November 24, 2024

#nalanda: आज के परिवेश में सुखमय जीवन जीना है तो अपनायें परंपरागत तरीके…. जानिए

 

 

 

 

 

आज के परिवेश में सुखमय जीवन जीना है तो अपनायें परंपरागत तरीके….

एग्रीकल्चर एंड फूड केमेस्ट्री पर किया गया सेमिनार का आयोजन….

 

 

 

 

 

 

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खबरें टी वी: हरनौत ( नालंदा )  स्थानीय आरपीएस कॉलेज में शनिवार को केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के द्वारा एग्रीकल्चर एंड फूड केमेस्ट्री विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आरएलएस कॉलेज बिहारशरीफ के प्राचार्य डॉ सत्येंद्र प्रसाद मौजूद रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज के प्राचार्य डॉ उपेंद्र कुमार सिन्हा जबकि मंच का संचालन रवि कुमार ने किया।
मुख्य अतिथि डॉ सतेंद्र , प्राचार्य डॉ उपेंद्र समेत अन्य वक्ताओं ने विषय वस्तु पर अपने-अपने बातों से प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि एग्रीकल्चर एंड फूड केमेस्ट्री जीवन का अंग है। जो जिंदगी के साथ साथ चलेगा। इसके बिना जिंदगी का कल्पना ही नहीं किया जा सकता है। बावजूद लोगों को चाहिए कि वे परंपरागत तरीके से ही रहे, जिससे कि वे सुखमय जिंदगी व्यतीत कर सकें। बाहरी रसायन का उपयोग कम करें ताकि उसका कुप्रभाव ना हो। पूर्व समय में पहले कौलरा, हैजा, मलेरिया, टीवी आदि अधिक होता था। लेकिन केमिस्ट्री के बदौलत ही काबू पाया।

 

 

वर्तमान में कोरोना जैसे महामारी होने पर पहले लोग काल के गाल में समा जाते। लेकिन वैज्ञानिकों ने केमिस्ट्री के ही कारण लोगों का जान बचा सका। कोरोना जैसे महामारी पर काबू पाया। जिंदगी जीने के लिए हर समय शरीर बिना रसायन के जिंदा रह ही नहीं सकता।कहा कि जिंदगी जीने के लिए भोजन या उन चीजों पर रहना पड़ता है। भारत के कृषि प्रधान देश है इसका अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। आवाज भी करीब 1.40 करोड़ है। बिना भोजन कोई जिंदा नहीं रह सकता है लेकिन पेस्टिसाइड के द्वारा ही सभी चीजों पर कब पाया जा सकता है। चूहे या अन्य हानिकारक जीव जंतु ऐसे हैं जो अनाज को भारी मात्रा में क्षति पहुंचचाते हैं जिस पर काबू पाने के लिए रसायन का जरूरत पड़ता है। इस इस दौरान कॉमर्स विभाग अध्यक्ष प्रो अनुपमा शुक्ला के द्वारा लिखित कॉमर्स बुक का विमोचन किया गया।
इस मौके पर डॉ अनुज कुमार सिन्हा, प्रो कृष्ण कुमार , प्रो
कृष्ण कुमार , प्रो अनुपमा शुक्ला ,
प्रो शंभु , प्रो अरुण , प्रो. उषा , जनक , शोभा , मीनू समेत अन्य मौजूद थे।

 

 

रिपोर्ट हरिओम कुमार

 

 

 

 

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