October 19, 2024

ख़बरे टी वी – आदिवासियों के हक अधिकार के लिए लड़ने वाले 84 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की कल कस्टडी में ही बम्बई के एक अस्पताल में हुई मौत

*फादर स्टेन स्वामी की मौत संस्थागत हत्या के अलावा और कुछ नहीं*
*फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में हत्या के विरुद्ध उपजे आक्रोश को अंजाम तक पहुंचाएं*

KHABRE TV – 9334598481 – भाकपा माले जिला कार्यालय कमरूद्दीनगंज, बिहारशरीफ (नालन्दा) में आदिवासियों के हक अधिकार के लिए लड़ने वाले 84 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की कल कस्टडी में ही बम्बई के एक अस्पताल में हुई मौत से उपजे आक्रोश व असीम दुख में झारखण्ड व पूरे भारत की गरीब एवं दमित जनता के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर माले कार्यकर्ताओ ने दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी ।इस अवसर पर बिहारशरीफ,रहुई के प्रभारी पाल बिहारी लाल ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी को भीमा कोरेगांव के फर्जी केस में जांच के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा फंसाए जाने और गिरफ्तार किए जाने से पहले आदिवासियों और दलितों के अधिकारों के लिए काम करते हुए कई दशक बिताए थे।
84 साल के फादर स्टेन 8 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किये जाने के बाद तलोजा सेंट्रल जेल महाराष्ट्र में कैद थे। वह पार्किंसंस रोग सहित कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। उन पर कठोर यूएपीए कानून के तहत फर्जी मुकदमा कर फंसाने का का एक ही मतलब था कि उनकी जमानत अर्जी अनिवार्य रूप से खारिज कर दी गई थी।


पहले से ही कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे फादर स्टेन के स्थिति कैद और जेल की अमानवीय परिस्थितियों से और भी खराब हो गई और वे कोरोना से भी संक्रमणग्रस्त हो गए। वे पार्किंसन बीमारी के कारण पानी पीने के लिए ग्लास भी नही थाम सकते थे।तलोजा केंद्रीय जेल के अधिकारियों ने उन्हें पानी पीने हेतु एक सिपर मुहैया कराने में एक महीने से ज्यादा का वक्त लिया और उनकी गंभीर बीमारियों को अनदेखा कर उनके स्वास्थ्य में आ रही गिरावट को सुनिश्चित कर दिया।
अब फादर स्टेन नहीं रहे। भीमा कोरेगांव मामले को मोदी-शाह सरकार द्वारा किसी भी असहमति की आवाज को जेल में बंद करने के औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। क्रिमिनल लॉ और जांच एजेंसियों की मशीनरी को किसी भी राजनीतिक असंतोष को दबाने का हथियार बना दिया गया है। यूएपीए कानून के तहत बेल नही जेल का प्रवधान ‘रूल ऑफ लॉ’ के बुनियादी सिद्धांतों को खत्म कर देता है।
फादर स्टेन की जमानत की सुनवाई ने भारतीय न्याय व्यवस्था में गिरावट के नये प्रतिमान दर्ज कर दिये हैं जो आगामी इतिहास में दर्ज रहेगा.। यूएपीए सहित सभी काले व कठोर कानूनों को रद्द करने और वर्तमान बहुसंख्यकवादी केंद्र सरकार द्वारा प्रताड़ित और जेल में बंद सभी मानवाधिकार अधिवक्ताओं और कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए लिए संघर्ष के साथ भारत में राज कर रहे फासीवादियों के हमलों के खिलाफ पूरी दृढ़ता व साहस से खड़े रहने के अपने संकल्प को दोहराते हुए फादर स्टेन स्वामी को अपनी श्रद्धांजलि देता है। इस अवसर पर
श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में ठेला फुटपाथ वेंडर्स यूनियन के जिला सचिव रामदेव चौधरी, सफाईकर्मियों के नेता मनोज रविदास, विक्की कुमार,करण सिंह महेश रविदास,आकाश मलिक आदि उपस्थित थे।

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