October 19, 2024

ख़बरे टी वी – नालंदा विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कुलपति सुनैना सिंह के खिलाफ बिहार प्रदेश असंगठित कामगार कांग्रेस ने खोला मोर्चा…

 

 

नालंदा विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कुलपति सुनैना सिंह के खिलाफ बिहार प्रदेश असंगठित कामगार कांग्रेस ने खोला मोर्चा ।

 


Khabre Tv – 9334598481 – आदित्य कुमार की रिपोर्ट – अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर के एक निजी होटल में बिहार प्रदेश असंगठित कामगार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अमित कुमार पासवान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं शैक्षणिक , शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ आगामी 20 सितंबर 2021 को आयोजित होने वाले अनिश्चितकालीन धरना- प्रदर्शन को समर्थन देने की घोषणा करते हुए
कहा कि देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, नोबेल विजेता अमर्त्य सेन , बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के अथक प्रयास से प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुर्नस्थापित करने को लेकर विश्व के थाईलैंड, वर्मा, जापान, श्रीलंका, चीन, सिंगापुर सहित दर्जनों देश के राष्ट्राध्यक्षों से मिलकर सहयोग की अपील की। जिसके उपरांत 1 सितंबर 2014 को नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन- अध्यापन के एक नए अध्याय का शुभारंभ हुआ था तो स्थानीय लोगों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया बौद्धिक, जगत और नालंदा की स्वर्णिम ऐतिहासिकता में विश्वास रखने वाले लोगों ने इसे नए युग की शुरुआत कहा था । इसकी ऐतिहासिकता को देखते हुए 19 सितंबर 2014 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत समेत दुनिया के कई देशों के छात्रों ,अध्यापकों एवं अन्य प्रतिष्ठित लोगों के बीच विश्वविद्यालय का विधिवत उद्घाटन किया था तो पूरे देश में विशेषकर बिहार में सर्वत्र खुशी की लहर देखी गई थी क्योंकि नालंदा विश्वविद्यालय को उस प्राचीन नालंदा महाविहार का नवीन अवतार कहा गया जो 800 वर्षों तक दुनिया का एक अप्रतिम उच्च शिक्षा का केंद्र रहा था और जो पुनः 800 साल बाद इस रूप में अस्तित्व में आया था।
लेकिन वर्तमान कुलपति सुनैना सिंह को कुलपति के पद पर विराजमान होते ही नालंदा विश्वविद्यालय की कोर कमिटी और नियमावली को ताक पर रखते हुए अपना साम्राज्य कायम कर इनके द्वारा नए नए नियम बनाकर पुराने शैक्षणिक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को हटाने का सिलसिला तेजी से बढ़ता रहा ,जब चाहे जिनको चाहे किसी भी पद पर हटा दें ,किसी को भी नियुक्ति करवा दें।
आश्चर्य की बात तो यह है कि इन्होंने पीएचडी प्रोग्राम के लिए 10 छात्र-छात्राओं का चयन तो हुआ लेकिन अभी तक उन्हें सुपरवाइजर नहीं मिला ,100 के करीब छात्र-छात्राएं जो अध्ययनरत थे उसमें भी ज्यादातर स्कॉलरशिप फेलोशिप पर अध्ययन करने आए थे , फीस देकर पढ़ने वाले छात्र छात्राओं की संख्या में निरंतर कमी हुई ,जो विदेशी छात्र- छात्राएं स्कॉलरशिप फैलोशिप निर्भर करती है उन्हें भी नियमित रूप से छात्रवृत्ति राशि नहीं उपलब्ध कराई जाती है देश और दुनिया के छात्रों को यहां पढ़ने के लिए आकर्षित/ आमंत्रित करने पर करोड़ों का विज्ञापन व्यय किया गया ,पर फीस नहीं चुकाने के कारण वर्ष 2017 में कई छात्र-छात्राएं आधी पढ़ाई कर लेने के बाद विश्वविद्यालय छोड़ने पर मजबूर हुए,पाठ्यक्रमों को सेमेस्टर मध्य में बदला गया जिससे कई अध्ययनरत छात्र परेशान होकर यहां से चले गए, सभी स्तरों के 24 प्राध्यापक और 40 के आसपास शिक्षकेतर कर्मी विश्वविद्यालय की सेवा में कार्यरत ज्यादातर प्राध्यापकों को अधिकतम 1 वर्ष एवं शिक्षकेतर कर्मियों को अधिकतम 6 महीने के अनुभव पर रखा गया । विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों का औसत कार्यकाल 3 वर्ष का और शिक्षकेतर कर्मियों का औसत कार्यकाल 2 वर्ष का रहा, विगत 4 वर्षों में 30 से अधिक प्राध्यापक और 40 से अधिक शिक्षकेतर कर्मी विश्वविद्यालय छोड़ने पर विवश हुए या हटा दिया गया ,इसमें भी पिछले वर्ष मार्च से अब तक करोना महामारीया महाविपदा की इस घड़ी में भी कई अध्यापकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों को सेवा विस्तार से वंचित कर उन्हें दर- बदर भटकने के लिए छोड़ दिया गया, जो कई वर्षों से अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे थे ,कई प्राध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय में योगदान करने से पहले वे विभिन्न पदों पर विराजमान थे अब उनकी उम्र सीमा खत्म हो गई तब उन्हें सेवा से वंचित कर दिया जा रहा है विश्वविद्यालय परिसर में जो भी निर्माण कार्य हो रहे हैं उसमें गुणवत्तापूर्ण सामग्री नहीं दी जा रही है जिसकी जांच की जाए तो बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार का मामला उजागर होगा।
डॉ पासवान ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की गरिमा को बचाने, एवं व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की जाएगी । उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर नालंदा सहित जिले व राज्य के समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों प्राध्यापकों, जनप्रतिनिधियों, शोधार्थियों, एवं विभिन्न संगठनों से अपील करते हुए कहा है कि आगामी 20 सितंबर 2021 को नालंदा विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन (पुरानी अनुमंडल) के समीप छबीलापुर रोड में अधिक से अधिक संख्या में आकर विशाल -प्रदर्शन में भाग लेकर नालंदा की गरिमा को बचाएं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में नालंदा विश्वविद्यालय के कर्मी अनिल चंद्र झा, डॉ रवि कुमार सिंह, राहुल व अन्य लोग शामिल थे

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