• Sun. Dec 7th, 2025

#bihar: नालंदा विश्वविद्यालय में पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा का शास्त्रीय गायन…

Bykhabretv-raj

Nov 27, 2025

 

 

 

 

 

 

 

 

नालंदा विश्वविद्यालय में पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा का शास्त्रीय गायन…

 

 

 

 

 

ख़बरें टी वी : पिछले 15 वर्षो से ख़बर में सर्वश्रेष्ठ.. ख़बरें टी वी ” आप सब की आवाज ” …आप या आपके आसपास की खबरों के लिए हमारे इस नंबर पर खबर को व्हाट्सएप पर शेयर करें… ई. शिव कुमार, “ई. राज” -9334598481.

.. हमारी मुहिम .. नशा मुक्त हर घर .. बच्चे और नवयुवक ड्रग्स छोड़ें .. जीवन बचाएं, जीवन अनमोल है .. नशा करने वाले संगति से बचे ..

… हमारे प्लेटफार्म पर गूगल द्वारा प्रसारित विज्ञापन का हमारे चैनल के द्वारा कोई निजी परामर्श नहीं है, वह स्वतः प्रसारित होता है …

 

 

 

 

 

 

 

#ख़बरें Tv : राजगीर, नालंदा (26 नवंबर 2025): नालंदा विश्वविद्यालय में चल रहे सांस्कृतिक श्रृंखला, विरासत 2025 के तहत आज विश्वविद्यालय के स्पिक मैके चैप्टर द्वारा बनारस घराने से पद्म भूषण पंडित साजन मिश्रा ने, विश्विद्यालय स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में मनमोहक शास्त्रीय संगीत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुषमा स्वराज सभागार के आगे फ्रंट लॉन्स में हुए इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के 20 देशों से अधिक भारतीय व् अंतरराष्ट्रीय छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों के साथ-साथ स्थानीय स्कूलों ने भी सहभागिता संवाद पहल के तहत हिस्सा लिया।

पांच पीढ़ियों की लगभग 300 वर्ष पुरानी बनारस की संगीत परंपरा से जुड़े पं. साजन मिश्रा ने अपने खयाल-गायन की अनोखी भाव-गहराई, भक्ति-रस और विशिष्ट बनारसी अंदाज़ से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके विलंबित और द्रुत बंदिशों की प्रस्तुति ने कार्यक्रम स्थल को मानो वाराणसी के घाटों जैसा आध्यात्मिक, शांत और ध्यानमय वातावरण प्रदान कर दिया। उनके साथ तबले पर पं. मिथिलेश कुमार झा, हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्र और वोकल सपोर्ट में उनके पुत्र पं. स्वरांश मिश्र ने, उनका साथ दिया।

बनारस घराना अपनी भावप्रवण शैली, तकनीकी निपुणता, भक्ति के अद्भुत संतुलन और अन्तर्रात्मा से जोड़ने के लिए प्रसिद्ध है। पं. मिश्रा ने अपनी प्रस्तुति में इन सभी विशेषताओं का अत्यंत सहजता और गरिमा के साथ संयोजन किया। उन्हें 1998 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा 2007 में प्रतिष्ठित पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। 2021 में अपने बड़े भाई एवं संगीत-सहयात्री पं. राजन मिश्रा के निधन के उपरांत वे इस समृद्ध परंपरा को समर्पण भाव से आगे बढ़ा रहे हैं।

नालंदा विश्वविद्यालय में उनका आगमन विशेष महत्व का था, क्योंकि इसने विद्यार्थियों, शोधार्थियों और सभी दर्शकों को जीवित भारतीय संगीत परंपरा की ऐसी सजीव प्रस्तुति का दुर्लभ अवसर प्रदान किया, जो नालंदा की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़ती है। यह आयोजन एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ-साथ, भारतीय कला, अध्यात्म और बौद्धिक परंपरा को समझने का एक प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद अनुभव भी बना।

कार्यक्रम के बारे में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कहा, “हमारे स्थापना दिवस समारोह और चल रहे सांस्कृतिक श्रृंखला विरासत, पर पं. साजन मिश्रा जी का आगमन हमारे लिए सम्मान की बात है। नालंदा विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के समग्र विकास के प्रति प्रतिबद्ध है, जहाँ शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ सांस्कृतिक संवेदना और रचनात्मकता को भी समान महत्व मिलता है। ऐसे आयोजनों से भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ती है और युवा पीढ़ी प्रेरित होती है। इस कार्यक्रम को एक आध्यात्मिक अनुभव के रूप में आत्मसात करने की आवश्यकता है।”

यह सांस्कृतिक संध्या विश्वविद्यालय के उस उद्देश्य को भी आगे बढ़ाती है जो ज्ञान, संस्कृति और साझा विरासत के माध्यम से विश्व को जोड़ने का संदेश देता है।