November 23, 2024

#bihar: गांधी मैदान, पटना में “रचनाकार सम्मान” कार्यक्रम आयोजित किया गया…जानिए

 

 

 

 

 

 

 

वरिष्ठ साहित्यकार शिवदयाल किए गए सम्मानित….

 

 

 

 

 

 

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खबरें टी वी : 9334598481 : पटना,बिहार निर्माण मंच, पटना द्वारा गांधी मैदान, पटना में “रचनाकार सम्मान” कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस वर्ष यह सम्मान प्रख्यात लेखक, कवि एवं निबंधकार शिवदयाल को हिन्दी साहित्य में उनके योगदान के लिए दिया गया। इस अवसर पर बिहार निर्माण मंच के संस्थापक श्री अरूण कुमार सिंह, सेवानिवृत्त उप नियंत्रक एवम महालेखापरीक्षक, भारत सरकार ने संस्था की स्थापना एवं इसके द्वारा किए गए सामाजिक एवं साहित्यिक कार्यों पर प्रकाश डाला। फिर शिवदयाल का सम्मान उन्हें स्मृति चिह्न, अंगवस्त्र इत्यादि प्रदान कर किया गया।
कार्यक्रम के पहले सत्र में तीन अपने अपने क्षेत्र में लब्ध प्रतिष्ठ वक्ताओं- लेखिका एवं कवयित्री डॉ. भावना शेखर, कवि एवं फिल्मकार कृष्ण समिद्ध और कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने शिवदयाल की रचनाओं क्रमशः निबंध, कहानी एवं कविता पर अपने विचार रखे।

 

 

लेखिका एवं कवयित्री डॉ. भावना शेखर ने शिवदयाल के निबंधों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि वरिष्ठ साहित्यकार शिवदयाल जी मात्र लेखक नहीं एक गम्भीर चिंतक हैं। उनके निबंध भ्रांतियोंं के मकड़जाल से निकाल कर पाठकों को एक संतुलित दृष्टि प्रदान करते हैं। उनके अनुसार आज की समस्याओं का समाधान छिपा है गांधीवाद में, अंबेडकर की दृष्टि और रेणु के स्वप्नों में।
कवि एवं फिल्मकार कृष्ण समिद्ध ने अपने विचार रखते हुए कहा कि शिवदयाल एक बौद्धिक कथाकार हैं। उनके कथा-साहित्य की मुख्य चिंता यथार्थ के पीछे के तर्क को समझना है और उसके परे जाकर बेहतर नये यथार्थ के लिए साहित्य-सृजन है।
कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा वरिष्ठ साहित्यकार व चिंतक शिवदयाल की समकालीन कविताओं में उनकी गहरी दृष्टि सम्पन्नता परिलक्षित होती है.एल। हर कविता में वह एक चाक्षुस बिंब निर्मित करते हैं और अत्यंत सहजता से मानवीय संवेदना को झकझोरते हुए अंतर्मंथन को विवश कर देते हैं।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र एकल काव्यपाठ में शिवदयाल ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती हुई अपनी कविताओं ताक पर दुनिया, किराएदार, बात, पगडंडी, खोज, शरणार्थी बच्चा, नागरिकता, विरासत, ओसारा, तुपकाडीह टीसन पर दो औरतें, देह माटी, दक्षिणावर्त, पाटलिपुत्र के घोड़े आदिसे श्रोताओं का मन मोह लिया। एक मुहल्ले के उजड़ जाने की त्रासदी को लेकर उनकी एक लम्बी कविता “अंत अंत हे गर्दनीबाग” को श्रोताओं ने बहुत सराहा।

 

 

कार्यक्रम के अध्यक्ष कवि एवं चिकित्सक डॉ. निखिलेश्वर प्रसाद वर्मा के अध्यक्षीय भाषण तथा कवि मुकेश प्रत्यूष के धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात् कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन शायर संजय कुमार कुन्दन द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में शहर के लब्धप्रसिद्ध साहित्यकार एवम सामाजिक कार्यकर्ता यथा कथाकार ऋषिकेश सुलभ, संतोष दीक्षित, शायरा सदफ इकबाल, कवि एवं पटकथा लेखक फ़रीद ख़ान, शायर समीर परिमल, कवि अंचित, अनीश अंकुर, रविकिशन, अविनाश बंधु, युवा कवि चंद्रबिंद सिंह, प्रत्यूष चंद्र मिश्र, उषा ओझा, कमलेश, प्रोफेसर वीणा अमृत, प्रोफेसर राम भगवान सिंह, प्रोफेसर जयमंगल देव, प्रोफेसर सफदर इमाम कादरी, प्रोफेसर कुमार वरुण, प्रोफेसर सुबोध कुमार झा, वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा, शिक्षाविद डॉ बिनोदानंद झा, कवि-लेखक कमला प्रसाद, पुष्पराज शास्त्री, कवि शहंशाह आलम, हाउस ऑफ वेरायटी के सुमन सिन्हा, उत्कर्ष आनंद, सुधा पांडेय, मुकेश ओझा एवं अन्य की उपस्थिति रही।