गांधी के ‘सत्याग्रह’ से प्रतिभाशाली तलवारबाजों के लिए प्रजनन स्थल तक, बिहार के मोतिहारी की है अलग पहचान…
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@ख़बरें tv : राजगीर, 13 मई: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का मुख्यालय मोतिहारी, ‘राष्ट्रपिता’ मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा गढ़े गए ‘सत्याग्रह’ शब्द का पर्याय है, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा था। महात्मा गांधी के 1917 में मोतिहारी में ब्रिटिश शासन के खिलाफ ‘सत्याग्रह’ आंदोलन शुरू किया था। आज, मोतिहारी कुछ सर्वश्रेष्ठ तलवारबाजों को निखारने के लिए खबरों में है, जो पूर्वी चंपारण तलवारबाजी संघ के सचिव अप्पू कुमार के प्रयासों के कारण मुमकिन हो सका है।
बिहार ,जो संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षाओं के माध्यम से सबसे अधिक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों का उत्पादन करता है, एसी पृष्ठभूमि में अप्पू कुमार की कहानी, खेल को करियर के रूप में अपनाने के लिए दिखाई गई हिम्मत और समर्पण की वजह से अलग बन जाती है। कुमार की यात्रा उल्लेखनीय है, वह खेल भवन, मोतिहारी में जिला तलवारबाजी प्रशिक्षण केंद्र संचालित, कोच और प्रबंधित करते हैं।
28 वर्षीय कुमार ने साई मीडिया से कहा,”मैं एक साधारण पृष्ठभूमि से आता हूं, मेरे पिता किसान हैं और दैनिक मजदूरी पर काम करते हैं। सबसे बड़े बेटे के रूप में, बीसीए पूरा करने के बाद परिवार का पालन-पोषण करने की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी। मेरे परिवार ने मुझ पर दबाव डाला कि मैं प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे आईएएस के लिए तैयारी करूं और सरकारी नौकरियों को अपनाऊं, जो हमारी पारंपरिक सोच में आय का अच्छा और स्थिर स्रोत मानी जाती है ।”
बावजूद सारी बाधाओं के, कुमार ने कैम्ब्रिज इंटरनेशनल अकादमी में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने कहा,” स्कूल में पढ़ाते हुए मेरा छोटे बच्चों के साथ जुड़ाव गहराता गया और हर दिन मेरा खेल के प्रति प्रेम और मजबूत हुआ”। कुमार, एक पूर्व राज्य तलवारबाजी चैंपियनशिप प्रतिभागी रह चुके हैं। उन्हें 2019 में मात्र 22 वर्ष की आयु में पूर्वी चंपारण तलवारबाजी संघ के संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त कर मोतिहारी में एक तलवारबाजी प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने का काम सौंपा गया ।
कुमार ने आरंभिक संघर्षों को याद करते हुए कहा, “जब हमने 2019 में प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया, हमारे नौ तलवारबाजों के लिए हमारे पास एल्युमीनियम पिस्ट या पर्याप्त तलवारबाजी किट और उन्नत उपकरण नहीं थे, हम सीमेंटेड फर्श पर टेंट मैट के साथ अभ्यास किया करते थे और राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के दौरान अन्य तलवारबाजों से सेबर जैकेट माँग कर भाग लिया करते थे।”
2022 में स्थिति में सुधार हुआ जब मोतिहारी नगर निगम ने कुमार के सेंटर को 30 पूर्ण तलवारबाजी किट प्रदान किए। 2023 तक, कुमार के तलवारबाजों ने सात राष्ट्रीय स्तर के पदक हासिल किए थे और अगले दो वर्षों (2024-25) में, उन्होंने 11 पदक जीते। हाल ही में, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने पिस्ट और अन्य आवश्यक उपकरण प्रदान किए, जिसके लिए कुमार व उनकी टीम भारत सरकार की आभारी है।
