ख़बरें टी वी : नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ जल संरक्षणविद् डॉक्टर राजेंद्र सिंह का विशिष्ट व्याख्यान… जानिए पूरी ख़बर
नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ जल संरक्षणविद् डॉक्टर राजेंद्र सिंह का विशिष्ट व्याख्यान..
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पर्यावरणविद ने नालंदा के जल प्रबंधन को अन्य विश्वविद्यालयों के लिए बताया अनुकरणीय…
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ख़बरें टी वी : 9334598481 : ब्यूरो रिपोर्ट : आज नालंदा विश्वविद्यालय में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पर्यावरणविद डॉ राजेंद्र सिंह का विशिष्ट व्याख्यान आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह द्वारा हुई। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की निर्वतमान कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
व्याख्यान के दौरान जल संरक्षणविद डॉ राजेंद्र सिंह ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से अपने प्रेरणादायक अनुभवों को साझा किया। उन्होंने सिर्फ लाभ केंद्रित प्रवृति की जगह शुभता के साथ लाभ को अनुकरणीय बताया। अपने सम्बोधन में उन्होंने “नीर, नारी, नदी को नारायण का स्वरूप” कहा। अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने डॉ राजेंद्र सिंह द्वारा देश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा जल भंडारण हेतु प्रयुक्त स्वदेशी तकनीक के सफलतम प्रयोगों की चर्चा की। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों के लिए….
निवर्तमान कुलपति प्रो. सुनैना सिंह की भूमिका को अहम बताया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर सुनैना सिंह अपने सम्बोधन में कहा की किस प्रकार उनके कार्यकाल के दौरान प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली से अनुप्राणित नालंदा विश्वविद्यालय में नेट-जीरो की परिकल्पना को साकार किया गया है। व्याख्यान के पश्चात प्रश्नोत्तर के दौरान डॉ सिंह ने नालंदा के जल संरक्षण में प्रयुक्त स्वदेशी तकनीकों की सराहना की।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उनके लिए कैंपस भ्रमण की व्यवस्था की गई थी जिसके दौरान उन्हे नालंदा को नेट- जीरो परिसर बनाने के प्रयासों एवं यहाँ की जल संरक्षण प्रणाली एवं अपशिष्ट प्रबंधन से भी अवगत कराया गया। श्री सिंह विश्वविद्यालय की हरीतिमा एवं जल निकायों के संरक्षण की प्रणाली से प्रभावित हुए। उन्होंने जल प्रबंधन एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रभावी जल प्रबंधन और जैव विविधता के साथ नेट-शून्यपरिसर की कल्पना को साकार करने वाले विश्व के चुनिंदा शिक्षा संस्थानों में से एक है। यहाँ के परिसर को एक बड़े एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्राचीन नालंदा की तरह इस विश्वविद्यालय के एक विस्तृत भूभाग में कई सरोवर स्थित हैं। 40 हेक्टेयर में फैले हुए ये जल निकाय स्वदेशी जल संचयन विधियों से संचालित होते हैं। विश्वविद्यालय में अभी लगभग 31 देशों के छात्र हैं जो इसके 455एकड़ के हरित आवासीय परिसर में अध्ययनरत हैं।