ख़बरे टी वी – वेतन में एकरुपता के लिए साफ्टवेयर के इंतजार में एक वर्ष से ज्यादा समय लगाने वाली सरकार और शिक्षा विभाग के दावे खोखला साबित…. जानिए पूरी खबर
Khabre Tv – 9334598481 – शुभम की रिपोर्ट – नए फिक्सेशन में संपूर्ण बिहार के नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन में पंद्रह प्रतिशत वृद्धि,वेतन विसंगति दूर करने तथा संपूर्ण राज्य के नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन में एकरुपता के लिए साफ्टवेयर के इंतजार में एक वर्ष से ज्यादा समय लगाने वाली सरकार और शिक्षा विभाग के दावे खोखला साबित हो गया है।
अखिल भारतीय शिक्षा मंच के अध्यक्ष आलोक आजाद ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा शिक्षा मंत्री से बिहार के चार लाख शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के पंद्रह प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी तथा बिहार के विभिन्न जिलों के शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन विसंगति को दूर करने के लिए बनाए आनलाईन साफ्टवेयर के कारण शिक्षकों को मानसिक प्रताड़ना से बचाने की मांग की है।
आलोक आजाद ने बताया की सरकार की सभी योजनाओं को विधालय स्तर पर हुबहु उतारने तथा सरकार के निर्देश पर कोरोना काल में भी सेवा भाव के साथ सरकार के निर्देशों का पालन करने वाले नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के साथ सम्मानजनक वेतन बढ़ोतरी के नाम पर सरकार पंद्रह वर्षों से मजाक कर रही है।हमलोग तो सरकार का काम कर देते हैं परंतु सरकार हमलोगों के वेतन वृद्धि के मामलों पर हमेश पेंच फंसाने का काम करती है।
इस बार सरकार और शिक्षा विभाग ने कहा था की नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों का पंद्रह प्रतिशत वेतन वृद्धि को आनलाइन साफ्टवेयर के द्वारा फिक्स किया जाएगा जिसके बाद संपूर्ण बिहार के नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों का वेतन विसंगति दूर हो जाएगा।सभी का वेतन एक समान करने के सरकार के दावे खोखले नजर आ रहे हैं।अप्रशिक्षित शिक्षको का तो किसी भी जिले मे डाटा भी अपलोड़ नही हो रहा है।
आलोक आजाद ने बताया की सारण जिला हो या दरभंगा जिला सभी जिला में अलग अलग आनलाईन फिक्सेशन हो रहे हैं। उदाहरण स्वरूप सारण जिला का मामला है। 26 फरवरी 2016 को नियुक्त शिक्षक प्रदीप कुमार पाण्डेय का वेतन 26100 रुपया बन रहा है जबकी इनके दो दिन पहले 24 फरवरी 2016 को सारण में ही नियुक्त अजय कुमार झा का वेतन 25330 रुपया रिवाइज्ड बेसिक पे 1.1.2022 को बन रहा है। दो दिन पहले नियुक्त शिक्षक का वेतन 770 रुपया कम बनना समझ से परे है।जोकी गलत है।ठीक इसी प्रकार सारण जिला के पुस्तकालयाध्यक्ष रौशन कुमार कर्ण जिनकी नियुक्ति 3 नवंबर 2014 को हुई।
इनका वेतन और 26 फरवरी 2016 में नियुक्त प्रदीप कुमार पाण्डेय का वेतन एक सामान 26100 रुपया 1.1.2022 को बन रहा है। इसी दरम्यान सारण में ही 20 फरवरी 2014 को नियुक्त पम्मी कुमारी का रिवाइज्ड बेसिक पे 26890 बन रहा है इसी तरह दरभंगा में 28 अगस्त 2015 को नियुक्त शिक्षक पंकज कुमार चौधरी का फिक्सेशन 1.1.2022 को 26890 रुपया बन रहा है।इस प्रकार दरभंगा में वर्ष 2015 में नियुक्त शिक्षक का वेतन सारण में वर्ष 2014 में नियुक्त शिक्षक के वेतन से 790 रुपया ज्यादा होगा।
इसी प्रकार 17 अगस्त 2010 को नियुक्त सीवान के शिक्षक का रिवाइज्ड बेसिक पे 26890 है जबकी इसी दौरान 25 मार्च 2010 को पटना में नियुक्त शिक्षक का रिवाइज्ड बेसिक पे 27710 है।इस तरह के हजारों मामले हैं।
यह अजूबा कैसे संभव हो सकता है की 2014 में नियुक्त शिक्षक और 2016 में नियुक्त शिक्षक का वेतन बराबर हो जाए और दोनों के बीच 2015 में नियुक्त शिक्षक का वेतन दोनों से 790 रुपया ज्यादा हो जाए।जब प्रतिवर्ष इंक्रीमेंट लगता है।इंक्रीमेंट लगने से 2014 में नियुक्त रौशन कुमार कर्ण का वेतन 2016 में नियुक्त प्रदीप कुमार उपाध्याय के वेतन से ज्यादा होना चाहिए था परंतु यहां आनलाइन साफ्टवेयर ने 2014 और 2016 में नियुक्त शिक्षकों से ज्यादा वेतन 2015 में नियुक्त शिक्षक का कर दिया है। जोकी आनलाइन साफ्टवेयर से फिक्सेशन होने के बावजूद पूर्णतः गलत है।
आलोक आजाद ने बताया की इसके साथ हीं शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को तीन प्रतिशत वेतन वृद्धि का घाटा भी हो रहा है। जबकि सरकार ने हड़ताल के दौरान शिक्षक संघ के साथ समझौता में मूल वेतन में 15% बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है।इसके संदर्भ में जो सरकारी आदेश निकला था उसके मुताबिक मूल वेतन में 15% का वृद्धि करना है। जबकि शिक्षा विभाग ने इसे सिर्फ वेतन सुधार मानते हुए वार्षिक वेतन वृद्धि के तारीख को 1 जनवरी 2022 करके बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को घाटे में ला दिया है।सरकार और विभाग को जल्द से जल्द आनलाइन साफ्टवेयर में इन सभी गलतियों में सुधार कर संपूर्ण बिहार के नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए ऐसा पे फिक्सेशन साफ्टवेयर लाना चाहिए जिससे विभिन्न जिलों के शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों का फिक्सेशन में एकरुपता हो सके।