ख़बरें टी वी: ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन का 99 साल पूरा होने तथा शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने के समारोह का आयोजन…… जानिए पूरी ख़बर
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन का 99 साल पूरा होने तथा शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने के समारोह का आयोजन..
ख़बरें टी वी : 9334598481 : ब्यूरो रिपोर्ट: आज रेल सवारी डिब्बा मरम्मत कारखाना हरनौत में ईसीआरकेयू के द्वारा ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन का 99 साल पूरा होने तथा शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने के समारोह का आयोजन टाइम ऑफिस के पास किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि मुख्य कारखाना प्रबंधक श्री आरआर प्रताप थे। सर्वप्रथम कारखाना के सभी प्रशासनिक पदाधिकारी, यूनियन प्रतिनिधि एवं कर्मचारियों ने एआईआरएफ के संघर्ष में शहीद हुए कर्मचारियों के बलिवेदी पर पुष्पांजलि अर्पित करके उनको नमन किया। फिर सभी की उपस्थिति में ईसीआरकेयू के शाखा सचिव पूर्णानंद मिश्र ने केक काटकर शताब्दी वर्ष के उत्सव का प्रारंभ किया।
इस अवसर पर मुख्य कारखाना प्रबंधक महोदय ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए सभी को अपनी जायज मांगे के लिए जागरूक रहने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि यूनियन कर्मचारियों के समस्याओं के समाधान के लिए लगातार तत्पर रहता है। कर्मचारियों के ऐसे कई समस्याएं हैं जिनका समाधान उनके लिए बहुत ही मुश्किल होता है, ऐसे समस्याओं का समाधान यूनियन के माध्यम से विभिन्न स्तर पर वार्ता करके करवाया जाता है। शाखा सचिव पूर्णानंद मिश्र ने एआईआरएफ का इतिहास बताते हुए कहा कि इसका गठन 24 अप्रैल 1924 को रेलवे के तत्कालीन मजदूरों पर ब्रिटिश हुकूमत द्वारा किए जा रहे जुल्मों के खिलाफ सभी छोटे-छोटे संगठनों को एकत्रित करके किया गया। इसके पहले अध्यक्ष राय साहब तथा पहले महामंत्री मुकुंद लाल थे। एआईआरएफ के दूसरे महामंत्री वीवी गिरी मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ते हुए देश के उपराष्ट्रपति एवं राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे। वीवी गिरि के बाद सन 1947 में जयप्रकाश नारायण इसके अध्यक्ष हुए। कालांतर में पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस एआईआरएफ के अध्यक्ष हुए तथा उनके नेतृत्व में भारतीय रेल ने 1974 का अभूतपूर्व हड़ताल देखा है। वर्तमान में एआईआरएफ का अध्यक्ष कामरेड एन कन्हैया तथा महामंत्री कामरेड शिवगोपाल मिश्र है।
ट्रेड यूनियन के तौर पर यह विश्व में प्रथम स्थान का संगठन है। पिछले 100 साल में एआईआरएफ की उपलब्धियों को गिनाते हुए पूर्णानंद मिश्र ने बताया कि सर्व प्रथम ब्रिटिश हुकूमत 43000 अस्थाई कर्मचारियों को अचानक 28 जून 1931 को घर बैठा दिया। तो वीवी गिरि के नेतृत्व में एआईआरएफ द्वारा हड़ताल का नोटिस देने के बाद इन्हें पुनः काम पर लिया गया। तनख्वाह के साथ महंगाई भत्ता दिलाने का कार्य 1940 में तत्कालीन महामंत्री कामरेड एस गुरु स्वामी के दबाव के चलते ही संपन्न हुआ। एआईआरएफ के मांगों के आगे झुकते हुए सरकार को 22 जून 1946 को पहला वेतन आयोग बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे कर्मचारियों के वेतनमान और भत्तों का मार्ग प्रशस्त हुआ। आजादी के बाद भी एआईआरएफ का संघर्ष जारी रहा तथा 1960 1968 और 1974 में ऐतिहासिक रेल हड़ताल हुआ। 1974 के हड़ताल के बाद ही रेल कर्मचारियों के लिए उत्पादकता आधारित बोनस का प्रावधान किया गया तथा उसी समय कर्मचारियों के समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तर पर पीएनएम तथा अन्य बैठक करने का प्रावधान किया गया। एआईआरएफ के महामंत्री कामरेड शिवगोपाल मिश्र ने अपने संगठन के शताब्दी वर्ष को केंद्रीय कर्मचारियों को एनपीएस से मुक्ति दिलाकर ओपीएस के पुनर्बहाली कराने हेतु संघर्ष का वर्ष बताया है। उन्होंने वर्ष 2023 को में जेएफआरओपीएस के संयुक्त मंच के माध्यम से देश के सभी ट्रेड यूनियन को एकजुट कर एक सूत्री मांग ओपीएस पुनर्बहाली के लिए संघर्ष का पूरा रूपरेखा तैयार किया है।
इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर मुख्य कारखाना प्रबंधक के अतिरिक्त दोनों उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर, उत्पादन इंजीनियर, कार्य प्रबंधक, उप मुख्य सामग्री प्रबंधक, मंडल चिकित्सा पदाधिकारी यूनियन की तरफ से शाखा अध्यक्ष महेश महतो, कोषाध्यक्ष मनोज मिश्र, कार्यकारी अध्यक्ष बच्चा लाल प्रसाद, उपाध्यक्ष रंजीत कुमार, संयुक्त सचिव राकेश रंजन, सहायक सचिव अजीत कुमार, सीसीएम बासुकीनाथ उपाध्याय, डीटीजीएम पवन कुमार मंजय कुमार, शाखा पार्षद मृत्युंजय चौबे अखिलेश कुमार, विनय कुमार, विपिन प्रसाद, सत्येंद्र कुमार, युवा अध्यक्ष कृष्ण कुमार, महिला अध्यक्षा अनुपमा कुमारी सहित सैकड़ों कर्मचारी उपस्थित थे।