November 24, 2024

ख़बरे टी वी – देश को अपनी सर्वोच्च सेवाएं प्रदान करते रहे सैनिक स्कूल नालंदा के अध्ययनरत छात्रों को त्याग, समर्पण, बलिदान एवं प्राकृतिक संस्थानों के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रशिक्षण बाल्यकाल से ही दिया जाता है, अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर सैनिक स्कूल नालंदा के छात्रों एवं समस्त विद्यालय परिषद के सदस्यों द्वारा उक्त भूखंड पर फलदार वृक्षों का पौधा रोपण कर मृदा संरक्षण की दिशा में एक अनोखी पहल की जा रही है…

 

ख़बरे टी वी – ९३३४५९८४८१- आज क्या देश वैश्विक महामारी कोविड-19 की दर्दनाक पीड़ा झेल रहा है। प्रतिदिन हजारों लोग असमय काल के गाल में समाहित हो रहै है।
ऐसे में भारतीय सशस्त्र सेना एवं उनके विभिन्न संस्थानों द्वारा प्रत्येक अवसर पर खुलकर मदद पहुंचाई जा रही है ।
पूरे देश में चाहे कोविड-19 काल हो, ऑक्सीजन की आपूर्ति हो या सेना के डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ हो कश्मीर से कन्याकुमारी तक विभिन्न राज्य सरकारों की कंधे से कंधा मिलाकर देश भक्ति एवं राष्ट्र रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साकार कर रहे हैं।
आज हम बात करेंगे बिहार राज्य में स्थित ऐसे ही एक संस्थान सैनिक स्कूल नालंदा के बारे में जो बिहार की राजधानी पटना से 100 किलोमीटर की दूरी पर नालंदा जिले में स्थित है। यह विद्यालय प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से 7 किलोमीटर पूर्व ननद ग्राम पंचायत के पंचाने नदी पर के तट पर स्थित है।
इस प्रीमियम संस्थान की स्थापना वर्ष 2003 में तत्कालीन रक्षा मंत्री के कर कमलो से हुई थी ।
इसका मुख्य उद्देश बिहार वासियो के छात्रों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार कर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए तैयार करना जहां से प्रशिक्षण पाकर यह छात्र भारतीय सशस्त्र सेना के अधिकारी स्वर्ण में शामिल हो।
देश को अपनी सर्वोच्च सेवाएं प्रदान करते रहे सैनिक स्कूल नालंदा के अध्ययनरत छात्रों को त्याग, समर्पण, बलिदान एवं प्राकृतिक संस्थानों के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रशिक्षण बाल्यकाल से ही दिया जाता है।
सैनिक स्कूल परिसर एवं पंचाने नदी के बीच स्थित भूखंड में अवैध बालू खनन के कारण समतल भूमि में बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो गई है।

 


जिससे पंचाने नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है ।
आमतौर पर लोग सोचते हैं कि पर्यावरण की समस्या केवल प्रदूषण है और ग्रामीण क्षेत्र में पर्यावरण संबंधी समस्याएं शहरों के मुकाबले कम है। परंतु असलियत ठीक इसके विपरीत है जब अवैध खनन के कारण जल, जंगल, जमीन और जन्म के बीच का रिश्ता और सब संतुलन बिगड़ जाता है। तो पर्यावरण पर संकट माना जाता है और इससे एक केवल प्राकृतिक , मानव जीवन, समाज अर्थव्यवस्था तथा यहां तक कि हमारे मनोविज्ञान पर भी असर पड़ता है।
देश के जिम्मेदार नागरिक इसकी अनदेखी नहीं कर सकते यदि इस भूखंड को समतल करा कर एवं पंचाने नदी में जल संग्रह कर झील के रूप में विकसित किया जाए ।
तो न केवल भूमिगत जल का स्तर में सुधार हो बल्कि इस क्षेत्र के सुंदरीकरण से नौका विहार भूल सवारी की व्यवस्था कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है, इस क्षेत्र में भूमि के कटाव को रोकने की दिशा में 5 जून अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर सैनिक स्कूल नालंदा के छात्रों एवं समस्त विद्यालय परिषद के सदस्यों द्वारा उक्त भूखंड पर फलदार वृक्षों का पौधा रोपण कर मृदा संरक्षण की दिशा में एक अनोखी पहल की जा रही है ।

 


वृक्षारोपण कार्यक्रम के माध्यम से सैनिक स्कूल नालंदा परिवार पद्मभूषण महान पर्यावरण विद स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को सच्ची श्रद्धांजलि दे रहा है।
ज्ञात हो कि विगत 21 मई को चिपको आंदोलन के प्रभुता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया था इस कार्यक्रम के द्वारा आसपास के ग्रामीणों को अपने पर्यावरण एवं प्राकृतिक की संरक्षण के प्रति जागरूकता रहने का संदेश भी दिया जा रहा है।

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