#bihar: छठ गीतों के साथ अमर रहेगी शारदा सिन्हा, शारदा सिन्हा के गीत हमेशा के लिए जीवित रहेंगे… जानिए
छठ गीतों के साथ अमर रहेगी शारदा सिन्हा, शारदा सिन्हा के गीत हमेशा के लिए जीवित रहेंगे :-अनिल कुमार अकेला
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#ख़बरें टी वी: बिहार शरीफ:-6 नवंबर प्रसिद्ध लोकगीत गायक शारदा सिन्हा के निधन पर राजद नेता अनिल कुमार अकेला ने कहा बिहार के लिए आपूर्णिय छती है। मैं व्यक्तिगत रूप से काफी दुखी हूं…
छठ पर्व के दौरान उनके इस दुनिया से अलविदा लेने से देश में शोक की लहर है।
श्री अकेला ने कहा शारदा सिन्हा की पहचान छठ गीत से ही है छठ का मतलब शारदा सिन्हा का गीत बिहार के कोने-कोने में गांव-गांव में मोहल्ले मोहल्ले में इनके गीत से पूरा बिहार गूंज उठता था धरती महक उठती थी आज वह हमारे बीच नहीं रहे। बिहार की धरती पर जब तक छठ पूजा होते रहेंगे। प्रसिद्ध लोकगीत गायिका शारदा सिन्हा के गीत जीवित रहेंगे।
1991 में, उन्हें संगीत में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार मिला। उन्हें 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
72 साल की उम्र में शारदा सिन्हा ने अपने कोकिला आवाज को संसार में गूंजते हुए छोड़ कर चली गई…
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार राज्य के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। उनके पिता, सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में अधिकारी थे। शारदा सिन्हा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हुलास में ही पूरी कीं। 1974 में उन्होंने पहली बार भोजपुरी गीत गाया, लेकिन उनके जीवन में संघर्ष जारी रहा। 1978 में उनका छठ गीत ‘उग हो सुरुज देव’ रिकॉर्ड किया गया, जिसके बाद शारदा सिन्हा का नाम घर-घर में प्रसिद्ध हो गया। 1989 में उन्होंने बॉलीवुड में भी कदम रखा और मैंने प्यार किया फिल्म में ‘ कहे तोसे सजना तोहरे सजनिया’ गीत ने खूब सराहना बटोरी।