October 18, 2024

#bihar nalanda : नालंदा विश्वविद्यालय के 30 देशों के छात्र पुरुलिया छऊ लोक नृत्य से हुए रोमांचित…जानिए

 

नालंदा विश्वविद्यालय के 30 देशों के छात्र पुरुलिया छऊ लोक नृत्य से हुए रोमांचित…

 

 

 

 

 

 

 

ख़बरें टी वी : पिछले 13 वर्षो से ख़बर में सर्वश्रेष्ठ..ख़बरें टी वी ” आप सब की आवाज ” …
आप या आपके आसपास की खबरों के लिए हमारे इस नंबर पर खबर को व्हाट्सएप पर शेयर करें…ई. शिव कुमार, “ई. राज” —9334598481..
आप का दिन मंगलमय हो….

 

 

 

 

ख़बरें टी वी : 9334598481 : आज नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित पुरुलिया छऊ नृत्य की जीवंत प्रस्तुति से यहाँ अध्ययनरत 30 देशों के छात्र भारत की समृद्ध सांस्कृति एवं लोक कला से रू-ब-रू हुए। इस मनमोहक लोक नृत्य का आयोजन विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में हुआ। यह प्रभावशाली कार्यक्रम नालंदा विश्वविद्यालय के स्पिक मैके हेरिटेज क्लब के छात्रों द्वारा आयोजित किया गया था।

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से आए लोक कलाकारों ने इस पारंपरिक लोक-नृत्य के माध्यम से मार्शल आर्ट, नाटकीय तत्वों और अभिव्यंजक शैली की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में शामिल कलाकारों ने दुर्गा सप्तसती के महिषासुर वध के प्रसंगों को मंच पर जीवंत कर दिया और दर्शकों को प्राचीन कथा-वाचन व नृत्य प्रदर्शन से परिचित कराया। यह नृत्य मुखौटों के साथ ढोल, धमसा, बांसुरी और शहनाई जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की लयबद्ध धुनों द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

कार्यक्रम के महत्त्व को रेखांकित करते हुए नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति (अंतरिम) प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने इस विशिष्ट कला को संरक्षित करने के लिए कलाकारों और इन पारंपरिक कला रूपों को बढ़ावा देने के लिए ऐसे आयोजनों को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने छात्रों को भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य का अनुभव करने और उसे और अधिक समृद्ध बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही उन्होंने युवाओं को भारत की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने के हेतु मंच प्रदान करने के लिए स्पिक मैके के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

स्पिक मैके संस्था शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और संस्कृति की गहरी समझ को विकसित करने के लिए समर्पित है। इन आयोजनों के माध्यम से यह स्वयंसेवी आंदोलन शास्त्रीय व लोक कलाओं से वर्तमान युवावर्ग को जोड़ता है।

कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने भारत की गौरवशाली लोक सांस्कृति और विरासत की झलक देखने का अवसर प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय और कुलपति के प्रति आभार व्यक्त किया। नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित ऐसे कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देते हैं और यहाँ की विद्यार्थियों में अन्य संस्कृतियों के प्रति सम्मान की भावना को विकसित करने मे सहायक होते हैं।

 

 

 

Other Important News