November 24, 2024

ख़बरे टीवी – राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस तथा पुस्तकालय विज्ञान के जनक एस.आर.रंगनाथन के जन्म दिवस पर गुगल मीट के द्वारा कोरोना संकट में पुस्तकालय का भविष्य विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए – आलोक आजाद.

राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस तथा पुस्तकालय विज्ञान के जनक एस.आर.रंगनाथन के जन्म दिवस पर गुगल मीट के द्वारा कोरोना संकट में पुस्तकालय का भविष्य विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए – आलोक आजाद.

कोरोना संकट को देखते हुए पुस्तकालयों को ई-पुस्तकालय में बदले सरकार,

( ख़बरे टीवी – 9334598481, 9523505786 ) – राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस तथा पुस्तकालय विज्ञान के जनक एस.आर.रंगनाथन के जन्म दिवस पर गुगल मीट के द्वारा कोरोना संकट में पुस्तकालय का भविष्य विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रमंडलीय सह संयोजक आलोक आजाद ने कहा कि आज संपूर्ण भारत में रंगनाथन साहब जिन्हें भारतीय पुस्तकालय का जनक कहा जाता है, कि जयंती को राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस के रुप में मनाया जाता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा हमेशा से ही मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता रही है।कभी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास शिक्षा के अभाव में नहीं हो सकता है या यूं कहें कि इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती है। शिक्षा व्यक्ति के हर क्षेत्र को प्रभावित करती है और इसमें पुस्तकालय का योगदान सदा से ही अतुलनीय रहा है।पुस्तकालय ना सिर्फ लोगों को शिक्षित करने में योगदान देती है वरन यह हमारी सभ्यता, संस्कृति, व परंपरा विरासत को भी संजोने का काम करती है। भारत में पुस्तकालय की संकल्पना यकीनन परंपरा स्वरूप चली आ रही है परंतु वर्तमान कोरोना काल में यह अपनी वास्तविक छवि को खोती जा रही है आज जरूरत है इसे बचाने की।

आलोक ने कहा की बिहार जैसे राज्य जहां 2008 में पुस्तकालय अधिनियम पारित किया जा चुका है परंतु यह सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। लगभग 10 वर्षों से इस क्षेत्र में नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया सरकार के उदासीनता के कारण बंद है जिसके कारण बिहार के हजारों पुस्तकालय विज्ञान के छात्रों में निराशा का भाव आ गया है जो छात्रों तथा शिक्षक व्यवस्था के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।बिहार सरकार इस दिशा में कोई ठोस निर्णय नहीं ले रही है सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है कि इस दिशा में कोई निर्णय लिया जाएगा परंतु कब तक यह यह निश्चित नहीं है, आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा सरकार विद्यार्थियों के भविष्य से कब तक खिलवाड़ करेगी यह एक बड़ा प्रश्न है।

उन्होंने कहा की कोरोना संकट ने पुस्तकालयों को भी हिला कर रख दिया है। सोशल डिस्टेंसिंग से चलते विधालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों सहित दुनिया की तमाम मशहूर लाइब्रेरियों में अध्ययन की प्रक्रिया लगभग ठप हो गई है। ऑनलाइन व अत्याधुनिक सूचना तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। परंपरागत पुस्तकालय प्रबंध को छोड़ अब विकल्पों की तलाश होने लगी है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से उनके पूर्व के घोषणा के अनुसार बिहार के सभी प्राथमिक से लेकर कालेजों तथा विश्वविद्यालय के साथ प्रत्येक पंचायत में पुस्तकालयों की स्थापना को याद दिलाते हुए युवा तथा छात्र हित में बिहार के सभी पुस्तकालयों को ई-पुस्तकालय के रुप में बदलते हुए जल्द से जल्द पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति की मांग की है जिससे कोरोना संकट में बच्चों को ई-पुस्तकालय के माध्यम से घर बैठे अच्छी शिक्षा तथा सभी विषयों की पुस्तकें उपलब्ध करवाई जा सके।

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