November 24, 2024

ख़बरें टी वी : नालंदा के लाल ने अपने देश के नाम किया अपनी जिंदगी कुर्बान, जो साहब को वह करता था हमेशा सैलूट आज वही साहब उसे कर रहे हैं सैल्यूट…… जानिए पूरी ख़बर

 

नालंदा के लाल ने अपने देश के नाम किया अपनी जिंदगी कुर्बान, जो साहब को वह करता था हमेशा सैलूट आज वही साहब उसे कर रहे हैं सैल्यूट……

 

 

 

ख़बरें टी वी : 9334598481 :  नालंदा जिले के राजगीर से सटे चकपर गांव का लाल सीआरपीएफ जवान चितरंजन कुमार शहीद होकर अमर हो गया। शहर के हर व्यक्ति की आंख उस समय नम हो गयी जब शहीद का शव झारखंड के चतरा से हेलिकॉप्टर से राजगीर लाया गया। शादी शहीद की शव यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए और हर लोगों के जुबान पर वंदे मातरम के साथ चितरंजन तुम अमर रहो का नारा था,

 

 

शहीद चितरंजन कुमार के गांव चकपर जाकर सीआरपीएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दी। इस समय ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, सांसद कौशलेन्द्र कुमार, विधायक कौशल किशोर, पूर्व एमएलसी राजू यादव सहित अन्य शामिल हुए। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि शहीद चितरंजन का नाम हमेशा अमर रहेगा।

 

 

उन्होंने देश सेवा में अपने आप को न्योछावर कर दिया। इलाका अपने इस लाल की कुर्बानी को कभी भूल नहीं पायेगा। इस दुख की घड़ी में ईश्वर उनके परिवार को धीरज रखने की क्षमता दे। इन जैसे वीर सपूतों की ही देन है कि आज पूरा देश सुरक्षित है। भारत के लोग चैन से अपने घरों में सोते हैं।

 

 

इस मौके पर जदयू नेता मुन्ना कुमार, जदयू नेता राकेश कुमार, सीआरपीएफ के डीआईजी संजय कुमार, सहायक कमांडेंट हरे राम, सहायक कमांडेंट अजीत कुमार, नीलकमल भारद्वाज, दिनेश चन्द्र सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

 

 

चितरंजन अपने तीन भाईयों में था बड़ा :
शहीद चितरंजन कुमार चकपर के शिवकुमार सिंह उर्फ कारू सिंह का बड़ा पुत्र था। उसके दो भाई राजीव व नीरू हैं। चितरंजन की शादी सात-आठ साल पहले गया के शहवाजपुर के जूही कुमारी से हुई थी। उन्होंने अपने पीछे एक 3 साल की पुत्री काव्या और 5 साल का पुत्र माही को निशानी के तौर पर छोड़ा है।

 

 

पत्नी जूही व माता शांति देवी व पिता कारू सिंह समेत पूरे परिवार पर मानो पहाड़ सा टूट पड़ा हो।
नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में झारखंड के चतरा में 18 सितम्बर को चितरंजन हो गया था घायल :

 

 

18 सितंबर को चतरा में प्रतिबंधित भाकपा माओवादी और झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों के बीच बिरमाटकुम जंगल मे सर्च ऑपरेशन के दौरान रीजनल कमिटी सदस्य अरविंद भुइयां और मनोहर गंझू दस्ते के साथ मुठभेड़ हो गयी। सूचना मिली थी कि दस्ते द्वारा बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी है।

 

 

सर्च अभियान के दौरान ही बिरमाटकुम जंगल में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के देखते ही फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने मोर्चा संभालते हुए जबाबी फायरिंग की। इस दौरान चितरंजन को पैर और कमर पर गोली लगी। इसके बाद जवान को प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिये रिम्स भेज दिया।

 

 

झारखंड के चतरा के जंगल में 18 सितम्बर को ही चितरंजन को गोली लगी थी। उसका इलाज रांची में चल रहा था। 21 सितम्बर की देर रात को चितरंजन ने दम तोड़ दी और वह अपने वतन के लिए शहीद हो गया।

 

 

 

 

 

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