November 23, 2024

ख़बरें टी वी : माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को जाति आधारित जनगणना कार्य से मुक्त करने की मांग… जानिए पूरी ख़बर

 

अखिल भारतीय शिक्षा मंच ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को जाति आधारित जनगणना कार्य से मुक्त करने की मांग की है।

 

 

 

 

 

 

 

 

ख़बरें टी वी : 9334598481 : ब्यूरो रिपोर्ट : संघ के प्रदेश अध्यक्ष आलोक आजाद ने बताया की आज से शुरू होने वाले जनगणना कार्य में माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों को लगाया गया है।जबकी इसी अवधि में‌ मैट्रिक तथा इंटर की प्रायोगिक परीक्षा भी प्रारंभ हो रही है।इसके साथ फरवरी में सैद्धांतिक परीक्षा तथा मूल्यांकन कार्य भी होना है।

 

आलोक आजाद ने कहा कि बिहार सरकार के अति संवेदनशील और अति महत्वपूर्ण योजना जाति आधारित गणना का कार्य कराया जा रहा है जिसमें भारी संख्या में माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के ऊपर जवाबदेही तय की गई है। इसके लिए आवश्यक है कि शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को उक्त अवधि तक के लिए अन्य कार्यों से मुक्त रखा जाए परंतु विभिन्न स्तरों पर पदाधिकारियों के द्वारा माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों को विद्यालय ड्यूटी के उपरांत कार्य करने का आदेश दिया जा रहा है। इससे कार्य निश्चित समय पर संपादन होगा अथवा नहीं इसमें संदेह है। इतना ही नहीं, मानवीय दृष्टिकोण से भी कोई व्यक्ति एक वक्त में एक ही प्रकार का कार्य कर सकता है तथा वर्णित परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य और गणना कार्य देने से उनकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का क्षय होगा जिससे ना तो वे विद्यालय में उचित रूप से कार्य कर पाएंगे और ना ही विद्यालय के बाद।

 

 

अखिल भारतीय शिक्षा मंच के प्रदेश अध्यक्ष आलोक आजाद ने कहा कि सरकार के यहां कर्मियों के लिए कार्य के घंटे का निर्धारण है कि नहीं? 8 घंटे तक स्कूल में शिक्षण कार्य के बाद क्या शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के अंदर इतनी एनर्जी बचेगी कि वे गणना कार्य निबटा पाएंगे?जाति आधारित जनगणना एक दिन का काम नहीं है कि ओवरटाइम करा लिया जाए । यह कई दिनों तक चलेगी। ऐसे में स्कूलों में पढ़ाने के साथ गणना कराने का काम कितना मानवीय है ?जब शीतलहर के कारण मानवीय गतिविधियां भी पूर्ण रुपेण प्रभावित है।

 

 

आलोक आजाद ने बताया कि सरकार ने पिछले 10-12 वर्षों से नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों का स्थानांतरण भी नहीं किया है। इसमें लगभग आधी संख्या महिला शिक्षिकाओं की है। कई शिक्षिकाएं तो कई किलोमीटर की दूरी तय कर कार्य स्थल पर आती हैं। इसमें कई शिक्षक दिव्यांग भी हैं, जिनका ट्रांसफर नहीं हो रहा है। ऐसे शिक्षकों को विधालय अवधि के बाद कार्य करने में परेशानी होगी।ऐसी स्थिति में माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को जाति आधारित जनगणना कार्य से मुक्त किया जाना चाहिए ताकि अध्यापन-कार्य के साथ-साथ इंटर तथा मैट्रिक की प्रायोगिक परीक्षा प्रभावित नहीं हो।

 

 

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