November 23, 2024

#bihar nalanda: सदर अस्पताल में चल रहा था मरीजों के साथ बड़ा खेल, जिलाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए गिराए कई लोगों पर गाज…जानिए

 

 

 

 

बिहार शरीफ सदर अस्पताल में चल रहा था मरीजों के साथ बड़ा खेल, जिलाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए गिराए कई लोगों पर गाज…

 

 

 

ख़बरें टी वी : पिछले 13 वर्षो से ख़बर में सर्वश्रेष्ठ..ख़बरें टी वी ” आप सब की आवाज ” …
आप या आपके आसपास की खबरों के लिए हमारे इस नंबर पर खबर को व्हाट्सएप पर शेयर करें…ई. शिव कुमार, “ई. राज” —9334598481..
आप का दिन मंगलमय हो….

 

 

 

 

ख़बरें टी वी : 9334598481 : बिहार के नालंदा जिले में स्वास्थ्य सेवा में व्याप्त अनियमितता एक बार फिर से सामने आई, जहा बिहारशरीफ सदर अस्पताल के चिकित्सक कर्मी एवं बिचौलियों के गठजोड़ से मरीज एवं उनके परिजनों का कैसे शोषण किया जाता है। इसका खुलासा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर अपने एक आदेश में किया है। नालंदा डीएम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक झटके में ही बिहारशरीफ सदर अस्पताल के एक चिकित्सक, 12 आशा कार्यकर्ता, दो सामुदायिक उत्प्रेरक, तीन सुरक्षा गार्ड एवं कई एम्बुलेंस चालक पर सीधी कार्रवाई की है। डीएम शशांक शुभंकर ने सिविल सर्जन एवं बिहारशरीफ सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को भी जांच के दायरे में लाकर, दोनों चिकित्सा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण पूछा है।

 

 

नालंदा डीएम ने निजी अस्पताल के प्रबंधन से मरीज के परिजन को मानसिक प्रडतापना, एवं वरगलाकर वसूले गए, 50 हजार रुपए की भी रिकवरी करने का आदेश, नालंदा के सिविल सर्जन एवं बिहार शरीफ सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को दिया है। समय-समय पर जिले के स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पतालों में चिकित्सक स्वास्थ्यकर्मी एवं बिचौलियों के आपसी तालमेल से मरीज व उनके परिजनों का शोषण दोहन की खबरे आए दिन सुर्खियों में बनती रही है। इससे आजीज डीएम ने डीडीसी वैभव श्रीवास्तव की मदद से स्वास्थ्य सेवा में व्याप्त अनियमितता से निपटने के लिए कमर कस लिया है। दरअसल 22 जनवरी 2024 को डीएम को शिकायत मिली की, बिहारशरीफ सदर अस्पताल में भर्ती दिव्या कुमारी का बच्चा पैदा हुआ था। बच्चें की हालत नाजुक थी।

 

 

सदर अस्पताल परिसर में बच्चों के देखरेख के लिए बनये गये एसनसीयू में नवजात को भर्ती कराया गया। जहां तैनात चिकित्सक डॉक्टर मेजर अंजय कुमार, आशा वर्कर, अंजू देवी, मिनता देवी एवं  पूर्व में मरीज व उसके परिजनों का शोषण दाेहन करने के आरोपी सेवा मूक्त आशा वर्कर, रिंकू देवी की मदद से बिहारशरीफ शहर के भैसासुर मुहल्ला स्थित …. निजी…. मेमोरियल शिशु अस्पताल भेजवा दिया। इस कार्य में सरकारी एम्बुलेंस चालकों का भी सहारा लिया गया। निजी अस्पताल में बीमार नवजाज के परिजन से पच्चास हजार रूपये की अवैध बसूली की गई। उसके बावजूद भी बच्चें की जान नहीं बच पाई। डॉक्टर मेजर अंजय कुमार, निजी अस्पताल में प्रैक्टिस करते हैं। पूर्व में भी अस्पताल के एसएनसीयू में तैनाज चिकित्स डा. मेजर अंजय ने गुड्डी देवी एवं विभा कुमारी के नवजात बच्चें को निजी क्लिनिक में भेजकर मोटी रकम बसूल की थी। उस समय भी मामला डीएम के पास पहुंचा था। डीएम ने निजी क्लीनिक के संचालक चिकित्सक एवं कर्मी पर कार्रवाई करने का आदेश सिविल सर्जन एवं उपाधीक्षक को दिया था। लेकिन इस कार्य में सीएस एवं उपाधीक्षक ने कोताही बरती थी।

 

 

नालंदा डीएम शशांक शुभंकर ने सख्ती दिखाते हुए। इस नये प्रकरण में चिकित्सक के विरूद्ध प्रपत्र क गठित कर, सेवा से बर्खास्त करने के साथ – साथ 12 आशा कर्मियों पर प्राथमिकी कर रिपोर्ट तलब किया है। डीएम ने घटना के समय मौजूद गार्ड हरेन्द्र कुमार, सनम कुमारी एवं टुन्नी देवी का सेवा मुक्त करने का निर्देश दिया है। कार्य में कोताही बरतने के आरोप में डीएम ने जिला सामुदायिक उम्प्रेरक सज्जाद हुसैन एवं बिहारशरीफ प्रखंड के सामुदायिक उत्प्रेक सुनील कुमार को भी चयन मुक्त करने को कहा है।
बता दे कि चार दिन पहले डीएम के निर्देश पर नालंदा डीडीसी वैभव श्रीवास्तव ने अस्पताल का निरीक्षण कर पूरे मामले की जांच की थी। दूसरे दिन यानी तीन दिन पहले डीएम शशांक शुभंकर स्वयं बिहारशरीफ सदर अस्पताल पहुंचकर मामले की वृहत पैमाने पर जांच की तथा जांचों उपरान्त, अपने आदेश में डीएम ने कहा है कि पूर्व में सीएस एवं डीएस को कई दूसरे मामले में चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मियाें पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।

 

 

लेकिन सीएस एवं डीएस द्वारा शिथिलता बरती गई। एक वर्ष से अधिक समय से तैनात सुरक्षा गार्ड को हटाने की बात कही गई थी। लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। जो गंभीर मामला है। इस संबंध में दोनों चिकित्सा पदाधिकारियों को स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। बता दे की पिछलें साल भी एसएनसीयू से कई नवजात बच्चें के परिजनों को बहला फुसलाकर निजी ….. मेमोरियल अस्पताल में भेजा गया था और परिजनों से मोटी रकम बसूल की गई थी । इसके बावजूद बच्चें की जान नहीं बचाई जा सकी थी। इस मामले में डीएम ने कार्रवाई का निर्देश दिया था । लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की गई थी। इसी का फायदा उठाकर अस्पताल में तैनात चिकित्सक एवं कर्मियों ने मरीज एवं उसके परिजन से अवैध बसूली करने में लगे थे। डीएम ने इस मामले को गंभीरता से लिया और नये और पुराने प्रकरण का बड़ा खेला खुलकर सामने आया। जांच हुई तो कार्रवाई के तहत चिकित्सक एवं कई स्वास्थ्य कर्मी आ गये है। अब देखना है…. डीएम के आदेश का किस स्तर पर पालन होता है।