November 22, 2024

#nalanda: पूरे भारतीय रेल में एकमात्र एआईआरएफ ही है जो हमेशा कर्मचारियों के हित में तत्पर रहता है… जानिए

 

 

 

 

 

 

 

पूरे भारतीय रेल में एकमात्र एआईआरएफ ही है जो हमेशा कर्मचारियों के हित में तत्पर रहता है….

 

 

 

 

 

 

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ख़बरें टी वी: आज दिनांक 27 सितंबर शुक्रवार को हरनौत रेल कारखाना में ईसीआरकेयू द्वारा गेट मीटिंग टाइम ऑफिस के पास भोजन अवकाश के समय किया गया। इस गेट मीटिंग में इसीआरकेयू के अपर महामंत्री सह धनबाद मंडल के पीएनएम प्रभारी मोहम्मद जियाउद्दीन ने कर्मचारियों को संबोधित कर एआईआरएफ और इसीआरकेयू के संघर्षों के इतिहास को कर्मचारियों को बताया। मोहम्मद जियाउद्दीन ने बताया की एकमात्र एआईआरएफ ही ऐसा संगठन है जिसके पास शहीद बेदी है तथा सभी आयोजनों के पूर्व शाहिद बेदी पर संगठन के संघर्ष में शहीद हुए कर्मचारियों को पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। एआईआरएफ के द्वारा ही अब तक तीन बार रेलवे में हड़ताल करने का इतिहास रहा है। हमारे दूसरे संगठन के लोग हड़ताल के समय कांग्रेस सरकार के एजेंट के रूप में हड़ताल को असफल करने का कार्य कर रहे थे। क्योंकि वह फेडरेशन कांग्रेस पार्टी के द्वारा ही बनाया गया था। एआईआरएफ किसी भी राजनीतिक दल के कोख से पैदा नहीं हुआ है। यह वर्ष 2024 में अपना शताब्दी समारोह मनाया। पूरे भारतीय रेल में एकमात्र एआईआरएफ ही है जो हमेशा कर्मचारियों के हित में तत्पर रहता है। तभी 100 वर्ष बीतने के बाद भी कर्मचारी का भरोसा इसपर कायम रहने के कारण आज यह सबसे बड़ा फेडरेशन है। जैसे एआईआरएफ देश भर के कर्मचारियों के आम समस्याओं को सुलझाने में तत्पर रहता है। इस तरह हरनौत रेल कारखाना में एकमात्र इसीआरकेयू ही ऐसा संगठन है, जो हमेशा कर्मचारियों के सुख-दुख में सहायता के लिए दिन-रात खड़ा रहता है। चाहे किसी कर्मचारी को पनिशमेंट का मामला हो, चाहे किसी कर्मचारी को रेलवे हॉस्पिटल में दिखाने का मामला हो, चाहे किसी कर्मचारी या उसके परिवार को एसबीएफ से सहायता दिलाने की बात हो, चाहे किसी भी कर्मचारी का स्थानीय कोई समस्या हो, कारखाना के विकास का समस्या हो हर मुद्दे पर इसीआरकेयू अपना आवाज बुलंद करते रहा है। इसके अलावा कोई भी संगठन कर्मचारियों का सुध लेने वाला नहीं है। दिसंबर में मान्यता का चुनाव होने के कारण संभव है कि 2013 के बाद 11 साल बीतने पर कुछ संगठन की आंख खुली हो और आप लोग के बीच में आए। परंतु इतना तय है कि जैसे चुनाव के पहले वह गायब थे वैसे ही चुनाव के बाद भी वह गायब हो जाएंगे। मैं यहां पर किसी भी कर्मचारी से वोट मांगने नहीं आया हूं कि मान्यता के चुनाव में आप हमें वोट दीजिए। मैं अपने संगठन के संघर्षों का तथा किए गए कामों का आपके बीच चर्चा करने आया हूं। यदि आप समझेंगे की एकमात्र ईसीआरकेयू ही है जो 24 घंटे जब भी इसको आप याद करते हैं, आपके सुख-दुख में खड़ा रहता है, तो आप खुद ही इसे वोट दीजिएगा। यदि आपको लगता है कि इसीआरकेयू के अलावा दूसरा कोई संगठन आपके सुख-दुख में हमेशा खड़ा रहता है तो आप उसको वोट दीजिएगा। इसका निर्णय आप कर्मचारी खुद ही करेंगे।
