ख़बरे टी वी – इतिहास के पन्नों में कभी अपराध के लिए जाना जाने वाला बेगूसराय का एक गांव आज लोगों के सोच की बदौलत मॉडर्न विद्यालय की वजह से बिहार ही नहीं पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है
इतिहास के पन्नों में कभी अपराध के लिए जाना जाने वाला बेगूसराय का एक गांव आज लोगों के सोच की बदौलत मॉडर्न विद्यालय की वजह से बिहार ही नहीं पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है।
कभी गोलियों की तरतराहट से गुंजायमान रहने वाला तथा शिक्षा के दृष्टिकोण से जिले में सबसे पिछड़े गांव में सुमार मोहनपुर गांव के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ कर भी आज देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में अपना स्थान बना चुके हैं । आलम यह है कि आज इस विद्यालय से में बजने वाली प्रार्थना की घंटी किसी मंदिर में बजने वाली घंटे से कम नहीं है। लोगों की एक सोच एवं सार्थक पहल ने इस गांव की तस्वीर ही नहीं तकदीर भी बदल कर रख दी है।
एक रिपोर्ट।
जिले का मोहनपुर गांव बिहार सरकार के लिए रोल मॉडल हो गया है. यह गांव तब सुर्खियों में आया था जब यहां अपराधियों ने भारतवर्ष में पहले जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दिया था | वहीं अब ये गांव इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि यहां के लोगों के आर्थिक और शारीरिक सहयोग से शिक्षा की अलख जगी है|
बेगूसराय जिला के सदर अनुमंडल स्थित यह मोहनपुर गांव कभी नामचीन अपराधियों का गढ़ हुआ करता था । शाम हो या सुबह, दिन हो या रात, गोलियों की तरतराहट से यहां के लोगों का अमन-चैन पूरी तरह छीन चुका था । लेकिन धीरे-धीरे इस गांव के लोगों की सोच बदली और उन्होंने शिक्षा को हथियार बनाकर अपराध से लड़ने का संकल्प लिया । तत्कालीन शिक्षक संजय कुमार ने इस मुहिम को अपने हाथों में लिया और स्थानीय ग्रामीणों से संपर्क करना शुरू किया। बाद के दिनों में ग्रामीणों के द्वारा भी इस विद्यालय में सहयोग के लिए हाथ उठने लगे और आलम यह है कि आज यह विद्यालय की सरकारी डोनेशन का मोहताज नहीं है और इस विद्यालय में शिक्षा संबंधित जरूरत के हर सामान उपलब्ध है।और यही वजह है कि इस विद्यालय में पढ़कर आज छात्र देश के कई हिस्सों में अपना ही नहीं वरन जिले एवं बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं ।
दरअसल बात उन दिनों की है जब वर्ष 2006 से पहले बेगूसराय को आपराधिक जिला के रूप में जाना जाता था और इसी दौरान कई कुख्यात अपराधियों का बोल बाला भी बेगूसराय में रहा। लगातार हो रही अपराधीक घटनाओं के बाद बेगूसराय के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजवर्धन शर्मा उन दिनों मोहनपुर गांव आकर लोगों से साथ एक संवाद किया । संवाद के दौरान राजवर्धन शर्मा ने बताया कि अगर यही स्थिति रही तो इस गांव के बच्चे और बच्चियों की शादी होनी मुश्किल हो जाएगी । सभ्य समाज के लोग यहां संबंध करने से भी हिचकिचाएंगे। और यही बात उस वक्त ग्रामीणों को खटक गई, फिर ग्रामीणों ने शिक्षा को ही हथियार बनाकर अपराध से लड़ने की मुहिम तेज कर दी और तब ग्रामीणों के द्वारा चंदे इकट्ठे किए जाने लगे। और फिर बिना सरकारी आवंटन के ग्रामीणों ने इस विद्यालय की तकदीर बदल दी ।
आज बच्चे इस विद्यालय में पढ़ कर काफी खुश हैं और छात्रों को यह नहीं लगता कि वह किसी निजी विद्यालय में नहीं पढ़ रहे हो, बल्कि निजी विद्यालय में मिलने वाली सुविधाओं से भी अधिक सुविधा इस विद्यालय में मौजूद है । आज इस विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर ,मिथिला पेंटिंग सहित अन्य तरह के भी शिक्षा छात्रों को दी जा रही है ।
इतना ही नहीं पढ़ाई के साथ साथ समाज में हिस्सेदारी के लिए बच्चों को यहां टेली फिल्म के माध्यम से आजादी के सेनानियों की कहानियां भी सुनाई जाती हैं साथ ही साथ हाल के दिनों की आवश्यक आवश्यकता बन चुकी यूट्यूब गूगल सहित इंटरनेट की भी शिक्षा दी जाती है । आज इस विद्यालय में मॉडर्न पुस्तकालय, दर्शनीय भवन सहित हर सुविधा मौजूद है ।
और तो और इस विद्यालय में के उच्च वर्ग के छात्रों के द्वारा दूसरे और तीसरे क्लास के बच्चों के बीच पठन-पाठन का कार्य भी किया जाता है और इस विद्यालय से निकले हुए छात्र जो आज देश के विभिन्न हिस्सों में नाम रोशन कर रहे हैं वह जब गांव आते हैं तो डोनेशन के साथ-साथ बच्चों को शिखा दान भी करते हैं।
सच ही कहा गया है की सार्थक सोच इंसान की ही नहीं समाज की भी तस्वीर बदल सकती है और यह आज मोहनपुर गांव में देखने को मिल रहा है । जहां कभी चंदा लेकर हथियार खरीदे जाते थे आज इस गांव में गांव के लोग चंदा लेकर स्कूल रूपी मंदिर के निर्माण में जुटे हुए हैं । जरूरत है इस गांव के लोगों से सबक लेने की जिससे बिहार ही नहीं देश की तस्वीर भी बदली जा सके।