October 19, 2024

#bihar nalanda: जन्मजात टेढ़े पैर को बिना सर्जरी नॉर्मल करना संभव, लेकिन जन्म के तीन माह के अंदर इलाज जरूरी….जानिए

जन्मजात टेढ़े पैर को बिना सर्जरी नॉर्मल करना संभव, लेकिन जन्म के तीन माह के अंदर इलाज जरूरी..

-बोआकॉन -2024 के पहले तकनीकी सत्र में देश – विदेश से आए हड्डी रोग विशेषज्ञ ने साझा किए अपने अनुभव और नई तकनीक..

-10 फरवरी को औपचारिक उद्घाटन और 11 को होगा समापन…

 

 

 

ख़बरें टी वी : पिछले 13 वर्षो से ख़बर में सर्वश्रेष्ठ..ख़बरें टी वी ” आप सब की आवाज ” …
आप या आपके आसपास की खबरों के लिए हमारे इस नंबर पर खबर को व्हाट्सएप पर शेयर करें…ई. शिव कुमार, “ई. राज” —9334598481..
आप का दिन मंगलमय हो….

 

 

 

 

 

 

ख़बरें टी वी : 9334598481 : जन्म जात टेढ़े पैर या क्लब फूट का इलाज बिना सर्जरी के संभव है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि इलाज जन्म के तीन माह के अंदर शुरू हो जाए। यह कहना था सैंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली के डा मैथ्यू वर्गीज और पारस हॉस्पिटल , पटना के डा जसविंदर सिंह का। ये दोनों बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन बोआकॉन -2024 में बोल रहे थे। राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में तीन दिवसीय कांफ्रेंस के पहले दिन चार तकनीकी सत्र हुए। पहला तकनीकी सत्र क्लब फूट पर था।
सीटीईवी (क्लब फूट) सेशन में बोलते हुए डा मैथ्यू ने कहा कि पॉन्सिटी विधि से क्लब फूट बिना सर्जरी के ठीक किया जा सकता है। वहीं डा जसविंदर ने कहा कि पहले क्लब फूट को ठीक करने के लिए सर्जरी करनी पड़ती थी। लेकिन अब हमलोग पांच – छह हफ्ते हर हफ्ते प्लास्टर करते हैं। फिर एक स्पेशल जूता पहनने के लिए देते हैं। इससे टेढ़े पैर को लगभग 100 % ठीक किया जा सकता है। लेकिन इलाज करने में देरी होती है तो कठिनाई बढ़ जाती है।
डा वर्गीज ने कहा कि अमूमन पांच वर्ष तक स्पेशल जूता पहनने को कहा जाता है। यह जूता इलाज शुरू होने के तीन माह बाद सिर्फ रात में सोने के वक्त पहनना होता है। यदि इलाज के समय मरीज किशोर हो चुका है तो सर्जरी करनी पड़ती है। बावजूद 100 प्रतिशत मर्ज ठीक नहीं होता।
दूसरे तकनीकी सत्र में बेसिक स्पाइन पर चर्चा हुई। जिसमें डा गौतम आर प्रसाद, डा अभय नेने, डा राम चड्ढा आदि ने प्रस्तुति दी।
तीसरा सत्र एफएनएस पर था। जिसमें डा सुदीप कुमार, डा जॉन मुखोपाध्याय, डा मुकेश जैन, डा अरविंद प्रसाद गुप्ता, डा वसीम अहमद आदि ने प्रस्तुति दी और अपने अनुभव को साझा किया। साथ इस क्षेत्र के नए तकनीक से भी रूबरू करवाया। अंतिम सत्र ‘ सुपरा पैटलर नेलिंग फॉर फ्रेक्चर टिबिया ‘ पर था। इस सत्र में डा जानकी शरण भादानी, डा रिताभ कुमार, डा राजेश कुशवाहा, डा जॉन मुखोपाध्याय, डा आनंद शंकर और डा रमाकांत सिंह प्रेजेंटेशन देकर अपने अनुभव और तकनीक साझा किए।

 

 

इसके पहले दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ। राज्य और राज्य के बाहर से आए डेलीगेट्स का स्वागत और परिचय हुआ।
आयोजन सचिव डा अरुण कुमार और साइंटिफिक कमिटी के चेयरमैन डा कुमार अमरदीप ने बताया कि दूसरे दिन भी समानांतर कई तकनीकी सत्र होंगे। वहीं शोध पत्र भी पेश किए जाएंगे। शाम छह बजे कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन होगा।
कार्यक्रम में आयोजन समिति के डा नरेंद्र कुमार सिन्हा, डा चंदेश्वर प्रसाद, डा अभिषेक कुमार, डा राहुल, डा शशिकांत आदि मौजूद थे।

स्वर्ण जयंती मना रहा है एसोसिएशन:
गौरतलब है कि बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन अपना स्वर्ण जयंती भी मना रहा है। वर्ष 2024 में एसोसिएशन अपने 50 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। ऐसे में इसे यादगार बनाने के लिए 600 से ज्यादा हड्डी रोग विशेषज्ञ राजगीर में जुटे हैं। देश – विदेश से भी कई फैकल्टी आमंत्रित किए गए हैं।

Other Important News