October 19, 2024

ख़बरें टी वी : बिहार सरकार की नजर में शिक्षकों के अनुभव की कोई कीमत नहीं है – आलोक आजाद….. जानिए पूरी ख़बर

बिहार सरकार की नजर में शिक्षकों के अनुभव की कोई कीमत नहीं है – आलोक आजाद

 

 

 

ख़बरें टी वी : 9334598481 : ब्यूरो रिपोर्ट :  बिहार में नीतीश सरकार के द्वारा शिक्षकों की बहाली के लिए घोषित नई शिक्षक नियमावली की घोषणा के तत्काल बाद इसका विरोध शुरू हो गया है। नियोजित शिक्षकों के ज्यादातर संगठनों ने भी आन्दोलन का ऐलान कर दिया है। शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के पक्ष में अखिल भारतीय शिक्षा मंच के प्रदेश अध्यक्ष आलोक आजाद ने इसको लेकर सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

प्रदेश अध्यक्ष आलोक आजाद ने पंचायती राज व्यवस्था के तहत पूर्व से बहाल शिक्षकों को राज्यकर्मी के रूप में नहीं माने जाने के सरकार के निर्णय की मुखालफत करते हुए कहा कि पूर्व से नियुक्त सभी नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को राज्यकर्मी घोषित किया जाना चाहिए एवं राज्य कर्मी घोषित करने के लिए इनसे किसी भी तरह की कोई परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। क्योंकि ये सभी शिक्षक तथा पुस्तकालयाध्यक्ष सरकार द्वारा ही निर्धारित दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण हैं। इसलिए इन्हें सीधे राज्य कर्मी घोषित किया जाना चाहिए। पुराने शिक्षकों के लिए जो संवर्ग एवं नियमावली बनायी गयी है उसी के तहत शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए।नया संवर्ग बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है।नया संवर्ग बनाने एवं नये परीक्षा के आधार पर राज्यकर्मी का दर्जा देने के अपने निर्णय पर सरकार पुनर्विचार कर इसे वापस नहीं लेती है तो अखिल भारतीय शिक्षा मंच सरकार के निर्णयों का पुरजोर विरोध करते हुए आंदोलन करेगा।

प्रदेश अध्यक्ष आलोक आजाद ने कहा है कि नई शिक्षक नियमावली 2023 दशकों से संपूर्ण बिहार में कार्यरत नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के साथ धोखा है। पूर्व से कार्यरत बिहार के 4 लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षक तथा पुस्तकालयाध्यक्ष महागठबंधन सरकार से उम्मीद लगाए बैठे थे कि नई नियमावली के साथ हीं उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा, अंतरजिला स्थानांतरण, वेतन बढ़ोतरी सहित अन्य सुविधाएं मिल जाएगी। सत्तारूढ़ दल के द्वारा समान काम, समान वेतन और पुरानी पेंशन देने को लेकर चुनावी घोषणा पत्र में जो वायदे किये गए थे, उसे सरकार पूरा करेगी। लेकिन नई नियमावली से एक नए संवर्ग को जन्म देकर शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को बांटने की साज़िश शुरू हो गई है।जिसका अखिल भारतीय शिक्षा मंच राज्यस्तर पर विरोध करेगी।

आलोक आजाद ने कहा है कि पूर्व से जो 9 हजार से अधिक नियोजन इकाइयां थी, वह भी पूर्ववत बनी ही रह गई। ऐसे में इस नियमावली से किसी को कोई फायदा नहीं होगा। अभी वर्ष 2006 से 2022 तक जो नियुक्त शिक्षक तथा पुस्तकालयाध्यक्ष हैं, उन्होंने जब बीएड या बी.लिब का एंट्रेंस एग्जाम दिया तब उनका नामांकन हुआ। फिर बीएड और भी.लिब‌ में भी उन्होंने दो बार परीक्षा दी तब जाकर वे बीएड/बीलिब पास किए। इसके बाद नौकरी में आकर दक्षता परीक्षा पास किए या टीईटी/एसटीईटी उत्तीर्ण हुए तब वेतनमान का लाभ मिला।

इससे पहले अखिल भारतीय शिक्षा मंच के प्रदेश अध्यक्ष आलोक आजाद ने बिहार शिक्षक नियमावली 2023 में वर्ष 2006 से वर्ष 2022 तक नियुक्त शिक्षक तथा पुस्तकालयाध्यक्ष विरोधी प्रावधानों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को एक बार फिर बिहार की शिक्षा विभाग ठग रही है। शिक्षा विभाग ने साजिश रच दी है जिसके तहत अब बिहार के स्कूलों में 3 तरह के शिक्षक होंगे। एक जिन्हें पूर्ण वेतनमान मिलेगा, दूसरे जो नियोजित कोटि में होंगे और नई नियमावली से बहाल तीसरी कोटि के शिक्षक जिन्हें राज्यकर्मी का दर्जा तथा आकर्षक वेतनमान मिलेगा। यह बिहार के नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के साथ बहुत बड़ा मजाक है। बरसों से सेवा करते आए शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को सरकारी कर्मी का दर्जा हासिल करने के लिए एक बार फिर परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ेगा जबकि उनके पास शिक्षा सेवा से संबंधित पंद्रह वर्षों से ज्यादा अनुभव है,जिसका सरकार के नजर में कोई कीमत नहीं जबकि उनके जूनियर बहाली के साथ ही सरकारी कर्मी बन जाएंगे। सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए था, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

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