November 22, 2024

#nalanda: भारत हमेशा से दो शब्दों पर कायम रहा है पहला अहिंसा और दूसरा करुणा, आज विश्व को भी शांति हेतु इसी मार्गदर्शन पर चलना होगा….जानिए

भारत हमेशा से दो शब्दों पर कायम रहा है पहला अहिंसा और दूसरा करुणा, आज विश्व को भी शांति हेतु इसी मार्गदर्शन पर चलना होगा….

 

 

 

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ख़बरें टी वी : 9334598481 : “नालंदा की भूमि से निकला ज्ञानोदय- संदेश अनाक्रामकता का रहा है। आज फिर हमें एकीकृत विचार प्रक्रिया की आवश्यकता है। यह वह भूमि है जहां शस्त्रों की तुलना में शास्त्रों को प्राथमिकता दी गई और जहां से भारत ने करुणा और अहिंसा में सन्निहित संदेश दुनिया को भेजा है। दुनिया के लिए हमारी करुणा और अहिंसा की अभिव्यक्ति सदैव प्रेरणा स्त्रोत रही है। मेरा मानना है कि बोधगया डाइलॉग के विचार-विमर्श भविष्य में हमारे समाज के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेंगे।”
आज सुषमा स्वराज सभागार में बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बिहार के माननीय राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर ने ये बातें कहीं।

उद्घाटन सत्र के मुख्य सम्बोधन में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति (अं) प्रो.अभय कुमार सिंह ने कहा कि हमारी एकीकृत राष्ट्रीयता ही हमारी दृष्टि को व्यापक बनाने के लिए प्रेरित करती है और वसुधैव-कुटुंबकम की अवधारणा को साकार कर सक्ने में समर्थ करती है. मगध क्षेत्र का यह एकीकृत परिदृश्य भी इसी समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है। बोधगया, राजगीर और नालंदा ज्ञान और प्रज्ञा की भूमि रही है। मगध के वैभवशाली प्रदेश में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय जो कभी प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रतिनिधि था, आज एक बार फिर अनेक देशों से आए अध्ययनरत छात्रों के साथ एक बार फिर अपने नए अवतरण में उभर रहा है।

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का छठा संस्करण नालंदा विश्वविद्यालय और देशकाल सोसाइटी के बीच एक सहयोगात्मक शैक्षणिक कार्यक्रम है, जो 16 और 17 मार्च 2024 को एनयू परिसर में हो रहा है। दो दिनों तक चलने वाला यह कार्यक्रम बोधगया, राजगीर तथा नालंदा के ऐतिहासिक विरासत व ज्ञान परंपरा में इन क्षेत्रों के योगदान के परिदृश्य पर केंद्रित है।

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में सम्माननीय अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरविंद मोहन, अध्यक्ष, देशकाल सोसायटी; लेफ्टिनेंट जनरल पी.एस. मिन्हास, कमानडेंट ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, गया; प्रोफेसर विनीता सहाय, निदेशक, भारतीय प्रबंधन संस्थान, बोधगया; डॉ. डी. एम. मुले, सदस्य, एनएचआरसी, डॉ गौतमी भट्टाचार्या , एएसआई, पटना उपस्थित रहे