र के दौरान लोकसभा में मामले को उठाते हुए कहा कि मंडियों के बाहर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मूल्य पर खरीद को रोकने के लिए सरकार द्वारा क्या उपाय किया जा रहा है। इसके प्रतिउत्तर में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि, भारत सरकार, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, दोनों फसल मौसमों में प्रत्येक वर्ष उचित औसत गुणवत्ता (एमक्यू) के 22 प्रमुख कृषिगत जिंसों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करती है। सरकार अपनी विभिन्न स्कीमों के माध्यम से किसानों को लाभकारी मूल्य भी दिलाती है।
सरकार की विभिन्न स्कीमों के तहत केन्द्रीय और राज्य एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर खरीद की जा रही है। इसके अलावा, एमएसपी की घोषणा और सरकारी खरीद प्रचालनों के लिए समग्र बाजार भी कार्य करता है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी पर और उससे ऊपर निजी खरीद भी होती है। इसलिए एमएसपी घोषणा से लाभांवित किसानों की सटीक संख्या का आकलन करना मुश्किल है।
सरकार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों के माध्यम से धान और गेहूँ के लिए मूल्य समर्थन पर खरीद की जाती है। इस नीति के तहत निर्धारित अवधि में और सरकार द्वारा निर्धारित विशेष विवरणों के अनुरूप किसानों द्वारा जो भी खाद्यान्न बेचने के लिए लाये जाते हैं, उन्हें एफसीआई सहित राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा केन्द्रीय पूल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जाता है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए काम करना है, ताकि सब्सिडी वाले खाद्यान्न की आपूर्ति गरीबों और जरूरतमंदों को की जा सके और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्न का बफर स्टाक बनाया जा सके। राज्य सरकारें एफसीआई के साथ परामर्श करके विभिन्न प्रकार के पोषक अनाजों और मक्का की खरीद उतनी मात्रा में करती हैं, जिसका उपयोग संबंधित राज्य सरकार द्वारा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के साथ-साथ अन्य कल्याणकारी योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) के तहत वितरण के लिए किया जा सके। उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के तिलहन, दलहन और कोपरा के मण्डी मूल्य एमएसपी से नीचे चले जाने पर संबंधित राज्य सरकार के साथ परामर्श करने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की छत्रक स्कीम के निर्धारित मानदंडों के अनुसार इसके तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य के अन्तर्गत पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर खरीद की जाती है। पीएम-आशा के तहत राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश को सम्पूर्ण राज्य के लिए विशिष्ठ तिलहन फसल के संबंध में दिए गए खरीफ मौसम में मूल्य समर्थन स्कीम (पीएसएस) या भावान्तर भुगतान स्कीम (पीडीपीएस) में से किसी एक को चुनने का विकल्प होता है। इसके अलावा राज्य के पास तिलहन के लिए निजी स्टाकिस्टों की भागीदारी सहित जिले अथवा जिले की चयनित एपीएमसी में पायलट आधार पर निजी खरीद और स्टाकिस्ट स्कीम (पीपीएसएस) को छोड़ने का विकल्प है। सरकार द्वारा भारतीय कपास निगम (सीसीआई) और भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) के माध्यम से एमएसपी पर कपास और पटसन की खरीद की जाती है।
एमएसपी पर सरकार एजेंसियों द्वारा खरीद को प्रभावी बनाने के लिए और किसानों को एमएसपी के अधिकतम लाभ प्रदान करने के लिए उत्पादन, विपणन योग्य अधिशेष, किसानों की सुविधा और भंडारण तथा परिवहन आदि जैसी अन्य लाजिस्टिक/अवसंरचना की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए नैफेड, एफसीआई जैसी केन्द्रीय नोडल एजेंसियों और संबंधित राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा खरीद केन्द्र खोले जाते हैं।