ख़बरे टी वी – ज़िला पंचायत राज पदाधिकारी नवीन कुमार पाण्डेय द्वारा, भारत नेट (NOFN) के तहत ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड सेवा से संबन्धित विषयों पर बैठक ……..जानिए पूरी खबर
पंचायत राज पदाधिकारी नवीन कुमार पाण्डेय द्वारा हरदेव भवन में बीपीआरओ, सीएससी ज़िला समन्वयक, वीएलई (ग्राम स्तरीय उद्यमी), बीएसएनएल/बीबीएनएल, डीपीआरसी और बीवीएम टीम के साथ भारत नेट (NOFN) के तहत ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड सेवा से संबन्धित विषयों पर समीक्षात्मक बैठक:-
Khabre Tv – 9334598481 – शुभम की रिपोर्ट – अब तक 231 पंचायतों के 1062 राजस्व ग्रामों में स्थित कुल 1092 भवनों को गीगा बाईट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क (जी-पौन) मशीन से जोड़ा जा चुका है। 49 राजस्व ग्राम बेचिरागी है जिस कारण वहाँ यह व्यवस्था नहीं हो पाएगी। इसमें सबसे अधिक 225 भवन हिलसा, 95 करायपरसूराय, और नगरनौसा एवं बिन्द के 90 भवन शामिल है। सरमेरा एवं एकंगरसराय प्रखण्ड में एक्टिव एफ़टीटीएच की संख्या शून्य है तथा बिन्द, गिरियक़ एवं बिहारशरीफ़ प्रखण्ड में एक्टिव एफ़टीटीएच की संख्या के संदर्भ में स्पष्ट प्रतिवेदन नहीं दिया गया। सीएससी ज़िला समन्वयक को स्पष्ट प्रतिवेदन समर्पित करने हेतु निर्देश दिया गया।
राजगीर और गिरियक में एनएच के निर्माण कार्य के चलते ऑप्टिकल फ़ाइबर कई जगह कट गए हैं, जिससे ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध कराने मे दिक्कतें आ रही हैं। जेटीओ, बीएसएनएल को ऑप्टिकल फ़ाइबर की मरम्मति हेतु निर्देश दिया गया। इस संदर्भ में सीएससी ज़िला समन्वयक द्वारा बताया गया कि मिनी लिंक के माध्यम से नजदीकी टेलीफ़ोन एक्स्चेंज के पास से राउटर के माध्यम से गाँव तक बिना तार के ही सिग्नल पहुंचाई जा सकती है। जेटीओ, बीएसएनएल को यह भी निर्देश दिया गया कि जिन कॉमन सर्विस सेंटर पर BSNL Exchange IP उपलब्ध नहीं है, वहाँ Exchange IP उपलब्ध कराएं।
सभी बीपीआरओ से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर ग्राम पंचायतों की कुल संख्या जहां पंचायत सरकार भवनों /पंचायत भवनों में Equipment/Mux अधिष्ठापित की जा चुकी है, 58 है तथा जिन पंचायतों में अन्य सरकारी भवनों मे अधिष्ठापित है, 33 है (कुल – 91)। जबकि सीएससी ज़िला समन्वयक के द्वारा यह आंकड़ा 158 बताया गया। ज़िला समन्वयक को निर्देश दिया गया की सभी बीपीआरओ के साथ समन्वय स्थापित कर एवं संयुक्त रूप से निरीक्षण कर स्पष्ट प्रतिवेदन दें।
समीक्षा के दौरान कई वीएलई के द्वारा बताया गया कि कई कार्यपालक सहायकों के द्वारा ब्रॉडबैंड कनेक़शन हेतु कम्प्युटर एप्लिकेशन फॉर्म (सीएएफ़) नहीं भरा जा रहा है। सभी बीपीआरओ को निर्देश दिया गया कि उक्त सभी पंचायतों के लिए फॉर्म भर कर संबन्धित वीएलई को 2 दिनों के अंदर उपलब्ध कराएं। साथ ही, यह भी निर्देश दिया गया कि जहां पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा G-PON उपकरण स्थानांतरण मे सहयोग नहीं दिया जा रहा है, उन पंचायतों में G-PON उपकरण स्थानांतरण भी सुनिश्चित करें। पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग नहीं मिलने पर वरीय पदाधिकारियों को सूचित करें ताकि अग्रेतर कारवाई की जा सके।
कॉमन सर्विस सेंटर पर बीबीएनएल के द्वारा बिछाए गए भूमिगत ऑप्टिकल फ़ाइबर की दूरी 500 मीटर से अधिक होने के कारण कई स्थानों पर ब्रॉडबैंड सेवा क्रियान्वित नहीं हो पा रही है। बीबीएनएल के नेटवर्क इंजीनियर के द्वारा ऐसे कुल 13 स्थानों की सूची दी गयी थी। इस संदर्भ मे वन प्रमंडल पदाधिकारी, नालंदा भवन प्रमंडल के प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि इन 13 मे से 6 रूटों/स्थानों पर वनभूमि नहीं होने के कारण, उक्त स्थल पर Laying of OFC for restoration of services हेतु वन विभाग स्तर से किसी भी तरह की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं थी। अपना कार्य सम्पादन नहीं किए बगैर वन विभाग के द्वारा अनापति प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने का निराधार उल्लेख करने के लिए बीबीएनएल के नेटवर्क इंजीनियर से स्पष्टीकरण पूछते हुये जल्द कार्य निष्पादन हेतु निर्देश दिया गया। शेष 7 रूटों/स्थलों पर (एकंगरसराय-इस्लामपुर-राजगीर-गिरियक-पार्वतीपुर पथ, इस्लामपुर-खिजरसराय-गया पथ एवं इस्लामपुर-निश्चलगंज पथ) अधिसूचित वनभूमि के पथ-तट होने के कारण उक्त पथ मे गैर-वानिकी (OFC laying work/PLB & cable) कार्य करने हेतु अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पटना को भेज दिया गया है।
डीपीआरओ द्वारा बताया गया कि भारतनेट प्रोजेक्ट विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण ब्रॉडबैंड संपर्क कार्यक्रम है। यह मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत शुरू हुआ प्रोग्राम है जिसमें विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी नहीं है। भारतनेट प्रोजेक्ट के जरिए सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि इसके तहत गांव-गांव तक इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस, ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग, इंटरनेट और अन्य सेवाओं के वितरण को सुगम बनाना है।
पंचायत के सरकारी भवनों में यह सेवा मुफ्त बहाल की जाएगी। जबकि इन गाँव के गैर सरकारी या निजी भवनों मे भी लोग इंटरनेट सेवा का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए वे स्थानीय वीएलई से संपर्क कर इस मशीन को लगवा सकते है। इसके लिए उन्हे मशीन का खर्च व ऑपरेटर द्वारा निर्धारित शुल्क देय होगा।