बिहार के तलवारबाजों की खेलो इंडिया में भागीदारी के बारे में कुमार ने कहा, “गत वर्ष, हमारे केवल एक तलवारबाज, शिवम ने खेलो इंडिया 2024 में भाग लिया था। हालांकि, इस बार खेलो इंडिया 2025 में, बिहार तलवारबाजी टीम में कुल 24 तलवारबाजों में से 15 चंपारण जिले से हैं, जो एक महत्वपूर्ण संख्या है।”
वर्तमान में चंपारण जिला प्रशिक्षण केंद्र में लगभग 30 और खेल भवन, मोतिहारी में साई द्वारा संचालित खेलो इंडिया केंद्र में 30 तलवारबाज़ों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।देश में चल रहे 24 नेशनल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस (एनसीओई) में से 2 केंद्रों में कुमार के चार तलवारबाजों का चयन हुआ और वह वहां प्रशिक्षण ले रहे हैं।
रवि कुमार यादव, जिन्होंने चंपारण जिला प्रशिक्षण केंद्र में एपी में प्रशिक्षणि केंद्र में प्रशिक्षित होना शुरू किया, बाद में उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय चैंपियनशिप में उनकी उपलब्धियों के कारण एनसीओई गुवाहाटी में अभ्यास करने के लिए साई द्वारा चयनित किया गया ।
रवि ने बताया,”मैं कैंब्रिज इंटरनेशनल अकादमी में किकबॉक्सिंग का प्रशिक्षण ले रहा था जब अप्पू सर ने मुझे देखा और मुझे तलवारबाजी में प्रशिक्षण लेने के लिए कहा। मैं उनके मार्गदर्शन में चंपारण जिला केंद्र में शामिल हुआ और उन्होंने मुझे आज यहां तक पहुंचने के लिए प्रशिक्षित किया। मैं एनसीओई, गुवाहाटी में प्रशिक्षण ले रहा हूं और यह मोका हासिल कर बहुत खुश हूँ।”
14 वर्षीय फॉइल तलवारबाज केशर राज ने साई मीडिया को बताया, “मुझे अपने स्कूल, कैंब्रिज इंटरनेशनल अकादमी में पढ़ाई के करते हुए, तलवारबाजी के प्रति रुचि जागी। मैंने इस खेल को अपनाने का फैसला किया और बाद में अप्पू सर की अकादमी में तलवारबाज़ी सीखने के लिए गई, जिसके लिए मैं सर की आभारी हूं। पहले हम एक कृषि क्षेत्र में अभ्यास करते थे, लेकिन फिर हमें खेल भवन आवंटित किया गया। अब, मैं एनसीओई गुवाहाटी में अभ्यास करती हूं। जहां मुझे 25वीं सब-जूनियर नेशनल फेंसिंग चैंपियनशिप में कांस्य जीतने के बाद चुना गया था। इसके बाद मैंने 68वीं नेशनल स्कूल गेम्स फेंसिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया।”
अप्पू कुमार ने आख़िर में कहा, “जितनी जल्द बिहार में उच्च प्रदर्शन प्रशिक्षण केंद्र या एनसीओई खुलेगा, हमारे तलवारबाज और नई ऊंचाइयों को छुएंगे। अभी हम अपने तलवारबाजों से 600 रुपये के मामूली मासिक शुल्क के साथ अपने संचालन को बनाए रख रहे हैं, जो हमारे दैनिक खर्चे की पूर्ति करता है। हमारा पूरा ध्यान दृढ़ता और निश्चय को बढ़ावा देने पर है। हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक से अधिक पदक जीतने के लिए तैयार और प्रतिबद्ध हैं।”
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खेलो इंडिया यूथ गेम्स के बारे में –
खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसे 14 अक्टूबर, 2017 को लॉन्च किया गया था। खेलो इंडिया का उद्देश्य खेलों में व्यापक भागीदारी और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करना है। इस कार्यक्रम ने भारत की खेल सफलता में बहुत योगदान दिया है, जिसमें कई खेलो इंडिया एथलीट ओलंपिक और एशियाई खेलों सहित वैश्विक आयोजनों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिहार 4-15 मई तक राज्य के पांच अलग-अलग शहरों और दिल्ली में खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण की मेजबानी कर रहा है। KIYG 2025 में 27 खेल शामिल होंगे और पहली बार ईस्पोर्ट्स को एक प्रदर्शन खेल के रूप में शामिल किया गया है।