ओपीएस के संघर्षके मुद्दे पर उन्होंने विस्तार से कर्मचारियों से वार्ता किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 से एनपीएस लागू होने के 6 माह बाद ही जब एआईआरएफ को लगा कि यह कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ा धोखा है, तभी से एआईआरएफ एनपीएस समाप्त करने का संघर्ष जारी किया और वह निरंतर चलता रहा। ओपीएस के लिए देश भर के सभी मान्यता प्राप्त संगठन का एक संयुक्त फोरम एआईआरएफ के महासचिव आदरणीय शिव गोपाल मिश्र के नेतृत्व में बना। इस फोरम में एनएफआईआर सहित केंद्र सरकार के सभी कर्मचारी संघ तथा अन्य राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन भी है। एआईआरएफ ने अपने शताब्दी वर्ष को पूरा ओपीएस के मांग का वर्ष बना दिया था। वर्ष 2024 में प्रत्येक माह के 21 तारीख को पूरे देश में शाखा स्तर पर ओपीएस के लिए धरना प्रदर्शन किए गए, भूख हड़ताल किए गए, 10 अगस्त को रामलीला मैदान में बहुत बड़ा रैली किया गया। फिर हड़ताल के लिए जब नोटिस दिया गया तो सरकार एनपीएस में सुधार करने के लिए कमेटी बनाई। कमेटी भी कर्मचारियों को बहुत कुछ देने के मूड में नहीं था। परंतु संगठन का लगातार दबाव रहा जिसके कारण उसको हमारे सबसे महत्वपूर्ण मांग 50% गारंटीड पेंशन तथा उस पर डीआर लागू करने के मांग को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा तथा वह यूपीएस लेकर आई। मैं आप लोगों को स्पष्ट करना चाहता हूं कि यूपीएस में बहुत ही खामी है। फिर भी इसमें हमारे मांग का लगभग 80% मांग पूरे हो गए हैं। शेष लगभग 20% मांग के लिए हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा। ओपीएस भी 1957 में जब लागू किया गया था उस समय इसमें 30% ही पेंशन का प्रावधान किया गया था तथा उस पर कोई डीआर नहीं मिलता था। एआईआरएफ ने ओपीएस में भी सुधार के लिए लगातार संघर्ष किया। अभी भी ओपीएस में सुधार करने का मांग कि सर्विस पीरियड को 20 वर्ष से घटकर 15 वर्ष किया जाए, लंबित है। कोई कैसे मान सकता है कि यूपीएस के इस प्रक्रिया से हम संतुष्ट हो जाएंगे? पेंशन मामले में हम तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक इसमें ओपीएस के सभी सुविधा नहीं दे दिया जाए। यूपीएस एकमात्र पड़ाव है। हमारा मंजिल अभी भी ओपीएस ही है। इस क्रम में उन्होंने जिज्ञासु कर्मचारियों के कई सवालों का जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया। कर्मचारियों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने आश्वासन दिया की सन 2021 में जो कर्मचारी प्रशासनिक स्थानांतरण के आधार पर धनबाद गए हैं, वह भी हरनौत वापस आएंगे। कुछ देर हो सकता है, परंतु इतना आश्वासन देता हूं कि वह हरनौत से ही रिटायर करेंगे। इसके पूर्व ईसीआरकेयू हरनौत शाखा के शाखा सचिव पूर्णानंद मिश्र के नेतृत्व में यूनियन के लोग मोहम्मद जियाउद्दीन का स्वागत किया जिसमें शाखा अध्यक्ष महेश महतो, कार्यकारी अध्यक्ष बच्चा लाल प्रसाद कोषाध्यक्ष मनोज मिश्रा, राकेश रंजन, विपिन कुमार, गिरिजा प्रसाद, मंजय कुमार, बासुकीनाथ उपाध्याय , पवन कुमार, पूनम कुमारी, अनुपमा कुमारी, प्रकाश रंजन, अंबुज कुमार, सतीश कुमार, रमेश राम, रंजीत पोद्दार,दिपक कुमार, प्रमोद कुमार, रंजीत कुमार, महेंद्र चौधरी, शंकर कुमार,प्रभात कुमार,विनय कुमार, मृत्युंजय चौबे, कृष्णा कुमार सहित सैकड़ों कर्मचारी सम्मिलित थे।